Mankeshwar Mahadev Mandir in hindi | मंकेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास, मंकेश्वर महादेव का अध्बुध चमत्कार, समुद्र मंथन से जुडी है मंकेश्वर मंदिर की कहानी?
मंकेश्वर महादेव का मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले में देवबंद शहर के मानकी गांव में स्थित है हिन्दू धर्म के इस प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर का इतिहास भक्तो को स्वत: ही अपनी ओर आकर्षित करता है ऐसी मान्यता है की कश्मीर में अमरनाथ के बाद मंकेश्वर महादेव मंदिर की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है।
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समुद्र मंथन से जुडी है मंकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी ( Story of mankeshwar mahadev mandir in hindi)
हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अनुसार ऐसी पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन चल रहा था। तो उस दौरान भगवान शिव ने मानकी गांव की धरा पर ही अपना आसन जमाया था। इसीलिए इस मंदिर की महिमा नीलकंठ महादेव मंदिर के समान ही मानी जाती है।
मंकेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक कथा (Legend of Mankeshwar Mahadev Temple in hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार महादेव के इस मंदिर का रहस्य हजारो साल पुराना एक मुस्लिम परिवार से जुड़ा है। उसी के मुताबिक मंकेश्वर महादेव का मंदिर जिस भूमि पर स्थापित है। वह भूमि गाड़ा बिरादरी के एक मुस्लिम परिवार की थी। ऐसी मान्यता है की एक बार मुस्लिम किसान अपना खेत जोत रहा था। उसी दौरान उसका हल भूमि पर पड़े एक पत्थर से टकरा गया जिससे उस पत्थर का कोना टूट गया।
किसान जब उस पत्थर पर ध्यान गया तो उसमे से रक्त और दूध की धारा निकल रही थी। इस चमत्कारी घटना को स्वयं अपनी आँखों से देख किसान काफी घबरहा गया। और उस पत्थर पर मिटटी डालकर अपने घर वापस लोट आया। और अपने घर वालो से इस बात की चर्चा की।
जब किसान अगले दिन अपने खेत में गया तो उसने देखा की उस पत्थर के ऊपर से मिट्टी हटी हुई थी। और उस भूमि पर जमकर ऊपर की तरफ प्रकट हो गया। तभी किसान ने उस पत्थर के दोनों तरफ से मिटटी हटाकर उसको हटाने की बहुत कोशिश की परन्तु वह पत्थर उसकी खेत की भूमि पर जम गया था।
मुस्लिम किसान के खेत से स्वयं प्रकट हुआ था महादेव का शिवलिंग
घटना को देख मुस्लिम किसान अपने नगर के हिंदू समाज के लोगों के पास गया और उस घटना की पूरी जानकारी उनको बताई। तब किसान को पता लगा की उसके खेत से स्वयं महादेव प्रकट हुए है। तभी उसने अपनी खेत की जमीन मंदिर की स्थापना के लिए छोड़ दी। कहते है की तभी से यह मंदिर सिद्धपीठ होने के साथ-साथ मुस्लिम एकता का एक प्रतिक माना जाता है। आप आज भी इस मंदिर में आकर शिवलिंग पर लगा हल का निसान देख सकते है।
मंकेश्वर महादेव मंदिर में हर साल सावन के महीने में चौदस का मेला लगता है। जिसमे दूर-दूर से बड़ी संख्या में कांवड़िये महादेव के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूरी करते है। जब हमने इस सिद्धपीठ मंदिर के महंत राज सिंह गोसाई से पूछा। तो उन्होंने हमे बताया कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने विष पिया था। तो मानकी गांव में आसन लगाने के बाद ही उन्होंने नीलकंठ महादेव मंदिर पर अपना आसन लगाया था।
मंकेश्वर महादेव के मुख्य पुजारी बालीस्टर गिरि
जब हमने इस मंदिर में जाकर यहां के मुख्य पुजारी बालीस्टर गिरि से पूछा तो उन्होंने बताया की करीब 500 साल से पीढ़ी दर पीढ़ी इनके पूर्वजो के वंश से चली आ रही है और इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी सच्ची श्रद्धा से मनोकामना लेकर आता है मंकेश्वर महादेव शीर्घ ही अपने भक्तो की मनोकाना पूरी करते है देवबंद शहर से लगभग 3 km दूर है मंकेश्वर महादेव का मंदिर जिसमे देशभर से श्रद्धलु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यहां आते है। इस मंदिर में महादेव का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था।
हम उम्मीद करते है की Mankeshwar Mahadev Mandir in hindi | मंकेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा।
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