History of Haridwar in Hindi: देव भूमि उत्तराखंड राज्य में स्थित “हरिद्वार” जिसे हरी का द्वार यानी हर की नगरी और हरी की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हर शब्द का अर्थ भगवान शिव यानी महादेव से जुड़ा है। और हरी शब्द का अर्थ भगवान विष्णु से जुड़ा है। गंगा नदी के निकट स्थित हरिद्वार को उत्तराखंड में स्थित चारधाम जैसे यमनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, केदरनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। ज्यादातर श्रद्धालु हरिद्वार में स्नान करने के बाद अपनी चार धाम यात्रा शुरू करते है।
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको पब्लिक गाइड टिप्स की इस पोस्ट में देव भूमि उत्तराखंड राज्य में स्थित “हरिद्वार” अर्थात “हरिद्वार का इतिहास” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। यदि आप हरिद्वार यानि हर की नगरी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है। तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।
Table of Contents
Haridwar History in Hindi हरिद्वार का प्राचीन इतिहास
“हरिद्वार” देव भूमि उत्तराखंड राज्य में स्थित भारत के सात सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह बहुत ही पुराणी एक प्राचीन नगरी है। जिसका इतिहास बहुत ही पुराना और रहस्य से भरा हुआ है। इसी स्थान पर ब्रह्मा विष्णु महेश धरती पर प्रकट हुए थे। जिस वजह से इस स्थान को भगवान शिव की भूमि और भगवान विष्णु की भूमि भी है। सबसे पहले इस स्थान का नाम मायापुरी शहर के नाम से जाना जाता था। इसी स्थान पर माँ गंगा धरती को स्पर्श करती है। इसीलिए इसे गंगाद्वार भी कहा जाता है। वास्तव में इसका नाम “गेटवे ऑफ़ द गॉड्स” है । यह कह सकते है की शिवालिक पहाडियों के निचे बसा हरिद्वार भारत की संस्कृति और प्राचीन सभ्यता का खजाना है।
हरिद्वार का प्राचीन क नाम “माया” या “मायापुरी” है। जिसकी गिनती आज भी सप्तमोक्षदायिनी पुरियो में होती है। यही कारन है की हरिद्वार का एक भाग आज भी “मायापुरी” के नाम से प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था। तब अमृत की कुछ बुँदे हरिद्वार में गिर गयी थी। जिसकी वजह से आज भी हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। हरिद्वार में 6 साल बाद अर्धकुम्भ और 12 साल बाद महाकुम्भ का आयोजन बड़े ही धूम धाम से किया जाता है। हर साल सावन के महीने में यहां पर कावड़ मेले का भी आयोजन होता है यह हरिद्वार में होने वाले सबसे महत्वपूर्ण मेले है।
पवित्र गंगा नदी के तट पर बसे “हरिद्वार” का शाब्दिक अर्थ “हर” और “हरी” तक पहुचने का “द्वार” है।
हरिद्वार को देव भूमि के चार प्रमुख स्थलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। जो की हिन्दू धर्मं के बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है “बदरीनाथ” यानी “भगवान विष्णु” और “केदारनाथ” यानी “भगवान शिव” के तीर्थ स्थान (मार्ग) पर जाने का रास्ता हरिद्वार से ही जाता है। इसलिए यह जगह “हरिद्वार” और “हरद्वार” दोनों ही नामों से आज भी प्रशिद्ध है।
हरिद्वार में ऋषि कपिल मुनि ने कठोर तपस्या की थी।इसलिए इस स्थान को “कपिलास्थान” नाम से संबोधित किया जाता है।
Har ki Pauri History in Hindi (हर की पौड़ी का इतिहास)
प्राचीन काल में हर की पौड़ी घाट का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई “ब्रिथारी” (भर्तृहरि) की याद में करवाया था। भर्तृहरि यहां गंगा नदी के तट पर बैठकर दीर्घकाल तक ध्यान किया करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी के इस स्थान पर भगवान् ब्रह्मा की तपस्या की थी। राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उनके समक्ष प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने यह वरदान माँगा कि हे प्रभु इस स्थान को भगवान् के नाम से ही जाना जाए। तभी से हर की पौड़ी को ‘ब्रह्म कुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। हर की पौड़ी पर एक पत्थर में भगवान श्री हरी विष्णु के पदचिन्ह भी बने हए है। जो भक्तो के लिए आस्था का केंद्र है।
Some important things about Haridwar in Hindi (हरिद्वार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते)
वैसे तो हरिद्वार में यात्रियों की हमेशा ही भीड़ लगी रहती है। लेकिन जब कोई विशेष पर्व जैसे पूर्णिमा, अमावश्या होती है। तो श्रद्धालुओं की स्नान करने के अधिक भीड़ होती है। कावड़ मेले और कुम्भ मेले तो यहां पर लाखो करोडो की तादात में यात्रियों की भीड़ लगती है।
Aarti of Ganga maiya (गंगा मैया की आरती)
हरिद्वार हर की पौड़ी पर प्रतिदिन सुबह और शाम के समय माँ गंगा की आरती का भव्य नजारा देखने को मिलता है। जिसमे स्थानीय मंदिरो के पुजारी गंगा तट पर प्रचंड जोत जलाकर माँ गंगा की आरती करते है। इस दौरान हर की पौड़ी का घाट रोशनी से पूरा जगमगा उठता है। गंगा आरती के समय भक्तो की काफी भीड़ उमड़ जाती है।
गंगा आरती का समय – गंगा आरती प्रतिदिन सुबह 06:00 बजे – 07:00 बजे और शाम 06:00 बजे – 07:00 बजे
Haridwar Nearest Airport (हरिद्वार नजदीकी हवाई अड्डा )
हरिद्वार पहुंचने के लिए सबसे नज़दीक हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है।
Accommodation in Haridwar (हरिद्वार में रहने की व्यवस्था)
हरिद्वार में रहने के आपको जगह जगह पर बहुत सारी धर्मशाला और छोटे से लेकर बड़े होटल्स मिल जायँगे। हम यह कह सकते है की हरिद्वार में यात्रियों के ठहरने के लिए उचित प्रबंध है।
Separate ghat for women (महिलाओ के लिए अलग घाट)
हरिद्वार में वैसे तो आपको जगह जगह पर बहुत सारे स्नान घात मिल जायँगे। लेकिन ज्यादातर श्रद्धालु हर की पौड़ी वाले घाट पर स्नान करते है। इसीलिए आपको हर की पैडी पर महिलाओ और पुरषों के लिए अलग घाटो की व्यव्यस्था की गयी है।
How to reach Haridwar in Hindi (हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)
हरिद्वार पहुंचने के लिए आपके पास 3 ऑप्शन है। वैसे तो हरिद्वार रेल और बस दोनों मार्ग से जुड़ा है। सबसे अछि बात यह है की हरिद्वार का रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों आमने सामने ही है। यहां से हर की पौड़ी 3 km की दुरी पर है। यहां से आप ऑटो या रिक्शा से आराम से जा सकते है। और अगर हवाई जहाज से हरिद्वार पहुंचना चाहते है। तो जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून सबसे नजदीक है इस हवाई अड्डे से हरिद्वार 37 km दूर है। जहा से आप टैक्सी या बस पकड़कर हरिद्वार आ सकते है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको (History of Haridwar in Hindi) हरिद्वार के इतिहास और कुछ रोचक तत्थ के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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दोस्तों अगर आप हरिद्वार, ऋषिकेश और उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के धार्मिक और पर्यटक स्थलो के बारे में पूरी जानकारी जानना चाहते है। तो नीचे दिए गए Link पर Click करे।
1. मनसा देवी मंदिर हरिद्वार – Mansa Devi Temple Haridwar
2. चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Temple Haridwar
3. माया देवी मंदिर हरिद्वार – Maya Devi Temple Haridwar
4. दक्ष मंदिर हरिद्वार – Daksha Temple Haridwar
4. हरिद्वार के टॉप टूरिस्ट स्पॉट्स – Top tourist spots of Haridwar
5. नीलकंठ महादेव मंदिर – Neelkanth Mahadev Temple Rishikesh
6. त्रिवेणी घात ऋषिकेश – Triveni Ghaat Rishikesh
7. लक्ष्मण झूला ऋषिकेश – Lakshman Jhula Rishikesh
8. राम झूला ऋषिकेश – Ram Jhula Rishikesh
9. वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश – Veerbhadra Temple Rishikesh
10. झिलमिल गुफा ऋषिकेश – Jhilmil Gufa Rishikesh
11. शिवपुरी ऋषिकेश – Shivpuri Rishikesh
12. यमनोत्री धाम मंदिर – Yamnotri Dham Temple
13. गंगोत्री धाम मंदिर – Gangotri Dham Temple
14. केदारनाथ धाम मंदिर – Kedarnath Dham Temple
15. बद्रीनाथ धाम मंदिर – Badrinath Dham Temple
15. गोमुख यात्रा – Gomukh Yatra
16. भरत मंदिर ऋषिकेश – Bharat Mandir Rishikesh