Kawad Yatra 2024 Start Date:- कावड़ यात्रा या काँवर यात्रा एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक यात्रा है, जिसमें शिव भक्त (कांवड़िये) गंगाजल लाकर भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। यह यात्रा मुख्यतः सावन (श्रावण) के महीने में होती है, जो जुलाई-अगस्त के बीच पड़ता है। कांवड़ यात्रा विशेष रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में प्रचलित है। इस बार सावन (श्रावण) के महीने की शुरुवात 22 जुलाई से हो रही है और समाप्ति 19 अगस्त को होगी। इसी बिच (Kawad Yatra 2024) कावड़ यात्रा 2024 शुरू होगी। और हरिद्वार कांवड़ मेला 22 जुलाई से शुरू होकर 3 अगस्त 2024 तक चलेगा।
दोस्तों अगर आप इस बार शुरू होने वाली कावड़ यात्रा 2024 (Kawad Yatra 2024) पर जाने की प्लानिंग कर रहे है, तो इस आर्टिकल में हम आपको कावड़ यात्रा 2024 की वो सारी की सारी जानकारी देने वाले है। जिसका जानना आपके लिए बहुत जरुरी है। तो आइये हर हर महादेव का नाम लेकर शुरू करते है अपनी कावड़ यात्रा।
Table of Contents
When will Kavad Yatra 2024 start and Date कावड़ यात्रा 2024 कब से शुरू होगी
कावड़ यात्रा 2024 (Kawad Yatra 2024) की शुरुआत सावन (श्रावण) महीने के पहले दिन से होगी। इस बार सावन के महीने का प्रारंभ हिन्दू पंचांग के अनुसार 22 जुलाई 2024 दिन (सोमवार) से शुरू हो रहा है। और कावड़ यात्रा इसी दिन से शुरू होगी और सावन महीने की समाप्ति 19 अगस्त 2024 दिन (सोमवार) तक चलेगी। इस बार सावन के महीने की शुरुवात सोमवार से शुरू होगी और सावन की समाप्ति भी सोमवा को होगी।
महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- सावन मास की शुरुआत: 22 जुलाई 2024 (सोमवार)
- सावन मास की समाप्ति: 19 अगस्त 2024 (सोमवार)
जल भरने की महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- 22 जुलाई 2024 (सोमवार): सावन मास का पहला दिन और पहला सोमवार, जब भक्त गंगा नदी से जल भरना शुरू करेंगे।
- 29 जुलाई 2024 (सोमवार): सावन का दूसरा सोमवार।
- 5 अगस्त 2024 (सोमवार): सावन का तीसरा सोमवार।
- 12 अगस्त 2024 (सोमवार): सावन का चौथा सोमवार।
- 19 अगस्त 2024 (सोमवार): सावन का पांचवा सोमवार, सावन मास की समाप्ति भी इसी दिन होगी।
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Kawad Yatra 2024 Shivratri Jal Date कावड़ यात्रा 2024 शिवरात्रि में जल कब चढ़ेगा
वैसे तो सावन के पुरे महीने शिव भक्त भगवान शिव के शिवलिंग पर जल अर्पित करते है, लेकिन शिवरात्रि एक ऐसा पर्व होता है। जिस दिन जल चढ़ाना विशेष माना जाता है। जिस दिन के लिए कावड़िये मिलो दूर पैदल चलकर अपने नजदीकी शिवालय में भगवान शिव का जल अभिषेक करते है।
02 August 2024 (शुक्रवार): शिवरात्रि जिस दिन भगवान शिव का जल अभिषेक होगा
What is Kavad Yatra कावड़ यात्रा क्या होती है?
कावड़ यात्रा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। इसमें शिव भक्त (कांवड़िये) गंगा नदी से पवित्र जल लेकर अपने नजदीकी शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है।
कावड़ का अर्थ
कावड़ एक विशेष प्रकार की संरचना होती है, जो खोखले बॉस के डंडे की बनी होती है। जिसका उपयोग भक्त गंगाजल लाने के लिए करते हैं। कावड़ एक बांस की छड़ी होती है, जिसके दोनों सिरों पर गंगाजल से भरे पात्र लटके होते हैं। भक्त इसे अपने कंधों पर रखकर यात्रा करते हैं।
कावड़ यात्रा की प्रक्रिया
- जल भरना: भक्त गंगा नदी के किसी पवित्र स्थल, जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री आदि से गंगाजल भरते हैं।
- यात्रा: गंगाजल भरने के बाद, भक्त इसे लेकर पैदल यात्रा करते हैं। यात्रा के दौरान वे भजन, कीर्तन और जयकारे लगाते हुए चलते हैं।
- गंतव्य: भक्त अपने नजदीकी शिव मंदिर या ज्योतिर्लिंग पर पहुंचकर गंगाजल चढ़ाते हैं।
यात्रा की तैयारी और सुझाव:
- यात्रा की योजना: अपनी यात्रा की तारीख पहले से निर्धारित करें। सावन के सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए इन तिथियों के आसपास यात्रा की योजना बनाना अच्छा रहेगा।
- आवश्यक वस्त्र और सामान: यात्रा के लिए आरामदायक कपड़े, जूते, टोपी, सनस्क्रीन, प्राथमिक चिकित्सा किट, और खाने-पीने का सामान साथ रखें।
- सुरक्षा और स्वच्छता: यात्रा के दौरान अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखें। स्वच्छता बनाए रखें और कचरा उचित स्थान पर फेंकें।
- आवास: यात्रा के दौरान ठहरने की व्यवस्था पहले से कर लें। हरिद्वार और अन्य प्रमुख स्थलों पर धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध होते हैं।
कावड़ यात्रा का महत्व:
कावड़ यात्रा का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी से पवित्र जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाना है। यह यात्रा न केवल भक्तों के लिए धार्मिक अनुभव है, बल्कि उनके मनोबल, शारीरिक सहनशक्ति और भक्ति की परीक्षा भी है। (Kawad Yatra 2024) में भी लाखों शिव भक्त अपनी श्रद्धा और उत्साह के साथ कावड़ यात्रा में भाग लेंगे, जिससे पूरे माहौल में भक्ति और उत्साह की लहर दौड़ेगी।
यात्रा के मुख्य स्थल:
- हरिद्वार: यह कावड़ यात्रा का सबसे प्रमुख स्थल है, जहाँ से अधिकांश भक्त गंगाजल भरते हैं।
- गौमुख और गंगोत्री: कुछ भक्त इन स्थानों से भी गंगाजल लाते हैं, जो यात्रा का एक कठिन मार्ग है।
How many types of Kavad कावड़ कितने प्रकार की होती है
कावड़ यात्रा में उपयोग की जाने वाली कावड़ मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है, जिन्हें उनके आकार, डिजाइन और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। यहाँ उन चार प्रमुख प्रकारों का विवरण है।
- सरल कावड़ (Simple Kanwar):
- यह सबसे साधारण प्रकार की कावड़ होती है।
- इसमें बांस की एक साधारण लकड़ी होती है, जिसके दोनों सिरों पर गंगाजल के पात्र बंधे होते हैं।
- इसे भक्त अपने कंधों पर रखकर पैदल चलते हैं।
- डाक कावड़ (Dak Kanwar):
- इस कावड़ को भक्त बिना रुके चलते हुए अपने गंतव्य तक पहुँचाते हैं।
- इसे ‘डाक कावड़’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें यात्री बिना विश्राम के यात्रा करते हैं, ठीक जैसे डाक सेवा निरंतर चलती है।
- इस प्रकार की कावड़ यात्रा में सामान्यतः युवा और अधिक उत्साही भक्त शामिल होते हैं।
- रथ कावड़ (Rath Kanwar):
- यह कावड़ एक रथ या गाड़ी पर रखी जाती है, जिसे भक्त खींचते हैं।
- इस प्रकार की कावड़ यात्रा में यात्रा करना अपेक्षाकृत आसान होता है, खासकर बुजुर्ग और बच्चों के लिए।
- इसमें सजावट और भव्यता अधिक होती है, और इसे यात्रा के दौरान विशेष रूप से सजाया जाता है।
- खड़ी कावड़ (Khadi Kanwar):
- इस कावड़ को विशेष प्रकार से तैयार किया जाता है, ताकि इसे खड़ा रखा जा सके।
- इसमें बीच में एक लंबी छड़ी होती है, जिसके दोनों सिरों पर गंगाजल के पात्र होते हैं, और बीच में एक स्थिरता बनाए रखने के लिए सपोर्ट होता है।
- इसे खड़ा रखने के लिए विशेष ध्यान और संतुलन की आवश्यकता होती है।
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ये कावड़ विभिन्न प्रकार के होते हुए भी एक ही उद्देश्य को पूरा करते हैं: गंगाजल को शिवलिंग पर चढ़ाना और भगवान शिव को प्रसन्न करना। भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इन कावड़ों का चयन करते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ यात्रा संपन्न करते हैं।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Kawad Yatra 2024 की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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