Jageshwar Dham Mandir :- देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे कई धार्मिक स्थल है। जिनका वर्णन आज भी पुराणों में मिलता है। देवताओं की देवभूमि और ऋषि मुनियो की तपोभूमि उत्तरखंड में ऐसे कई ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर है। जिसमे हमारे सनातन धर्म हिन्दू श्रद्धालुओं की अगाध आस्था है। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल जागेश्वर धाम मंदिर है। जो उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर समूह है। यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है और यहां पर 124 से अधिक प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें से अधिकांश मंदिर 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुए थे। यह स्थान जटागंगा नदी के किनारे, घने देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है, और समुद्र तल से लगभग 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) को ‘धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर’ माना जाता है, और यहां पर कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ‘महामृत्युंजय मंदिर‘ और ‘जागेश्वर महादेव मंदिर’ शामिल हैं। महामृत्युंजय मंदिर भगवान शिव का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यहां हर साल सावन के महीने में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, विशेषकर शिवरात्रि और श्रावणी मेलों के दौरान। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। जागेश्वर धाम के चारों ओर का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है, जो भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपको जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) के पुरे इतिहास, निर्माण, महकत्व, रहस्य, पौराणिक कथा और आप कब जाये, कैसे जाये, और कहा पर रुके ये सारी की सारी कम्पलीट इनफार्मेशन आपको इस आर्टिकल के अंदर बताने वाला हूँ इसीलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
Table of Contents
History of Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम का इतिहास)
जागेश्वर धाम मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण है। यह स्थान मुख्य रूप से भगवान शिव के मंदिरों के समूह के लिए जाना जाता है, और इसे “शिव की नगरी” के नाम से भी जाता है। जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) का उल्लेख प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान एक समय में तपस्या और योग का केंद्र था। यहाँ पर प्राचीन ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। जागेश्वर धाम के मंदिरों का निर्माण कत्युरी राजाओं द्वारा 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच किया गया था, लेकिन कुछ मंदिरों के निर्माण का इतिहास इससे भी पुराना माना जाता है।
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तब और बढ़ गया जब कत्युरी राजाओं ने यहां पर मंदिरों का निर्माण किया और इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया। कत्युरी राजाओं के बाद, चंद राजवंश ने भी इस क्षेत्र में शासन किया और उन्होंने भी जागेश्वर धाम के मंदिरों का जीर्णोद्धार और विस्तार किया। इस दौरान कई मंदिरों में कलात्मकता और वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलता है।
Mythology of Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम मंदिर की पौराणिक कथा)
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो इस स्थान की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाती हैं। पुराणों के अनुसार, एक समय में इस स्थान पर ऋषि मुनियों और साधुओं की तपस्या के लिए एक बहुत ही पवित्र और शांत क्षेत्र था। यहां के घने जंगलों में ऋषि-मुनि भगवान शिव की आराधना में लीन रहते थे। इन ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इस स्थान पर प्रकट होकर अपने दिव्य रूप का दर्शन दिया। लेकिन, कुछ समय बाद, यहां की पवित्रता और शांति को राक्षसों और दुष्ट आत्माओं ने भंग कर दिया। उन्होंने साधुओं और ऋषियों की तपस्या में बाधा डालनी शुरू कर दी, जिससे ऋषि-मुनि बहुत परेशान हो गए। वे भगवान शिव से इन दुष्ट शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करने लगे।
ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने जागेश्वर धाम में एक विशेष रूप में प्रकट होकर उन सभी दुष्ट शक्तियों का विनाश किया और इस स्थान को पुनः पवित्र बना दिया। भगवान शिव के इस जागृत और उग्र रूप के कारण इस स्थान का नाम “जागेश्वर” पड़ा, जिसका अर्थ है “जागृत ईश्वर”। इसके बाद, भगवान शिव ने ऋषियों को आश्वासन दिया कि वे हमेशा इस स्थान पर उपस्थित रहेंगे और उनके भक्तों की रक्षा करेंगे। उन्होंने अपनी शक्ति और आशीर्वाद से इस स्थान को इतना पवित्र बना दिया कि यहां पूजा करने से भक्तों के सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी कारण जागेश्वर धाम में शिवलिंग की स्थापना हुई, और यह स्थान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बन गया।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, धन के देवता कुबेर ने भी इस स्थान पर भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस कारण, जागेश्वर धाम में कुबेर की भी पूजा की जाती है, और इस स्थान को धन और समृद्धि के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इन पौराणिक कथाओं ने जागेश्वर धाम को न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में बल्कि एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी प्रतिष्ठित किया है, जहाँ आकर भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।
When was Jageshwar Dham Mandir Built? (जागेश्वर धाम मंदिर का निर्माण कब हुआ था)
जागेश्वर धाम के मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इन मंदिरों का निर्माण कत्युरी राजाओं के शासनकाल में हुआ, जो उस समय उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र पर शासन करते थे। कत्युरी राजवंश उत्तराखंड के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण राजवंशों में से एक था, और उन्होंने जागेश्वर धाम में अधिकांश मंदिरों का निर्माण करवाया। कत्युरी राजाओं के बाद, चंद राजवंश के शासकों ने भी इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और विस्तार किया।
जागेश्वर धाम के मंदिरों की वास्तुकला उत्तर भारतीय नागर शैली की है, जो उस समय की अद्वितीय शिल्पकला को दर्शाती है। ये मंदिर पत्थरों से निर्मित हैं और इनमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। हालांकि जागेश्वर धाम के कुछ मंदिरों की उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि इनका निर्माण 9वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ और 13वीं शताब्दी तक कई मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार किया गया।
Importance of Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम मंदिर का महत्व)
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित मंदिरों का समूह है। यहाँ शिव के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और यह स्थान हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है।
जागेश्वर धाम मंदिर का धार्मिक महत्व
- शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दावा: जागेश्वर धाम मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने का दावा किया जाता है, हालांकि इसे आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। फिर भी, यह भगवान शिव के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ ‘जागेश्वर महादेव’ और ‘महामृत्युंजय’ मंदिर में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा होती है।
- महामृत्युंजय मंत्र का केंद्र: जागेश्वर धाम मंदिर के ‘महामृत्युंजय मंदिर’ में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व है। इस मंत्र को जीवन की समस्याओं से मुक्ति और लंबी आयु के लिए जाप किया जाता है। यहाँ आकर भक्त इस मंत्र का जाप करते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- तीर्थ यात्रा का हिस्सा: जागेश्वर धाम मंदिर को उत्तराखंड की पंच-केदार यात्रा में भी शामिल किया जाता है। यह स्थान विशेषकर सावन के महीने में श्रद्धालुओं से भरा रहता है, जब यहाँ श्रावणी मेला आयोजित किया जाता है।
जागेश्वर धाम मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
- प्राचीन मंदिर समूह: जागेश्वर धाम में 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बने 124 से अधिक प्राचीन मंदिर हैं, जो उत्तर भारतीय नागर शैली की उत्कृष्ट मूर्तिकला और वास्तुकला को दर्शाते हैं। ये मंदिर कत्युरी और चंद राजवंश के काल में बने थे, और आज भी यह स्थान इतिहास और कला प्रेमियों को आकर्षित करता है।
- संस्कृति और शिल्प का धरोहर: इन मंदिरों में जो मूर्तियां और शिलालेख हैं, वे उस समय की संस्कृति, धार्मिक विश्वासों और शिल्प कौशल की धरोहर को दर्शाते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इन मंदिरों को संरक्षित धरोहर घोषित किया है।
जागेश्वर धाम मंदिर का आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व
- शांतिपूर्ण वातावरण: जागेश्वर धाम मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है। यह स्थान देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित है, जो इसे ध्यान और साधना के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। यहाँ आने वाले लोग प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।
- आध्यात्मिक केंद्र: प्राचीन काल से ही यह स्थान साधना और तपस्या का केंद्र रहा है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, बल्कि ध्यान और योग के माध्यम से आत्मिक शांति की खोज भी करते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर का सांस्कृतिक महत्व
- स्थानीय संस्कृति का प्रतीक: जागेश्वर धाम मंदिर उत्तराखंड की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यहाँ आयोजित होने वाले त्यौहार, मेलों और धार्मिक अनुष्ठानों में स्थानीय संस्कृति की झलक मिलती है।
- सामाजिक एकता का केंद्र: यहाँ हर साल श्रद्धालु विभिन्न हिस्सों से आकर एकत्र होते हैं, जिससे सामाजिक एकता और सामूहिकता का भी संदेश मिलता है।
Mystery of Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम मंदिर का रहस्य)
जागेश्वर धाम मंदिर से जुड़े कई रहस्य और मिथक हैं जो इसे एक अद्वितीय और रहस्यमय स्थान बनाते हैं। इन रहस्यों ने इस स्थान को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। आइए कुछ प्रमुख रहस्यों पर नज़र डालते हैं।
1. ज्योतिर्लिंग का रहस्य
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) को कभी-कभी भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने का दावा किया जाता है, लेकिन यह दावा विवादित है और इसे आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। कई भक्त मानते हैं कि यहां भगवान शिव के रूप में एक गुप्त ज्योतिर्लिंग मौजूद है, जिसे केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति से ही महसूस किया जा सकता है। इस रहस्य के कारण जागेश्वर धाम को लेकर श्रद्धालुओं में गहरा विश्वास और आकर्षण बना रहता है।
2. मंदिरों का प्राचीन इतिहास और निर्माण
जागेश्वर धाम के मंदिरों का निर्माण कब और कैसे हुआ, इस पर भी रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि ये मंदिर 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कत्युरी और चंद राजाओं द्वारा बनवाए गए थे, लेकिन कुछ मंदिरों की उत्पत्ति इससे भी पुरानी हो सकती है। कई मंदिरों की स्थापत्य शैली और शिल्पकला में अनोखी विशेषताएं हैं, जिनका सटीक स्रोत अज्ञात है। कुछ लोक कथाओं के अनुसार, इन मंदिरों का निर्माण देवताओं और ऋषियों के द्वारा रातोंरात किया गया था।
3. जटागंगा नदी का पवित्र जल
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) के पास बहने वाली जटागंगा नदी का जल अत्यधिक पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इस नदी का जल भगवान शिव की जटाओं से उत्पन्न हुआ था, इसी कारण इसे “जटागंगा” नाम दिया गया। इस नदी के जल में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। इस नदी का जल कभी सूखता नहीं है, और इसे लेकर भी कई रहस्यमय कथाएं प्रचलित हैं।
4. शिवलिंग का आत्म-प्रकट होना
कुछ मान्यताओं के अनुसार, जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) में स्थित शिवलिंग स्वयंभू है, अर्थात यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ था और इसकी स्थापना किसी मानव द्वारा नहीं की गई थी। यह शिवलिंग अपनी ऊर्जा और दिव्यता के कारण विशेष रूप से पूजनीय है, और इसे लेकर कई रहस्य और लोक कथाएं हैं।
5. भूत-प्रेत और आध्यात्मिक शक्ति का स्थान
कई स्थानीय निवासियों और भक्तों का मानना है कि जागेश्वर धाम के आस-पास का क्षेत्र भूत-प्रेत और अन्य आध्यात्मिक शक्तियों का निवास स्थान है। यहां आने वाले कई लोगों ने असाधारण घटनाओं का अनुभव किया है, जैसे कि अज्ञात आवाजें सुनाई देना या किसी अदृश्य शक्ति की उपस्थिति महसूस होना। इन घटनाओं ने जागेश्वर धाम को एक रहस्यमयी स्थल के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है।
6. कुबेर की उपस्थिति का रहस्य
कुछ मान्यताओं के अनुसार, जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) में धन के देवता कुबेर भी उपस्थित हैं। कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ भगवान शिव की तपस्या की थी। इस कारण जागेश्वर धाम में कुबेर की पूजा भी की जाती है, और यहाँ आकर भक्त धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
How to reach Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे)
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है और इसे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए विभिन्न साधन उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. हवाई मार्ग से जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे
- निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर हवाई अड्डा, जो जागेश्वर धाम से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- हवाई अड्डे से आगे की यात्रा: पंतनगर हवाई अड्डे से जागेश्वर धाम तक पहुंचने के लिए टैक्सी या बस की सुविधा उपलब्ध है।
2. रेल मार्ग से जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे
- निकटतम रेलवे स्टेशन: काठगोदाम रेलवे स्टेशन, जो जागेश्वर धाम से लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेलवे स्टेशन से आगे की यात्रा: काठगोदाम से जागेश्वर धाम तक जाने के लिए टैक्सी, बस, या अन्य स्थानीय परिवहन उपलब्ध हैं।
3. सड़क मार्ग से जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे
- निकटतम प्रमुख शहर: अल्मोड़ा, जो जागेश्वर धाम से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- बस सेवा: अल्मोड़ा से जागेश्वर धाम के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अल्मोड़ा के अलावा, हल्द्वानी, काठगोदाम, और पिथौरागढ़ से भी जागेश्वर धाम के लिए बसें मिलती हैं।
- टैक्सी सेवा: यदि आप अधिक सुविधा चाहते हैं, तो आप हल्द्वानी, अल्मोड़ा, या काठगोदाम से टैक्सी किराए पर लेकर भी जागेश्वर धाम तक पहुंच सकते हैं।
4. सड़क मार्ग से यात्रा (स्वयं के वाहन से) जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) तक सड़क मार्ग से जाना एक अच्छा विकल्प है, विशेषकर अगर आप उत्तराखंड के सुंदर परिदृश्यों का आनंद लेना चाहते हैं। प्रमुख शहरों से जागेश्वर धाम के लिए सड़क मार्ग की दूरी।
- दिल्ली से जागेश्वर धाम की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है।
- अल्मोड़ा से 37 किलोमीटर।
- नैनीताल से 100 किलोमीटर।
When should one visit Jageshwar Dham Mandir? (जागेश्वर धाम मंदिर कब जाना चाहिए)
जागेश्वर धाम मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मौसम की स्थिति और आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। यहाँ यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय और मौसम के अनुसार अनुभव दिए जा रहे हैं।
1. गर्मियों का मौसम (मार्च से जून)
- मौसम: इस समय यहाँ का मौसम बहुत ही सुखद होता है, दिन का तापमान 15°C से 30°C के बीच रहता है।
- यात्रा का अनुभव: गर्मियों के दौरान, पहाड़ों की ठंडी हवा और हरे-भरे जंगलों का आनंद लेने के लिए यह आदर्श समय है। यह मौसम विशेष रूप से उन लोगों के लिए अच्छा है जो गर्मी से बचने के लिए पहाड़ों में जाना चाहते हैं।
2. शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर)
- मौसम: इस समय मौसम साफ और ठंडा रहता है, तापमान 10°C से 25°C के बीच रहता है।
- यात्रा का अनुभव: यह समय भी यात्रा के लिए आदर्श है क्योंकि मॉनसून समाप्त हो चुका होता है और आस-पास की हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है। यहाँ के पहाड़ों और जंगलों का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
3. मॉनसून का मौसम (जुलाई से अगस्त)
- मौसम: इस दौरान भारी बारिश होती है, जिससे तापमान 15°C से 25°C के बीच रहता है।
- यात्रा का अनुभव: मॉनसून के दौरान यात्रा की योजना बनाने से बचना बेहतर होता है क्योंकि इस समय भूस्खलन और सड़कें अवरुद्ध होने का खतरा रहता है। हालांकि, इस समय के दौरान जागेश्वर धाम और उसके आसपास की हरियाली बहुत सुंदर होती है, लेकिन यात्रा थोड़ी जोखिम भरी हो सकती है।
4. सर्दियों का मौसम (दिसंबर से फरवरी)
- मौसम: इस दौरान मौसम बहुत ठंडा होता है, और तापमान 0°C से 15°C तक गिर सकता है। कभी-कभी बर्फबारी भी होती है।
- यात्रा का अनुभव: यदि आप बर्फबारी का आनंद लेना चाहते हैं और सर्दियों में पहाड़ों की यात्रा का अनुभव करना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए सही हो सकता है। हालाँकि, ठंड के कारण यह समय सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, और कई बार बर्फबारी के कारण कुछ सड़कें बंद हो सकती हैं।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
- श्रावणी मेला: यदि आप धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो सावन (जुलाई-अगस्त) के महीने में आयोजित होने वाले श्रावणी मेले के दौरान जागेश्वर धाम जाना एक अनोखा अनुभव हो सकता है। हालाँकि, इस समय भीड़ अधिक होती है और मौसम बारिश से प्रभावित हो सकता है।
Places to visit around Jageshwar Dham Mandir (जागेश्वर धाम मंदिर के आसपास की घूमने की जगह)
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) के आसपास कई खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थान हैं, जो इस क्षेत्र की यात्रा को और भी दिलचस्प बना देते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची दी गई है, जिन्हें आप जागेश्वर धाम के दौरे के दौरान देख सकते हैं।
1. धारानिधार शिव मंदिर
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 2 किमी
- विशेषता: यह एक प्राचीन शिव मंदिर है जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यहाँ से आपको घाटी और आसपास के जंगलों का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। यह स्थान शांति और ध्यान के लिए उपयुक्त है।
2. कसार देवी मंदिर
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 45 किमी (अल्मोड़ा के पास)
- विशेषता: यह मंदिर अल्मोड़ा जिले में स्थित है और अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान ‘विल्सन एक्स’ पर स्थित है, जो ग्रहों के बेल्ट का हिस्सा माना जाता है। इसे ‘हिप्पी ट्रेल’ का हिस्सा भी कहा जाता है और यह पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
3. कटारमल सूर्य मंदिर
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 80 किमी (अल्मोड़ा के पास)
- विशेषता: यह 9वीं शताब्दी का प्राचीन सूर्य मंदिर है, जो अपने अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह सूर्य देवता को समर्पित है और उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है।
4. बिनसर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 50 किमी
- विशेषता: यह वन्यजीव प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहाँ आप विभिन्न प्रकार के पक्षियों, वन्यजीवों और दुर्लभ पेड़ों को देख सकते हैं। बिनसर से हिमालय की बर्फीली चोटियों का अद्भुत दृश्य भी देखा जा सकता है।
5. पाताल भुवनेश्वर
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 100 किमी
- विशेषता: यह एक गुफा मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर पत्थरों से बनी अद्भुत संरचनाएँ और प्राकृतिक शिल्पकला देखने को मिलती है। यह स्थान अपने रहस्यमय वातावरण और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
6. चंडिका देवी मंदिर
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 35 किमी (रानीखेत के पास)
- विशेषता: यह देवी चंडिका को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यहाँ से आसपास की घाटियों का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है और यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
7. सुपई गांव
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 5 किमी
- विशेषता: यह एक सुंदर और पारंपरिक कुमाऊँनी गांव है। यहाँ आपको स्थानीय संस्कृति, जीवनशैली और पारंपरिक कुमाऊँनी घरों का अनुभव मिलेगा। सुपई गांव में समय बिताना आपको उत्तराखंड के ग्रामीण जीवन की झलक देगा।
8. अल्मोड़ा
- दूरी: जागेश्वर धाम मंदिर से लगभग 37 किमी
- विशेषता: अल्मोड़ा एक प्रमुख शहर है और अपने पुराने किलों, मंदिरों, और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ आप ब्राइट एंड कॉर्नर, गोविंद वल्लभ पंत संग्रहालय, और अल्मोड़ा के बाजारों का दौरा कर सकते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) के आसपास के ये स्थान प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक आस्था का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करते हैं। आप इन स्थानों की यात्रा कर एक समृद्ध और संपूर्ण अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
Hotels near Jageshwar Dham Temple (जागेश्वर धाम मंदिर के पास होटल)
जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) के पास ठहरने के लिए कई होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं, जो विभिन्न बजट और सुविधाओं के अनुसार विकल्प प्रदान करते हैं। यहां कुछ प्रमुख होटल और गेस्टहाउस की सूची दी गई है।
1. KMVN (कुमाऊं मंडल विकास निगम) गेस्ट हाउस
- विवरण: यह गेस्टहाउस सरकारी प्रबंधन के तहत संचालित होता है और जागेश्वर धाम के बहुत करीब स्थित है। यहां उचित दरों पर साफ-सुथरे कमरे उपलब्ध हैं। यह स्थान अच्छे भोजन और ठहरने की सुविधाएं प्रदान करता है।
- सुविधाएं: रेस्टोरेंट, गर्म पानी, 24 घंटे रूम सर्विस।
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 500 मीटर
2. होटल जागेश्वर इन
- विवरण: यह एक निजी होटल है जो आरामदायक कमरे और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है। होटल से मंदिर और आसपास के क्षेत्र का अच्छा दृश्य मिलता है।
- सुविधाएं: रेस्टोरेंट, पार्किंग, टूर गाइड।
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 1 किमी
3. होटल शिवालय
- विवरण: यह बजट होटल है जो सरल लेकिन स्वच्छ और आरामदायक आवास प्रदान करता है। यह होटल जागेश्वर धाम के बहुत नजदीक स्थित है।
- सुविधाएं: रूम सर्विस, पार्किंग, टूर गाइड।
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 1 किमी
4. वन्याचल रिट्रीट
- विवरण: यह एक उच्च श्रेणी का रिसॉर्ट है जो प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित है। यह स्थान उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो प्राकृतिक परिवेश के बीच शांति और आराम की तलाश में हैं।
- सुविधाएं: लक्ज़री कमरे, रेस्टोरेंट, स्पा, कैंपिंग सुविधा।
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 7 किमी
5. होटल महामृत्युंजय
- विवरण: यह एक साधारण और बजट-अनुकूल होटल है जो मंदिर के पास स्थित है। होटल सरल सुविधाओं के साथ साफ-सुथरे कमरे प्रदान करता है।
- सुविधाएं: रूम सर्विस, पार्किंग।
- दूरी: जागेश्वर धाम से लगभग 2 किमी
6. धर्मशालाएं और आश्रम
- विवरण: यदि आप साधारण और धार्मिक वातावरण में ठहरने का अनुभव करना चाहते हैं, तो मंदिर के आसपास कई धर्मशालाएं और आश्रम उपलब्ध हैं। इनमें ठहरना सस्ता होता है और साधारण भोजन की सुविधा भी मिलती है।
- दूरी: जागेश्वर धाम के पास ही स्थित है।
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दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको जागेश्वर धाम मंदिर (Jageshwar Dham Mandir) की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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