Lakshman Jhula Rishikesh:- लक्ष्मण झूला ऋषिकेश में एक प्रसिद्ध झूला है जो गंगा नदी के ऊपर बना हुआ है। इस पूल यानी झूले की लम्बाई लगभग 450 फिट की है। और इस झूले को लगभग 1929 में बनवाया गया था। इस झूले का नाम लक्ष्मण झूला इसलिए रखा गया था। क्योंकि इस स्थान की पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। इसलिए इसे “लक्ष्मण झूला” कहा जाता है। लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) का एक ऐतिहासिक और धार्मिक प्रमुख पर्यटक स्थल है। और यहाँ से गंगा की सुंदरता का दृश्य देखने को मिलता है। लेकिन पर्यटकों (यात्रियों) की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस झूले को संन 2020 में बन्द कर दिया गया।
यहाँ से गंगा का शांत और पवित्र दृश्य, आसपास की पहाड़ियों का दृश्य और आध्यात्मिक वातावरण बहुत आकर्षक होता है। इसके आस-पास कई मंदिर और आश्रम हैं, जैसे इस पूल के पश्चिमी किनारे भगवान श्री लक्ष्मण का मंदिर है। जबकि इसके दूसरी ओर भगवान श्रीराम का मंदिर है। पुराणों में ऐसा कहा जाता है कि श्रीराम स्वयं इस सुंदर स्थल पर पधारे थे। लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) पूल को पार कर बाईं ओर पैदल रास्ता बदरीनाथ को तथा दायीं ओर स्वर्गाश्रम को जाता है। दोस्तों अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आज में आपको लक्ष्मण झूला से जुडी वो सभी रोचक बाते बताने वाला हूँ जो शायद अपने नहीं सुनी होगी।
Table of Contents
History of Lakshman Jhula Rishikesh in Hindi (लक्ष्मण झूला ऋषिकेश का इतिहास)
लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) देवभूमि उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला पुल है, जो गंगा नदी पर स्थित है। इसका संबंध भारतीय महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर एक जूट की रस्सी का उपयोग करके गंगा नदी को पार किया था, और इस कथा से ही इस पुल का नाम “लक्ष्मण झूला” पड़ा।
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ऋषिकेश में घूमने के लिए आये प्रयटक यहां पर जरूर आते है। और लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) पूल से माँ गंगा के सूंदर दृश्ये का अधभुध नजारा देखते है। लेकिन अब यह पूल प्रयटकों के लिए बंद कर दिया गया है। अधिक भीड़ और समय ज्यादा होने कारन इस पूल की नीव अब काफी कमजोर हो चुकी है। इसीलिए संन 2019 में ही लक्ष्मण झूला पूल को प्रयटकों के लिए बंद कर दिया गया था। इस पुल के पश्चिमी तरफ भगवान श्री लक्ष्मण का मंदिर और दूसरी तरफ भगवान श्री राम का मंदिर है। ऐसा कहा जाता है की भगवान श्रीराम यहां पर स्वयं पधारे थे। पुल का संपर्क एक और बदरीनाथ के रस्ते की तरफ और दूसरी और स्वर्गाश्रम की तरफ जाता है।
Construction of Lakshman Jhula Rishikesh in Hindi (लक्ष्मण झूला पूल का निर्माण कब हुआ था)
पुराणिक कथनानुसार भगवान श्रीराम के अनुज यानी उनके छोटे भ्राता लक्ष्मण ने इसी जगह गंगा नदी के ऊपर पर जूट की रस्सियों से कसकर इस पूल को तैयार किया था जिसके सहारे उन्होंने गंगा नदी को पार किया था। सन् 1889 में इस पूल को स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने लोहे के मजबूत तारों से बनवाया था। उसके बाद इस पूल का निर्माण 1923 में ब्रिटिश सरकार द्वारा करवाया गया था।
लेकिन बाढ़ के कारन तेज पानी के बहाव से यह पुल 1924 में ही बह गया था। जिसके बाद 1927 में इस पुल का पुनःनिर्माण कराया गया था। लगभग 3 साल के कार्य चलने के बाद 11 अप्रैल 1930 में यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ था। 450 फुट लम्बा यह पुल गंगा नदी के ऊपर झूलता रहता है। गंगा नदी गोमुख से निकलकर पर्वतो के बिच से बहती हुई ऋषिकेश के समुद्र तल यानि धरती को स्पर्श करती है।
Lakshman Jhula Rishikesh Story in Hindi (लक्ष्मण झूला ऋषिकेश पूल की कहानी)
हिन्दू ग्रन्थ के धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामायण के मुख्य पात्र जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान उत्तराखंड के जंगलों में आए, तो उन्होंने गंगा नदी को पार करने का प्रयास किया। ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मण ने गंगा नदी को पार करने के लिए एक जूट की रस्सी का सहारा लिया और नदी पार की। इस घटना को इस स्थान से जोड़ा जाता है, और इसलिए इस स्थान पर जब सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण हुआ, तो इसे “लक्ष्मण झूला” नाम दिया गया। यह पुल एक प्रतीक है जो भगवान श्री राम और लक्ष्मण की इस कथा को दर्शाता है।
Why was Lakshman Jhula closed (लक्ष्मण झूला बंद क्यों हुआ था)
लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) पुल का निर्माण 1929 में हुआ था और अब 94 साल के बने इस पुराने पूल की नीव काफी कमजोर हो चुकी है। जिसके चलते 12 जुलाई 2019 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस पूल को प्रयटक के आने जाने के लिए बंद करा दिया गया है। काफी पुराणा होने के कारन इस पूल में अब ज्यादा भार सहने की शमता नहीं रही है। कियुँकि पूल के ज्यादातर हिस्से काफी कमजोर हो चुके है। जो कभी भी गिर कर गंगा नदी में समां सकता है।
इस पूल पर हमेशा से ही पर्यटकों की आने जाने की संख्या बहुत अधिक रही है। जिसकी वजह से यह पूल एक तरफ से काफी अधिक झुक गया है। पर्यटकों के साथ किसी भी तरह की कोई अनहोनी न हो उसके चलते उत्तराखंड सरकार ने इस पूल को पूरी तरह से बंद किया है। लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है। इस पूल के पास में ही एक नए पूल का निर्माण शुरू किया हुआ है। जिसको लक्ष्मण झूला के नाम से ही जाना जायेगा।
Ram Jhula Rishikesh in Hindi (राम झूला ऋषिकेश)
लक्ष्मण झूला को देख पास में ही एक राम झूला (Ram Jhula Rishikesh) पूल भी बनाया गया था। जिसका इतिहास ज़्यदा पुराना नहीं बताया जाता, कहते है की 750 फुट लम्बे इस पूल को 1983 में बनाया गया था। जो की पर्यटकों के आने जाने के लिए खुला हुआ है। और इस पूल पर खड़े होकर पर्यटक गंगा नदी का अध्भुध नजारा देखते हुए अपनी सेल्फी भी क्लिक करते है। राम झूला पूल के पुरे इतिहास को जानने के लिए निचे दिए गए लिंक पर जरूर क्लिक करे।
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How to reach Lakshman Jhula Rishikesh in Hindi (लक्ष्मण झूला ऋषिकेश कैसे पहुंचे)
लक्ष्मण झूला आने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड राज्य के ऋषिकेश में आना होगा, जो की अद्भुत आकर्षणों से भरा एक खूबसूरत शहर है। आप ऋषिकेश की यात्रा वायु मार्ग, सड़क मार्ग या ट्रैन मार्ग के माध्यम से कर सकते हैं। और फिर वहां से लक्ष्मण झूला तक पहुंच सकते हैं। हमने आपको यहाँ पर लक्ष्मण झूला तक पहुंचने के विभिन्न मार्ग बताए हैं।
How to reach Lakshman Jhula Rishikesh by Air (वायु मार्ग से लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे)
- निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) है, जो ऋषिकेश से लगभग 20 किमी दूर है।
- हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस द्वारा ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। हवाई अड्डे से लक्ष्मण झूला तक पहुंचने में लगभग 40-45 मिनट का समय लगता है।
How to reach Lakshman Jhula Rishikesh by Rail (रेल मार्ग से लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे)
- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो शहर के केंद्र में स्थित है और लक्ष्मण झूला से करीब 5-6 किमी दूर है।
- रेलवे स्टेशन से आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस से लक्ष्मण झूला तक पहुंच सकते हैं। यात्रा में लगभग 15-20 मिनट लगते हैं।
How to reach Lakshman Jhula Rishikesh by Road (सड़क मार्ग से लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे)
- ऋषिकेश देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप दिल्ली, देहरादून, हरिद्वार और अन्य प्रमुख शहरों से सीधे बस, कार, या टैक्सी से ऋषिकेश पहुंच सकते हैं।
- दिल्ली से ऋषिकेश की दूरी लगभग 230 किमी है, और यहाँ से आप टैक्सी या बस से 5-6 घंटे में ऋषिकेश पहुंच सकते हैं।
- ऋषिकेश से लक्ष्मण झूला की दूरी लगभग 5-6 किमी है, और आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो, या बस से वहां पहुंच सकते हैं।
How to reach Lakshman Jhula Rishikesh by local Traffic स्थानीय यातायात से लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे
- ऋषिकेश के भीतर, आप ऑटो-रिक्शा या ई-रिक्शा ले सकते हैं, जो आपको लक्ष्मण झूला तक ले जाएगी।
- पैदल यात्रा भी एक अच्छा विकल्प है, खासकर अगर आप गंगा किनारे का आनंद लेना चाहते हैं। पैदल यात्रा में शहर से लक्ष्मण झूला तक पहुंचने में लगभग 30-45 मिनट का समय लगता है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको लक्ष्मण झूला ऋषिकेश (Lakshman Jhula Rishikesh) के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।
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