झिलमिल गुफा का रहस्य | बाबा गोरखनाथ ने किया था कठोर तप

झिलमिल गुफा का रहस्य: झिलमिल गुफा ऋषिकेश से लगभग 34 km दूर और नीलकंठ महादेव मंदिर से 5 km की दुरी पर स्थित है। भगवान शिव के परम भक्त बाबा गोरखनाथ को समर्पित यह गुफा काफी प्राचीन और पुराने रहस्यो से भरी हुई है इस लेख के माध्यम से आज हम आपको झील मिल गुफा के रहस्यों के बारे में बताने वाले है।

झिलमिल गुफा का इतिहास (History of Jhilmil Cave in Hindi)

पुराणों में ऐसा वर्णन है की बाबा गोरखनाथ ने इस गुफा में धुना स्थापित कर भगवान शिव की हजारो वर्ष तपस्या की थी। जलते हुए धुनें के कारन गुफा काली पड गयी थी। इस जगह पर स्वयं भगवान शिव और बाबा गोरखनाथ ने एक साथ दीर्घ काल तक योग चर्चा की थी।

गुफा के द्वार में प्रवेश करते ही एक बाबा गोरखनाथ की मूर्ति स्थापित है। जिसके सामने धूणा जलता रहता है। और कोई न कोई साधु संत वहा पर यग करता रहता है।

गुफा के अंदर प्रवेश करने के लिए कुछ सीढिया बनी हुई है। जैसे ही थोड़ा ऊपर चलते है। तो बायीं तरफ भगवान शिव की मूर्ति और अन्य कई नागो की प्रतिमा बनी हुई है।

और दायी तरफ गुफा में एक अंधरुनि जगह बनी हुई है जहा कोई न कोई साधु तप करता रहता है। और वहा बैठकर अदृश्य रहता है।

थोड़ा ऊपर चढ़ने पर बाबा गोरखनाथ की एक और मूर्ति स्थापित है जिसमे वो भगवान शिव का ध्यान लगाए हुए बैठे है। ठीक उनकी मूर्ति के ऊपर एक गोलाकार में खुला है जहा से थोड़ा प्रकाश अत है परन्तु कभी बारिश की बून्द नहीं गिरती उनके ऊपर।

झिलमिल गुफा का रहस्य बाबा गोरखनाथ ने किया था कठोर तप

झिलमिल गुफा का रहस्य (Mystery of Jhilmil Gufa in Hindi)

गुफा का जो चमत्कारी रहस्य है वो है इस गुफा में बाबा गोरखनाथ के आसान के ठीक ऊपर एक बड़ा सा गोलाकार में बिलकुल खुला है। कहते है की वर्षा चाहे कितनी ही तेज क्यों न आ जाये लेकिन इस गुफा के ऊपर खुले में से एक बूँद भी पानी अंदर नहीं आता है।

“झिलमिल” नाम का अर्थ होता है “जगमगाती ट्विंकलिंग” यानि कुछ प्रकाश तो कुछ अँधेरा अर्थात इस गुफा में कुछ जगह प्रकाश भी रहता है तो कुछ जगह में अँधेरा भी रहता है। जो भी प्राणी इस गुफा में बैठकर अपने इष्ट यानि भगवान को याद करते हैं वही इष्ट साधक के सामने बैठकर उसकी हर समस्या का समाधान करता है।

झिलमिल गुफा का रहस्य बाबा गोरखनाथ ने किया था कठोर तप

बाबा गोरखनाथ कौन थे (Who was baba Gorakhnath in Hindi)

बाबा गोरखनाथ प्राचीन कल के एक महान नाथ योगी थे। “गोरखनाथ” शब्द का मतलब “गुरु और नाग ” से होता है। नाग शब्द को ही नाथ कहते है। भगवान शिव को आदिनाथ और बाबा गोरख को गुरुनाथ या गोरखनाथ कहा गया है। कहते है की नाथ से चलकर ही आगे 9 नाथ और 84 नाथ सिद्धो की प्राप्ति हुई थी।

झिलमिल गुफा में कैसे पहुंचे (How to reach Jhilmil Cave in Hindi)

अगर आप नीलकंठ महादेव मंदिर जाते है तो एक बार झिलमिल गुफा भी जरूर जाये। माता पार्वती के मंदिर से आपको घने जंगलो के रास्ते 3 km पैदल ही जाना होगा। उबड़ खाबड़ वाले इस रास्ते में काफी सन्नाटा छाया रहता है। रास्ते में कुछ गांव जिनमे कुछ दुकाने देखने को मिल जाएगी। जैसे ही आप गुफा में प्रवेश करोगे तो आपकी सारी थकावट एक दम से दूर हो जाएगी। ऐसा कहते है की गुफा में इष्ट का ध्यान लगाने से उसकी सारी समस्या वही हल हो जाती है। झिलमिल गुफा से आधा किलोमीटर दूर स्थित एक गणेश गुफा भी है। आपको वहा भी जरूर जाना चाहिए।

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झिलमिल गुफा की और अधिक जानकारी के लिए निचे दी गयी विडियो को देख सकते है।

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