Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh in Hindi:- भगवान शिव को समर्पित श्री नीलकंठ महादेव का यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के ऋषिकेश से लगभग 30 km दूर और 5500 फीट की ऊँचाई पर स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है। स्वर्ग आश्रम के पर्वत की चोटी पर बसे इस प्राचीन मंदिर को ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इसका मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है।
समुद्र मंथन से निकला हलाहल कालकूट नाम का विष जिसको भगवान शिव ने इसी स्थान पर अपनी कंठ में धारण किया था। विष के प्रभाव से उनका कंठ यानि गाला नीला पड गया था। इसीलिए महादेव के इस मंदिर को श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) के नाम से जाना जाता है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) की रहस्य भरी कहानी के बारे में बताने जा रहे है।
यह भी पढ़े:- हरिद्वार में शिवभक्तों के लिए कावड़ यात्रा 2024 शुरू
Table of Contents
Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh History in Hindi (नीलकठ महादेव मंदिर ऋषिकेश का इतिहास)
हिन्दू धर्म के प्रमुख देवाओं में से एक देवो के देव महादेव अपने गले में नाग, हाथों में डमरू, त्रिशूल और बालो की जटा में चन्द्रमा,माँ गंगा को धारण किये भगवान शिव को अनेक नामो से जाना जाता है। जैसे शिव, शंकर, भोलेनाथ, महेश, रूद्र, और नीलकंठ महादेव इन सभी प्रसिद्ध नामो के पौराणिक कथाओं में कई महत्व है। श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) की नक़्क़ाशी समुद्र मंथन के दृश्य को दर्शाती है। जसिमे देवताओं और असुरो के बिच समुद्र मंथन और भगवान शिव को विष पीते हुए एक विशाल पेंटिंग में दर्शाया हुआ है।
यह भी पढ़े:- समुद्र मंथन की रहस्यभरी कहानी
मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के अंदर भगवान शिव एक शिवलिंग के रूप में विराजमान है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर जाने से पहले अपनी कंठ के रूप में इस शिवलिंग को स्वयं स्थापित किया था। जिसके चारो तरफ चाँदी की चौकी बनी हुई है। श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) के रास्ते आपको माँ गंगा का अधभुद नजारा देखने को मिलता है जो गोमुख से निकलकर पर्वतो के बिच से बहती हुई ऋषिकेश के समुद्र तल यानि धरती को स्पर्श करती है। इस बिच राम झूला और लक्ष्मण झूला का भी सुंदर दृश्य देखने को मिलता है।
- स्थान: यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और घने जंगलों के बीच स्थित है। यह मंदिर 1,330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- इतिहास: पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) वही स्थान है जहां भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को ग्रहण किया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला हो गया था, जिससे उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।
- आकर्षण: मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का एक शिवलिंग है। मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य है, जिससे यह एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। यहाँ एक कुंड भी है जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- पर्व और त्यौहार: श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
- यात्रा मार्ग: ऋषिकेश से मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है। इसके अलावा, बहुत से भक्त पैदल यात्रा कर भी यहाँ आते हैं, जो धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की यात्रा धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करती है।
Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh Story in Hindi (नीलकठ महादेव मंदिर ऋषिकेश की पौराणिक कथा)
श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) की पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण कथाओं में से एक है। यह कथा भगवान शिव के महान त्याग और विष पीने की घटना का वर्णन करती है। जब देवताओं और असुरो के बिच समुद्र मंथन हो रहा था। तो उसमे से 14 रत्न निकले थे जिसमे से एक हलाहल नाम का विष भी निकला था, जिसे ना तो देवता ग्रहण करना चाहते थे और ना ही असुर, कियुँकि यह हलाहल विष इतना खतरनाक था की पूरी ब्रह्माण्ड श्रष्टि का विनाश कर सकता था, सभी देवताओं की विनती करने पर भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था।
विष उनके शरीर तक न चला जाये तभी माता पार्वती ने उनका गाला दबाकर विष उनकी कंठ में रोक दिया था, जिसके के प्रभाव से उनका कंठ यानि गाला नीला पड गया था, अपने गले में धारण विष की जलन को शांत करने के लिए भगवान शिव ने इस स्थान पर कई सालो तक तप किया, इसीलिए महादेव के इस मंदिर को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है, ऐसी मान्यता है की इस मंदिर के शिवलिंग में जल चढाने से भगवान शिव अपने भक्तो से जल्दी प्रसन्न होते है, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) जिसकी कहानी समुद्र मंथन से जुडी है।
यह भी पढ़े:- Kavad Yatra 2024 में कब शुरू होगी | जानें कांवड़ यात्रा का पूरा इतिहास
- समुद्र मंथन का आयोजन:
- देवता और असुर, दोनों अमृत प्राप्त करने के लिए एक साथ समुद्र मंथन करने का निर्णय लेते हैं। इस मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया।
- मंथन के दौरान समुद्र से अनेक दिव्य वस्तुएं और जीव उत्पन्न हुए, जैसे कामधेनु गाय, उच्चैःश्रवा घोड़ा, पारिजात वृक्ष, लक्ष्मी देवी, धन्वंतरि आदि।
- विष का उत्पन्न होना:
- समुद्र मंथन के दौरान एक अत्यंत विषैला हलाहल विष निकला, जिसने सभी देवताओं और असुरों को भयभीत कर दिया। इस विष की गर्मी और विषाक्तता से सभी जीव संकट में आ गए।
- भगवान शिव का त्याग:
- सभी देवताओं और ऋषियों ने भगवान शिव से सहायता की गुहार लगाई। भगवान शिव ने अपने भक्तों और संसार की रक्षा के लिए उस विष को पीने का निर्णय लिया।
- भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। इस कारण से उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा जाने लगा। विष के प्रभाव से शिवजी का कंठ नीला हो गया, लेकिन उन्होंने उसे नीचे नहीं उतारा जिससे उनकी जान को खतरा हो।
- कथा का स्थल:
- नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) वही स्थान माना जाता है जहाँ भगवान शिव ने यह विष पिया था। इस स्थल पर विष के प्रभाव को शांत करने के लिए भगवान शिव ने तपस्या की थी।
About of Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh in Hindi (नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के बारे में)
श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) के शिवलिंग के सामने ही नंदी महाराज विराजमान है। इस मंदिर के प्रांगण में स्थित एक पंचपणी पेड़ कई हजार साल पुराणा है। कहते है की भगवान शिव ने इसी पेड़ के निचे कई हजार साल तप किया था। और इस मंदिर में एक अखंड धुंना है। जहा पर हमेशा धुंना जलता रहता है। भक्तो की मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां पर त्रिशूल चढ़ाते है और प्रसाद के रूप में इस धुनें की भस्म को घर लेकर जाते है।
श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) में कावड़ मेला और देख रेख श्री पंचायती अखाडा महानिर्वाणी के द्वारा की जाती है। सावन के महीने में शिव भक्त यानि कावड़िये नीलकंठ महादेव अपनी कांवड़ में गंगाजल लेकर आते हैं। कई घंटो लम्भी लाइन में लगकर महादेव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं। हर साल शिवरात्रि के शुभ पावन अवसर पर यहाँ मेला लगता है। सावन के पुरे महीने यहाँ पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है।
Mata Parvati Temple in Hindi (माता पार्वती मंदिर)
नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir) से 2 km दूर सामने वाली पहाड़ी पर भगवान शिव की पत्नी, माता पार्वती जी का मंदिर है। जहा पर आप अपनी गाडी या टैक्सी में 20 रूपये प्रति सवारी किराया देकर आराम से आ सकते है। ऐसी मान्यता है की भगवान शिव की विष की जलन को शांत करने के लिए माता ने इस स्थान पर कई सालो तप किया। और बाद में सदा के लिए एक पिंडी के रूप में विराजमान हो गयी। मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में माता की तीन मुर्तिया स्थापित है। अधिकतर श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) के दर्शन करने के बाद इस मंदिर में भी जरूर जाते है।
माता पार्वती के मंदिर से 2 km दूर स्थित बाबा गोरखनाथ की एक प्राचीन झिलमिल गुफा है। जिसका रहस्य बिलकुल अधबुध है। और वहा से आधा किलोमीटर दूर ही गणेश गुफा है। जहा पर आप बाइक, स्कूटी या फिर पैदल ही जा सकते है।
How to reach Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh in Hindi (नीलकंठ महादेव मंदिर में कैसे पहुंचे)
श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश आना होगा जो रेल या सड़क मार्ग दोनों से जुड़ा है। ऋषिकेश से नीलकंठ जाने के लिए बहुत सारी टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है जिसमे 120 प्रति व्यक्ति का किराया रहता है। नीलकंठ जाने का पहाड़ी रास्ता काफी जोखिम भरा है। जहा पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। अगर आपको पहाड़ो पर ड्राइव करनी आती है। तो आप अपनी गाडी से भी आराम से जा सकते है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) तक पहुँचने के कई तरीके हैं। यहाँ पहुँचने के लिए आप विभिन्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
- वायु मार्ग:
- सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो ऋषिकेश से लगभग 21 किलोमीटर दूर है।
- हवाई अड्डे से आप टैक्सी या कैब के माध्यम से ऋषिकेश पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग:
- ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 32 किलोमीटर है।
- ऋषिकेश से हरिद्वार रेलवे स्टेशन भी पास में है, जो मुख्य रेलवे जंक्शन है और यहाँ से आप टैक्सी या बस से ऋषिकेश पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग:
- ऋषिकेश देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- आप दिल्ली, हरिद्वार, देहरादून आदि से बस, टैक्सी या अपनी निजी वाहन द्वारा ऋषिकेश पहुँच सकते हैं।
ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर:
- सड़क मार्ग:
- ऋषिकेश से श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) तक सड़क मार्ग से टैक्सी या कैब बुक करके आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह यात्रा लगभग 1-1.5 घंटे की होती है।
- ऋषिकेश से नीलकंठ तक जाने वाली बसें भी उपलब्ध हैं।
- पैदल यात्रा:
- कई श्रद्धालु ऋषिकेश से पैदल यात्रा करके नीलकंठ महादेव मंदिर तक पहुँचते हैं। यह यात्रा लगभग 14 किलोमीटर लंबी है और इसमें पहाड़ी रास्तों का सामना करना पड़ता है।
- पैदल यात्रा के दौरान आप सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं और यह एक धार्मिक अनुभव भी माना जाता है।
यात्रा सुझाव:
- आरामदायक जूते: पहाड़ी रास्तों के लिए आरामदायक और मजबूत जूतों का उपयोग करें।
- पानी और स्नैक्स: यात्रा के दौरान पानी और हल्के स्नैक्स साथ रखें।
- मौसम: मौसम की जानकारी लेकर उपयुक्त कपड़े पहनें, खासकर बारिश के मौसम में।
- सुरक्षा: पहाड़ी रास्तों पर चलते समय सावधानी बरतें और समूह में यात्रा करना सुरक्षित होता है।
नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) की यात्रा धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से एक अद्वितीय अनुभव है। यहाँ की यात्रा आपके लिए एक यादगार और आध्यात्मिक अनुभव साबित होगी।
Important things to visit the Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh in Hindi (नीलकंठ महादेव मंदिर जाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें)
नीलकंठ महादेव मंदिर की यात्रा को सुरक्षित, आरामदायक और यादगार बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। यहाँ कुछ प्रमुख सुझाव दिए जा रहे हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir) जाने वाला पहाड़ी रास्ता काफी छोटा और तरफ गहरी खायी होने के कारन खतरनाक है इसीलिए आप अगर सही से ड्राइव कर सकते है तो ही अपनी गाडी से जाये वरना ऋषिकेश से टैक्सी करले।
इस यात्रा में अगर आप के साथ छोटे बच्चे है तो खाने पीने का सामान अपने साथ जरूर लेले। क्योंकि रस्ते में आपको जयदा दुकाने नहीं मिलेगी। हालाँकि नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) जाते हुए कुछ गांव के बीच खाने पीने की दुकानें है लेकिन वहा ज्यादा उप्लभ्दता नहीं है। सावन के महीने में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ रहती है उस समय बाइक से आना सबसे भड़िया रहता है।
- मौसम का ध्यान रखें:
- सबसे अच्छा समय: यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से जून और सितंबर से नवंबर के बीच होता है।
- मानसून: मानसून के दौरान रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं, इसलिए बरसात के मौसम में विशेष सावधानी बरतें।
- सही कपड़े और जूते:
- आरामदायक और हल्के कपड़े पहनें।
- मजबूत और आरामदायक जूतों का उपयोग करें, खासकर अगर आप पैदल यात्रा कर रहे हैं।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा:
- अपने साथ पानी की बोतल और हल्के स्नैक्स रखें।
- प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखें।
- पहाड़ी मार्गों पर सावधानी बरतें और किसी भी अनजान जगह पर अकेले न जाएं।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको श्री नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh) के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आये तो हमारे फेसबुक पेज “PUBLIC GUIDE TIPS” को “LIKE” और “SHARE” जरुर करे।
धार्मिक और पर्यटक स्थलो की और अधिक जानकारी के लिए आप हमारे You Tube Channel PUBLIC GUIDE TIPS को जरुर Subscribe करे।
अगर आप हमे अपना कोई सुझाव देना चाहते है या यात्रा संबधित आपका कोई प्रश्न हो तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।