Yamunotri Dham History in Hindi | यमनोत्री धाम का इतिहास और पौराणिक कथाये

Yamunotri Dham History in Hindi: यमुना देवी को समर्पित यमनोत्री धाम का यह मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थ स्थल हिमालय की पर्वत श्रंख्लायो में बसा है ऋषिकेश से लगभग 210 km दूर और समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर यमुना नदी के तट किनारे कालिंद पर्वत पर स्थित है। यमनोत्री मंदिर का नाम उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में सबसे पहले सम्मिलित होता है। यानि चार धाम की यात्रा सबसे पहले यही से शुरू होती है।
दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यमनोत्री धाम की सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से बताने वाले है तो आपसे निवेदन है की आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े।

यमनोत्री धाम की प्रचलित कथा (Legend of Yamanotri Dham in Hindi) 

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार माँ देवी यमुना सूर्य देव की पुत्री और मृत्यु के देवता यम और शनि देव की बहन कही जाती है. इस मंदिर की ऐसी भी मान्यता है कि भैयादूज वाले दिन जो भी श्रद्धालु यहां आकर यमुना नदी में स्नान करते है. यम उन्हें मृत्यु के समय पीड़ित नहीं करते और वह मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं. इस मंदिर में यम की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।

पुराणों कथाओं के अनुसार पहले इस स्थान पर “संत असित” का आश्रम हुआ करता था, उन्होंने अपनी कठोर तपस्या करके माँ गंगा की एक धारा यमुनोत्री में भी प्रगट कर दी थी,  इसीलिए देवी यमुना को देवी गंगा की बहन भी कहा जाता है।

महाभारत के अनुसार ऐसा भी बताया गया है की जब पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए थे तो सबसे पहले वे यमुनोत्री गए थे फिर गंगोत्री फिर केदारनाथ और आखिर में बद्रीनाथजी गए थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा इसी प्रकार से की जाती है।

यमनोत्री धाम का निर्माण कब हुआ था Construction of Yamanotri Dham in Hindi)

यमनोत्री धाम में मंदिर का निर्माण 1919 में टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने देवी यमुना को समर्पित करते हुए बनवाया था।

यमुनोत्री धाम का यह मंदिर एक बार भुकम्प से पूरी तरह से विध्वंस हुआ था | फिर 19वीं सदी में यमुनोत्री मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था।

संगमरमर के काले पत्थर से बनी माँ यमुना की मूर्ति मंदिर के मुख्य गृह में विराजमान है। इस मंदिर में माँ यमुनोत्री जी की पूजा पुरे विधि विधान के साथ के मुख्य पुजारी द्वारा की जाती है।

पितरो के पिंड दान का विशेष महत्व रखने वाला यह मंदिर काफी प्रचलित है अधिकतर श्रद्धालु यहां पर आकर अपने पितरो की आत्मा की शांति के लिए पुरे विधिविधान के साथ उनका का पिंड दान करते है।

यमनोत्री धाम में सूर्य कुंड का क्या महत्व है (Surya Kund in Yamanotri Dham in Hindi)

सूर्य कुंड जिसे तप्त कुंड भी कहते है पौराणिक कथाओं के अनुसार मां यमुना ने जब अपने पिता सूर्य देव से कहा कि उनके दर्शन करने वाले श्रद्धालु यहां पर आकर क्या खाएंगे तब सूर्य देव ने यमुनोत्री में सूर्य कुंड का वरदान दिया जिसमे से आज भी गर्म पानी निकलता है और सूर्यकुंड के उस खौलते पानी में प्रशाद के रूप में चावल, आलू आदि चंद मिनटों में पक कर तैयार हो जाते हैं। और यमराज ने भी अपनी बहन को वरदान दिया की जो भी श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करेगा वो यम की यातना से मुक्ति पालेगा।

जो गर्म पानी के स्रोत होते है वो पर गंधक से निकलते हैं। इस गर्म पानी में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है और थकावट भी दूर होती है।

यमुनोत्री मंदिर में कपाट खुलने एवं बंद होने समय (Opening and Closing time in Yamunotri Temple in Hindi)

यमुनोत्री धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष मई माह में ‘अक्षय-तृतीय’ के शुभ अवसर पर खोले जाते है और दिवाली से अगले दिन भाईदोज पर एक भव्य समापन समरोह के बाद मंदिर के कपाट को 6 माह के लिए बंद करदिया जाता है इस बिच माँ यमुना देवी के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु यहां पर आते है।

सर्दियों में बर्फ गिरने के कारन मंदिर को 6 माह के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाता है और माँ देवी यमुना की डोली बड़े धूमधाम के साथ खरसाली में लाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है।

कियोंकि सर्दियों में बर्फ से ढके पहाड़ उत्तराखंड की चार धाम यात्राओं को बंद होने का संकेत देते है।

यमुनोत्री मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit in Yamunotri Temple in Hindi)

यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के लिए अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर माह का सबसे अच्छा समय होता है | कियोंकि मानसून के समय यहां पर अधिकतर बारिश और भू-स्खलन का खतरा रहता है इसलिए इस दौरान यात्रा करना काफी कठिन हो सकता है।

यमनोत्री धाम कैसे पहुंचे (How to reach Yamanotri Dham in Hindi)

हवाई मार्ग (By Air) – जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून

ट्रेन मार्ग (By Bus) – हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है वहा  से आप यमनोत्री धाम के लिए सीधे शेयरिंग टैक्सी, परसनल टैक्सी, या बस ले सकते है।

सड़क मार्ग (By Road) – यमुनोत्री धाम जाने के लिए आप हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से आराम से जा सकते हैं जहा पर टैक्सी और बस की सारी सुविधाएं उपलब्ध है।

हरिद्वार से यमुनोत्री धाम की दुरी (Haridwar to Yamunotri Dham distance in Hindi)

यमुनोत्री का मार्ग हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, टिहरी, बरकोट, हनुमान चट्टी और जानकी चट्टी से अच्छी तरह से जुड़ा है। बस आपको हनुमान चट्टी पर लेजाकर छोड़ देगी वहा से आप जीप द्वारा 5 km जानकी चट्टी जाना होगा | जानकी चट्टी से यमनोत्री धाम के लिए 6 km का पैदल मार्ग है।

हनुमानचट्टी से 13 km और जानकी चट्टी से 6 km दूर यमनोत्री मंदिर है। जानकीचट्टी से यमुनोत्री मंदिर तक 6 km का ट्रेक है जिसके लिए आप पैदल, पोनी, घोड़े, या पालकी और छोटे बच्चों के लिए टोकरियाँ भी उपलब्ध रहती हैं।

दोस्तों इस लेख में हमने आपको Yamunotri Dham History in Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी, हम उम्मीद करते है कि आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा।

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Kedarnath Dham Mandir
Badrinath Dham Mandir
Gangotri Dham Mandir
Gomukh Yatra

“यमनोत्री धाम मंदिर”( Yamunotri Dham History in Hindi)  की और अधिक जानकारी के लिए निचे दी गयी विडियो को देख सकते है।

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