Narayani Shila Mandir Haridwar in Hindi | नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार में तर्पण से पितरों को मिलता है मोक्ष

Narayani Shila Mandir Haridwar:- नारायणी शिला मंदिर, देवभूमि उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान नारायण (विष्णु) को समर्पित है। यहाँ भक्तगण नारायणी शिला के रूप में भगवान विष्णु के धड़ की पूजा करते हैं। पितृ पक्ष के दौरान यहां देश के कोने कोने से हर रोज हजारों की संख्या में लोग अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने पहुंचते हैं। और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति कराते है। हरिद्वार में स्थित यह नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) कई हजार साल पुराना बताया जाता है। यहां पर अपने पितरो का पिंडदान करने और श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। हरिद्वार, जिसे ‘गंगा द्वार’ भी कहा जाता है, यह हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और यहाँ हर की पौड़ी जैसे प्रसिद्ध घाट भी हैं।

Narayani Shila Mandir Haridwar
Narayani Shila Mandir Haridwar

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। अगर आप भी अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण कराना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

Table of Contents

Narayani Shila Mandir Haridwar History in Hindi (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार का इतिहास)

प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) का इतिहास एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल के रूप में माना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे श्राद्ध तर्पण और पितृ पूजा के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। इस मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

Narayani Shila Mandir Haridwar
Narayani Shila Mandir Haridwar
  1. नारायणी शिला का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह माना जाता है कि इस शिला पर भगवान विष्णु ने निवास किया था और इसे पवित्र माना गया है।
  2. कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु का धड़ यानी कंठ से नाभि तक का हिस्सा नारायणी शिला में विराजमान है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
  3. नारायणी शिला मंदिर की स्थापना का सही समय अज्ञात नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि यह मंदिर प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
    मंदिर की स्थापना के पीछे अनेक धार्मिक मान्यताएँ और किंवदंतियाँ हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाती हैं।
  4. यह मंदिर पितृ पूजा और तर्पण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ पर श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण करते हैं।
  5. गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण, यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  6. नारायणी शिला मंदिर एक साधारण संरचना है, जिसमें प्राकृतिक शिला को पूजा स्थल के रूप में स्थापित किया गया है। इस शिला पर भगवान विष्णु का धड़ पाया जाता हैं।
  7. मंदिर की वास्तुकला सरल और प्राचीन शैली की है, जो इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाती है।
  8. यहाँ पर प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष के दौरान विशेष पूजा और तर्पण के आयोजन होते हैं। भक्तगण गंगा स्नान कर नारायणी शिला पर तर्पण करते हैं।
  9. मंदिर में नियमित रूप से भगवान विष्णु की आराधना,पितरो का तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

Narayani Shila Mandir Haridwar Story in Hindi (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार की पौराणिक कथा)

स्कंद पुराण में प्राचीन नारायणी शिला मंंदिर (Narayani Shila Mandir Haridwar) का वर्णन बड़े विस्तार से किया हुआ है। इस मंदिर के महंत पंडित श्री मनोज कुमार त्रिपाठी जी बताते हैं, कि स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार गयासुर नाम का राक्षस, नारद की प्रेरणा पाकर देवलोक से सीधा भगवान श्रीनारायण (विष्णु) से मिलने बद्रीधाम पहुंचे। लेकिन गयासुर राक्षस को बद्रीधाम का द्वार बंद मिला। इसी दौरान गयासुर राक्षस ने भगवान श्रीनारायण को युद्ध के लिए ललकारा और वहां पर रखे भगवान श्रीनारायण के कमलासन रूपी श्री विग्रह को उठाकर ले जाने लगा।

तभी भगवान श्रीनारायण (विष्णु) ने अपने गदा से गयासुर राक्षस पर प्रहार किया, तो गयासुर राक्षस ने कमलासन को आगे की और धकेल दिया। इससे कमलासन का ऊपर का एक भाग टूटकर वहीं गिरा, यानी मस्तक वाला हिस्सा गिरा, जिसे आज बद्रीनाथ धाम में ब्रह्म कपाल के नाम से जाना जाता है। इसका मध्य भाग टूटकर हरिद्वार के इस स्थान पर गिरा जहा पर आज प्राचीन नारायणी शिला मंदिर (Narayani Shila Mandir Haridwar) मौजूद है।

Narayani Shila Mandir Haridwar
Narayani Shila Mandir Haridwar

वास्तव में आज भी प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) में भगवान नारायण का धड़ यानी कंठ से नाभि तक का हिस्सा मौजूद है। और इस कमलासन का तीसरा भाग यानी की कमलासन के निचे का हिस्सा बिहार के गया में गिरा था। जहा पर भगवान श्रीनारायण (विष्णु) के चरण चिन्ह आज भी मौजूद है। भगवान श्री नारायण के चरणों में गिरकर ही गयासुर राक्षश की मौत हो गई थी। और वहीं उसको मोक्ष प्राप्त हुआ था। इसीलिए आज भी यह तीनों स्थल बहुत पवित्र माने जाते है। भगवान श्रीनारायण (विष्णु) ने कहा था कि जो भी मनुष्य अपने पितरो की मुक्ति इच्छा के लिए इन तीनों स्थानों पर तर्पण करेगा, उसे मुक्ति मिल जाएगी।

Importance of Narayani Shila Mandir Haridwar in Hindi (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार का महत्व)

प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस स्थान पर भगवान विष्णु का धड़ यानी उनके कंठ से नाभि तक वाला हिस्सा मौजूद हैं जो इस स्थान को अत्यंत पवित्र और पूजनीय बनाते हैं। इसके अलावा, यहाँ श्राद्ध तर्पण और पितृ पूजा के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। आइए, इस मंदिर के महत्व को विभिन्न पहलुओं में समझते हैं:

प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar)
प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar)
  • नारायणी शिला मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस स्थान पर भगवान विष्णु का धड़ यानी उनके कंठ से नाभि तक वाला हिस्सा मौजूद हैं । यह स्थान भगवान विष्णु की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
  • भक्तगण यहाँ भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करते हैं, जिससे उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • नारायणी शिला मंदिर श्राद्ध तर्पण और पितृ पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण करते हैं।
  • यह माना जाता है कि यहाँ किए गए तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
  • गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण, यह स्थान मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यधिक पूजनीय है। गंगा स्नान और नारायणी शिला पर तर्पण करने से भक्तगण अपने पापों से मुक्ति पाते हैं।
  • इस मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण और पवित्रता भक्तों को मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्रदान करती है।
  • गंगा नदी के पवित्र जल का स्पर्श और यहाँ की आध्यात्मिकता भक्तों के जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। यह स्थान धार्मिक अनुष्ठानों और तर्पण के लिए आदर्श माना जाता है।
  • नारायणी शिला मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर बनाती हैं। इन कथाओं के माध्यम से मंदिर की महत्ता और पवित्रता का प्रचार होता है।
  • विभिन्न धार्मिक उत्सवों और विशेष अवसरों पर यहाँ भक्तों की भीड़ होती है और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  • यह मंदिर हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। हरिद्वार की यात्रा के दौरान भक्तगण इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने अवश्य आते हैं।

प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ भगवान विष्णु की उपस्थिति और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है, जिससे यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय बनता है। इस मंदिर की यात्रा से भक्तगण आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।

One gets relief from Pitra Dosh in Narayani Shila Mandir Haridwar  (नारायणी शिला मंदिर में पितृ दोष से मिलती है मुक्ति)

प्राचीन नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) में पितृ दोष से मुक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यह मंदिर पितृ तर्पण और श्राद्ध के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहाँ भक्तगण अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ पितृ दोष से मुक्ति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और तर्पण किए जाते हैं।

What is Pitra Dosh (पितृ दोष क्या है?)

पितृ दोष (या पितृ ऋण) को हिंदू धर्म में एक अशुभ स्थिति माना जाता है, जो पूर्वजों की आत्मा की असंतुष्टि या उनके अधूरे कार्यों के कारण उत्पन्न होती है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याओं और बाधाओं का कारण बन सकता है। पितृ दोष के प्रमुख लक्षणों में संतानहीनता, आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य समस्याएँ और पारिवारिक कलह शामिल हैं।

Narayani Shila Mandir Haridwar
Narayani Shila Mandir Haridwar

नारायणी शिला मंदिर में पितृ दोष से मुक्ति के उपाय:

  1. श्राद्ध और तर्पण:
    • नारायणी शिला मंदिर में पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध किए जाते हैं।
    • तर्पण का अर्थ है जल चढ़ाना और यह क्रिया पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति देने के लिए की जाती है।
    • इस क्रिया में तिल, चावल, दूध और जल का उपयोग किया जाता है और विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  2. पिंडदान:
    • पिंडदान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसमें चावल के पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों की आत्मा को अर्पित किया जाता है।
    • यह अनुष्ठान पितरों की आत्मा को संतुष्ट करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है।
  3. गंगा स्नान:
    • नारायणी शिला मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है, और यहाँ गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
    • गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पवित्रता की प्राप्ति होती है। गंगा जल से तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  4. विशेष पूजा और हवन:
    • मंदिर में विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें पंडितों द्वारा विधिपूर्वक मंत्रोच्चार और हवन किया जाता है।
    • यह अनुष्ठान पितृ दोष से मुक्ति और परिवार में शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है।

How to reach Narayani Shila Mandir Haridwar in Hindi (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

दोस्तों अगर आप नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) में घूमने के लिए आना चाहते है तो नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार तक पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें हवाई, रेल और सड़क मार्ग शामिल हैं। आपकी यात्रा की शुरुआत स्थान और सुविधा के आधार पर इनमें से किसी एक या संयोजन का उपयोग किया जा सकता है। यहाँ “नारायणी शिला मंदिर” हरिद्वार तक पहुँचने के प्रमुख मार्गों का विवरण दिया गया है।

How To Reach Narayani Shila Mandir Haridwar by Flight in Hindi (फ्लाइट से नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार केसे पहुचें)

“नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार” (Narayani Shila Mandir Haridwar) का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है।

  1. जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (Dehradun Jolly Grant Airport):
    • हरिद्वार से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
    • देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, और हैदराबाद से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
    • हवाई अड्डे से हरिद्वार तक टैक्सी, कैब, या बस के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
Jolly Grant Dehradun Airport
Jolly Grant Dehradun Airport

How To Reach Narayani Shila Mandir Haridwar by Train in Hindi (ट्रेन से नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार केसे पहुचें)

हरिद्वार रेलवे स्टेशन (Haridwar Junction Railway Station) भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपको बतादे की हरिद्वार रेलवे स्टेशन से प्राचीन नारायण शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) की दुरी मात्र 2 किलोमीटर की है।

  1. Haridwar Junction Railway Station (हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन):
    • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और बेंगलुरु सहित देश के विभिन्न हिस्सों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
    • प्रमुख ट्रेनें जैसे शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस, और मसूरी एक्सप्रेस हरिद्वार तक जाती हैं।
    • रेलवे स्टेशन से शहर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी, और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।
Haridwar Junction Railway Station
Haridwar Junction Railway Station

How To Reach Narayani Shila Mandir Haridwar by Road in Hindi (सड़क मार्ग से नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार केसे जायें)

हरिद्वार सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। आपको बतादे की हरिद्वार बस स्टैंड से प्राचीन नारायण शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) की दुरी मात्र 1.1 किलोमीटर की है।

  1. Delhi to Haridwar (दिल्ली से हरिद्वार):
    • दिल्ली से हरिद्वार की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है।
    • दिल्ली से हरिद्वार तक जाने के लिए NH 334 (राष्ट्रीय राजमार्ग 334) का उपयोग किया जा सकता है।
    • दिल्ली से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 5-6 घंटे होता है।
  2. Dehradun to Haridwar (देहरादून से हरिद्वार):
    • देहरादून से हरिद्वार की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।
    • NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
    • देहरादून से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 1.5-2 घंटे होता है।
  3. Rishikesh to Haridwar (ऋषिकेश से हरिद्वार):
    • ऋषिकेश से हरिद्वार की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
    • NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
    • ऋषिकेश से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या ऑटो रिक्शा से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 30-45 मिनट होता है।
Haridwar Junction Railway Station
Haridwar Bus Stand

How to reach Narayani Shila Mandir Haridwar by Bus Services (बस सेवायो से नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार कैसे पहुंचे)

हरिद्वार तक पहुँचने के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) और अन्य निजी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। आपको बतादे की हरिद्वार बस स्टैंड से प्राचीन नारायण शिला मंदिर हरिद्वार (Narayani Shila Mandir Haridwar) की दुरी मात्र 1.1 किलोमीटर की है।

  1. Delhi to Haridwar (दिल्ली से हरिद्वार):
    • दिल्ली के कश्मीरी गेट और आनंद विहार बस अड्डे से हरिद्वार के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    • वॉल्वो, डीलक्स, और साधारण बसें विभिन्न सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं।
  2. Dehradun and Rishikesh to Haridwar (देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार):
    • देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार के लिए नियमित स्थानीय बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    • इन बसों में यात्रा करने का समय और किराया काफी सस्ता होता है।

Narayani Shila Mandir Haridwar (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार) तक पहुँचने के ये प्रमुख मार्ग आपकी सुविधा और बजट के अनुसार चुने जा सकते हैं। यात्रा की योजना बनाते समय मौसम और स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी यात्रा आरामदायक और सुखद हो।

Map of Narayani Shila Mandir Haridwar (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार का मेप)

दिल्ली से हरिद्वार तक आने के लिए बिलकुल सीधा ही रास्ता है। लेकिन अगर आप पहली बार अपनी फैमिली बच्चो या फिर अपने दोस्तों के साथ Narayani Shila Mandir Haridwar (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार) के दर्शन करने के लिए आ रहे है तो आपकी सुविधा के लिए हमने आपको हर की पौड़ी हरिद्वार तक पहुंचने के लिए मैप साजा किया हुआ है।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Narayani Shila Mandir Haridwar (नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार) के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।

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2. चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Temple Haridwar

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5. नीलकंठ महादेव मंदिर – Neelkanth Mahadev Temple Rishikesh

6. त्रिवेणी घात ऋषिकेश – Triveni Ghaat Rishikesh

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8. राम झूला ऋषिकेश – Ram Jhula Rishikesh

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10. झिलमिल गुफा ऋषिकेश – Jhilmil Gufa Rishikesh

11. शिवपुरी ऋषिकेश – Shivpuri Rishikesh

12. यमनोत्री धाम मंदिर – Yamnotri Dham Temple

13. गंगोत्री धाम मंदिर – Gangotri Dham Temple

14. केदारनाथ धाम मंदिर – Kedarnath Dham Temple

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15. गोमुख यात्रा – Gomukh Yatra

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