शाकुंभरी देवी मंदिर की पूरी जानकारी | Shakumbhari Devi Temple In Hindi

Shakumbhari Devi Temple: माँ शाकुम्भरी देवी का यह मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर शहर से लगभग 40 km दूर जसमोर गांव के पास जंगली पहाड़ियों पर स्थित है।  यह प्राचीन मंदिर माँ देवी दुर्गा का स्वरूप शाकुम्भरी देवी को समर्पित है और देवी के शक्तिपीठों में से एक है।

शाकुम्भरी देवी मंदिर का इतिहास (Shakumbhari Devi Temple History in Hindi)

माँ शाकुम्भरी देवी के इस मंदिर को कब और किसने बनाया पुराणों में यह ज्ञात नहीं है परन्तु ऐसा बताया जाता है की घने जंगलो में शिवालिक पर्वतो के बीचो बिच स्थित इस मंदिर को मराठों ने बनवाया था।

इस स्थान पर तीन महत्वपूर्ण मंदिर है एक शाकुम्भरी देवी, दूसरा मनसा देवी, और तीसरा भुरा देव को समर्पित है इस मंदिर की ऐसी मान्यता है की सबसे पहले भक्त यहां पर भूरा देव के दर्शन कर उन्हें प्रशाद चढ़ाते है और बाद में माँ शाकुम्भरी देवी के दर्शन कर नारियल चुनरी चढ़ाते है। तभी माता भक्तो के प्रशाद का चढ़ावा मानती है।

शाकुम्भरी देवी मंदिर की कहानी (Shakumbhari Devi Temple Story in Hindi)

माँ शाकुम्भरी देवी का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रन्थ के सभी पुराणों में जैसे स्कंद पुराण, भागवत् पुराण, शिव पुराण, मारकंडेय पुराण, देवी पुराण, महाभारत आदि में दिया गया है पौराणिक कथा में ऐसा वर्णन है की हिरण्याक्ष राक्षस के वंशो मे से एक महादैत्य रूरु थे जिसके पुत्र का नाम दुर्गम था।

दुर्गम राक्षस ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त किया की वह किसी भी देवता से युद्ध में नहीं हारेगा और चारों वेदों को अपने वश में कर लेगा | वरदान प्राप्त कर दुर्गम ने देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और इन्द्र, वरूण जैसे देवताओं को अपना बन्दी बना लिया। और सभी देवताओं की शक्ति भी क्षीण होने लगी। जिस कारन धरती पर कई वर्षों से वर्षा का अकाल पड गया और धरती पर रहने वाले ब्राह्मण अपना धर्म कर्म भूल शराब और मांस का सेवन करने लगे। अतः भूख और प्यास से समस्त प्राणी एवं जीव जंतु मरने लगे।

राक्षस के इन अत्याचारों से सभी पीडि़त देवतागण शिवालिक पर्वतो में जाकर छिप गये। और उनके द्वारा माँ जगदम्बा की आराधना करने पर माँ इसी स्थान पर प्रकट हुई। सृष्टि की ऐसी दुर्दशा देख माँ जगदम्बा रोने लगी और उनके नेत्रों से आंसुओं की धारा बहने लगी। तभी नैना देवी की कृपा से माँ के शरीर पर सौं नैत्र प्रकट हुए। और नेत्रों के आसुओं से नदी- तालाब पूरी तरह से भर गये।

दुर्गम राक्षस को रिझाने और उसका वध करने के लिए माँ जगदम्बा ने एक सुंदर रूप धारण किया और शिवालिक पर्वत पर जाकर बैठ गयीं। इसी स्थान पर माँ ने दुर्गम राक्षस और अन्य दैत्यों का वध किया था | और वही पर अपने भक्त भूरेदेव को अमरत्व का आशीर्वाद दिया। वर्तमान में भी भक्त पहले भूरेदेव के दर्शन करते हैं बाद में पथरीले रास्ते से जाकर मां शाकम्भरी देवी के दर्शन करते हैं। जिस स्थान पर माता ने दुर्गम राक्षश का वध किया था वहा पर वीरखेत का मैदान है। जिस स्थान पर माँ ने भूरा देव को वरदान दिया था वहाँ पर बाबा भुरादेव का मंदिर है।

शाकुंभरी देवी मंदिर का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Shakumbhari Devi Temple in Hindi)

माँ शाकुम्भरी का मंदिर एक संगमरमर के चबुतरे बना हुआ है जिसके मुख्य गर्भ ग्रह में माता सुंदर पोशाक पहने और सोने चांदी के आभुषण से अलंकृत अपने चारों स्वरूपों और बाल गणेश के साथ विराजमान है। बिच में माँ शाकुम्भरी देवी दायीं और भ्रामरी देवी तथा बायीं और शताक्षी देवी है। पुरे देश में यह एक ऐसा मंदिर है जिसमे दुर्गा के चार रूपो के दर्शन एक साथ होते है।

हिंदू धर्म के विशेष सम्हारो जैसे नवरात्र और होली के समय शकुंभरी मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। दूर दूर से भक्तगण यहां पर आते है और जिसमे से कुछ भक्त अपनी इच्छा अनुसार भंडारा वितरण करते है | उस दौरान माता के दर्शन करे के लिए भक्तो की बहुत लम्भी लाइन लगी रहती है।

शाकुम्भरी देवी मंदिर में कैसे पहुंचे (How to reach Shakumbhari Devi Temple in Hindi)

शाकुम्भरी मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले सहारनपुर आना होगा। जो बस और रेल दोनों मार्गो से जुड़ा है। दिल्ली से सहारनपुर 182 km और चंडीगढ़ से 73 km दुरी पर है सहारनपुर से सीधे आपको बेहट या शाकुम्भरी तक के लिए बस मिल जाएगी | बेहट से 16 km की दुरी पर मंदिर है। कर या बस सीधे मंदिर तक जाती है। लेकिन बरसात में वहा पर नदी बहाव ज्यादा अधिक हो जाता है।

शाकुंभरी देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए अच्छा समय (Best Time To Visit Shakumbhari Devi Temple In Hindi)

इस मंदिर में यात्रा का सबसे अच्छा जो समय वो अक्टूबर माह से लेकर मार्च माह तक का है कियुँकि उस समय मौसम बहुत भढिया रहता है और अप्रैल से जून के समय यहां पर बहुत गर्मी रहती है जुलाई और अगस्त माह में यहां पर बारिश बहुत होती है उस समय यहां पर नदी ऊपर तक आजाती है जिस कारन भक्त यहां पर बहुत कम आते है।

शाकुंभरी देवी मंदिर का प्रसिद्ध मेला (Shakumbhari Devi Temple in Hindi)

देवी दुर्गा के नवरात्री और होली के शुभ पावन अवसर पर माँ शाकुम्भरी देवी के मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। और बड़ी दूर-दूर से भक्त इस मेले में शामिल होते है इस मंदिर की यह विशेसता है की यहां पर शाकुम्भरी देवी से पहले भूरा महादेव को प्रशाद चढ़ाया जाता है।

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