Haridwar History In Hindi | हरिद्वार का इतिहास और कुछ रोचक तत्थ के बारे

Haridwar History In Hindi :- देव भूमि उत्तराखंड राज्य में स्थित “हरिद्वार” जिसे हरी का द्वार यानी हर की नगरी और हरी की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हर शब्द का अर्थ “भगवान शिव” यानी महादेव से जुड़ा है। और हरी शब्द का अर्थ भगवान विष्णु” से जुड़ा है। गंगा नदी के निकट स्थित हरिद्वार को उत्तराखंड में स्थित चारधाम जैसे यमनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, केदरनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। ज्यादातर श्रद्धालु “हरिद्वार” में स्नान करने के बाद अपनी चार धाम यात्रा शुरू करते है।

Har ki Pauri Haridwar

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको देव भूमि उत्तराखंड राज्य में स्थित “हरिद्वार” अर्थात “हरिद्वार का इतिहास” (Haridwar History In Hindi) और कुछ रोचक तत्थ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। यदि आप हरिद्वार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है। तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

Haridwar History In Hindi (हरिद्वार का इतिहास)

हरिद्वार का इतिहास प्राचीन और समृद्ध है, जो इसे भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है। यह क्षेत्र सदियों से धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटनाओं का केंद्र रहा है।

  1. प्राचीन काल: हरिद्वार का उल्लेख सबसे पहले वेदों और पुराणों में मिलता है। इसे सप्तपुरियों में से एक माना जाता है, जो हिंदू धर्म के सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। हरिद्वार का नाम भगवान हरि (विष्णु) और द्वार (दरवाजा) से जुड़ा है, जिसका अर्थ “भगवान का द्वार” है। इसे गंगा नदी के किनारे होने के कारण विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है।
  2. मध्यकालीन काल: हरिद्वार का उल्लेख महाभारत और रामायण में भी मिलता है। यह स्थान पांडवों के तपस्या स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के कंकल मंदिर और अन्य पुरातात्विक स्थलों से इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता का प्रमाण मिलता है।
  3. मुगल काल: मुगल साम्राज्य के दौरान, हरिद्वार का धार्मिक महत्व बना रहा। अकबर के शासनकाल में, उसने हरिद्वार के कुम्भ मेले में हिस्सा लिया और वहाँ से गंगा जल को अपने दरबार में ले जाया। मुगल शासनकाल में हरिद्वार के घाटों और मंदिरों का पुनर्निर्माण और संरक्षण किया गया।
  4. ब्रिटिश काल: ब्रिटिश शासन के दौरान, हरिद्वार एक प्रमुख तीर्थस्थल बना रहा। 1868 में, हरिद्वार में रेलवे लाइन बिछाई गई, जिससे यहाँ आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई। अंग्रेजों ने यहाँ की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण भी किया।
  5. स्वतंत्रता संग्राम: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, हरिद्वार ने भी अपनी भूमिका निभाई। महात्मा गांधी सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों ने यहाँ के धार्मिक आयोजनों और मेलों में भाग लिया और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूक किया।
  6. आधुनिक काल: स्वतंत्रता के बाद, हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल बन गया। यहाँ के प्रमुख मंदिरों, आश्रमों और घाटों का विकास और संरक्षण किया गया है। हरिद्वार में योग और आयुर्वेद का भी विशेष महत्व है, जिसमें पतंजलि योगपीठ जैसे संस्थान प्रमुख भूमिका निभाते हैं।Har ki Pauri Haridwar

हरिद्वार का इतिहास उसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ के तीर्थस्थलों, मेलों और धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर भक्त और पर्यटक भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गहरी झलक प्राप्त करते हैं।

Har ki Pauri Haridwar History in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार का इतिहास)

हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे पवित्र और प्रमुख घाट है, जिसका धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। इसका इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है और इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र स्थान माना जाता है।

Har ki Pauri Haridwar
Haridwar History In Hindi
  1. पौराणिक इतिहास:
    • हर की पौड़ी का संबंध भगवान विष्णु और भगवान शिव से जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने यहाँ पर अपने चरण कमल रखे थे, जिससे इस स्थान का नाम “हर की पौड़ी” पड़ा। “हर” का अर्थ भगवान शिव या भगवान विष्णु होता है, और “पौड़ी” का अर्थ सीढ़ी या घाट होता है।
    • एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय, जब अमृत कलश निकला था, तो कुछ बूँदें हर की पौड़ी में गिरी थीं, जिससे यह स्थान पवित्र हो गया।
  2. ऐतिहासिक इतिहास:
    • हर की पौड़ी का वर्तमान स्वरूप राजा विक्रमादित्य के समय का है। राजा विक्रमादित्य ने इसे अपने भाई भृतहरि की याद में बनवाया था, जिन्होंने यहाँ पर तपस्या की थी।
    • इसके बाद, 16वीं शताब्दी में, राजा मानसिंह ने हर की पौड़ी घाट का पुनर्निर्माण और विस्तार किया। उन्होंने यहाँ पर पत्थर की सीढ़ियाँ और घाट बनाए, जिससे यहाँ स्नान करना और भी सुगम हो गया।
  3. मध्यकालीन इतिहास:
    • मुगल काल के दौरान, हर की पौड़ी का धार्मिक महत्व बना रहा और यहाँ के घाटों और मंदिरों का संरक्षण किया गया।
    • अंग्रेजी शासनकाल में, हर की पौड़ी का और भी विकास हुआ। 1868 में, हरिद्वार में रेलवे लाइन बिछाई गई, जिससे हर की पौड़ी तक पहुँचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई।
  4. आधुनिक काल:
    • स्वतंत्रता के बाद, हर की पौड़ी का संरक्षण और विकास किया गया। यहाँ पर गंगा आरती का आयोजन हर दिन शाम को किया जाता है, जो हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
    • हर की पौड़ी पर कुम्भ मेला और अर्धकुम्भ मेले का आयोजन होता है, जो हर 12 और 6 साल में होता है। इन मेलों में लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करके अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
  5. वास्तुकला और संरचना:
    • हर की पौड़ी पर मुख्य रूप से पत्थर की सीढ़ियाँ और घाट हैं, जहाँ भक्तजन गंगा में स्नान करते हैं। यहाँ पर भगवान विष्णु के पदचिन्हों का एक निशान भी है, जिसे पवित्र माना जाता है।
    • यहाँ के प्रमुख मंदिरों में गंगा मंदिर और हरिहर आश्रम शामिल हैं।

हर की पौड़ी का इतिहास और धार्मिक महत्व इसे हरिद्वार के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक बनाता है। यहाँ पर गंगा स्नान, गंगा आरती और धार्मिक अनुष्ठान हरिद्वार यात्रा को एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं।

Some important things about Haridwar in Hindi (हरिद्वार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते)

हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख धार्मिक और तीर्थस्थल है। यहाँ की पवित्रता, धार्मिक अनुष्ठान, और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक विशिष्ट स्थान बनाते हैं। यहाँ हरिद्वार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं:

Har ki Pauri Haridwar
Haridwar History In Hindi
  1. धार्मिक महत्व:
    • हरिद्वार को हिंदू धर्म में सात सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।
    • यह स्थान विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे पर स्थित है, जहाँ भक्तगण गंगा में स्नान करके अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
    • यहाँ पर हर की पौड़ी सबसे प्रमुख घाट है, जहाँ गंगा आरती का आयोजन हर दिन शाम को होता है।
  2. प्रमुख त्यौहार और मेले:
    • कुम्भ मेला: हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं।
    • अर्धकुम्भ मेला: हर 6 साल में आयोजित होने वाला यह मेला भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    • कावड़ यात्रा: श्रावण मास में आयोजित यह यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाती है, जिसमें वे गंगा जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
  3. प्रमुख मंदिर और स्थल:
    • हर की पौड़ी: यह हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट है, जहाँ गंगा आरती का आयोजन होता है।
    • मनसा देवी मंदिर: यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है और देवी मनसा को समर्पित है।
    • चंडी देवी मंदिर: नील पर्वत पर स्थित यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है।
    • माया देवी मंदिर: यह प्राचीन मंदिर देवी माया को समर्पित है और हरिद्वार के शक्तिपीठों में से एक है।
    • भारत माता मंदिर: यह मंदिर भारत माता (माँ भारत) को समर्पित है और इसमें भारत के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक और भौगोलिक झलक देखने को मिलती है।
    • पतंजलि योगपीठ: बाबा रामदेव द्वारा स्थापित यह योग और आयुर्वेद केंद्र है।
  4. प्राकृतिक सौंदर्य:
    • हरिद्वार गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बनाता है।
    • यहाँ के आस-पास के पहाड़ और हरियाली पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
    • राजाजी नेशनल पार्क: हरिद्वार के पास स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहाँ बाघ, हाथी, और अन्य वन्यजीव देखे जा सकते हैं।
  5. योग और आयुर्वेद:
    • हरिद्वार योग और आयुर्वेद के लिए भी प्रसिद्ध है।
    • यहाँ पतंजलि योगपीठ जैसे संस्थान हैं, जहाँ लोग योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  6. आवागमन:
    • हरिद्वार भारत के प्रमुख शहरों से सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
    • यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 35 किमी दूर है।
    • हरिद्वार रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  7. आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर:
    • हरिद्वार की गलियाँ और घाट प्राचीन संस्कृति और धर्म की झलक दिखाते हैं।
    • यहाँ के आश्रम और मठ ध्यान और साधना के लिए आदर्श स्थान हैं।

हरिद्वार का यह समृद्ध इतिहास, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल बनाते हैं।

Ganga Maiya Aarti in Haridwar (हरिद्वार में गंगा मैया की आरती)

हरिद्वार में गंगा मैया की आरती एक अत्यंत पवित्र और मंत्रमुग्ध कर देने वाला धार्मिक अनुष्ठान है। यह आरती हर की पौड़ी घाट पर प्रतिदिन सुबह और शाम को की जाती है और हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। गंगा आरती का उद्देश्य गंगा नदी, जिसे हिंदू धर्म में माँ का दर्जा दिया गया है, को सम्मानित और पूजित करना है। यहाँ हरिद्वार में गंगा मैया की आरती से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं।

Haridwar History in Hindi
Haridwar History in Hindi
  1. समय और स्थान:
    • गंगा आरती हर की पौड़ी घाट पर प्रतिदिन सूर्यास्त के समय होती है। आरती का समय मौसम के अनुसार बदलता रहता है, लेकिन सामान्यत: यह शाम को 6:00 बजे से 7:00 बजे के बीच होती है।
  2. प्रक्रिया:
    • आरती की शुरुआत पंडितों (पुजारियों) द्वारा पवित्र मंत्रों और श्लोकों के उच्चारण से होती है।
    • पंडित बड़े-बड़े दीपों (दीयों) को जलाते हैं और घी का उपयोग करके आरती करते हैं। यह दीपक विशेष रूप से आरती के लिए बनाए जाते हैं और उनमें कई बातियाँ होती हैं।
    • दीपकों को जलाने के बाद, पंडित गंगा नदी के सामने आरती करते हैं, और इस दौरान वे आरती के भजन गाते हैं।
    • आरती के समय घंटियों और शंखों की आवाजें गूंजती हैं, जिससे वातावरण अत्यंत दिव्य और आध्यात्मिक हो जाता है।
  3. श्रद्धालुओं की भागीदारी:
    • आरती के समय हजारों श्रद्धालु हर की पौड़ी घाट पर एकत्रित होते हैं। वे अपने हाथों में दीपक जलाकर आरती में भाग लेते हैं।
    • श्रद्धालु आरती के समय गंगा मैया से अपने मन की मुरादें माँगते हैं और पवित्र जल में दीपक बहाते हैं।
    • आरती के बाद, लोग पवित्र गंगा जल अपने घरों में ले जाते हैं और इसे अपने दैनिक पूजा में उपयोग करते हैं।
  4. महत्व:
    • गंगा आरती का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसे देखने और इसमें भाग लेने से मन और आत्मा की शांति मिलती है।
    • यह आरती गंगा नदी के पवित्रता और उसकी महिमा को सम्मानित करने का एक माध्यम है।
    • आरती के समय का दृश्य बहुत ही मनोहारी होता है, जब सैकड़ों दीपक गंगा नदी में तैरते हैं और चारों ओर दीपों की रौशनी होती है।
  5. विशेष अवसर:
    • खास पर्वों और त्योहारों के समय, जैसे कुम्भ मेला, अर्धकुम्भ मेला, गंगा दशहरा, और मकर संक्रांति, आरती का आयोजन और भी भव्य तरीके से किया जाता है।
    • इन अवसरों पर लाखों श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं और गंगा मैया की आरती में भाग लेते हैं।
  6. पर्यटन आकर्षण:
    • गंगा आरती हरिद्वार के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक है। इसे देखने के लिए हरिद्वार आने वाले पर्यटक भी बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं।
    • विदेशी पर्यटक भी इस अद्वितीय धार्मिक अनुष्ठान को देखने के लिए आकर्षित होते हैं और भारतीय संस्कृति की गहरी झलक प्राप्त करते हैं।

गंगा मैया की आरती हरिद्वार में एक ऐसा अनुभव है जो जीवनभर याद रहता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है। हर की पौड़ी पर गंगा आरती का दृश्य हरिद्वार यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण और स्मरणीय हिस्सा होता है।

Separate Ghat for Women in Haridwar (हरिद्वार में महिलाओ के लिए अलग घाट)

हरिद्वार में महिलाओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष घाट बनाए गए हैं, जहां महिलाएं आराम से स्नान और पूजा कर सकती हैं। ये घाट सुनिश्चित करते हैं कि महिलाओं को भीड़भाड़ से बचते हुए अपने धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने की सुविधा मिले। कुछ प्रमुख घाट जहां महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान होते हैं।

Haridwar History in Hindi
Haridwar History in Hindi
  1. गऊ घाट:
    • गऊ घाट हर की पौड़ी के पास स्थित है और यह महिलाओं के लिए सुरक्षित और संरक्षित घाटों में से एक है। यहाँ महिलाओं के स्नान के लिए अलग से व्यवस्थाएँ की गई हैं ताकि वे आराम से और बिना किसी असुविधा के गंगा स्नान कर सकें।
  2. भैरो घाट:
    • भैरो घाट भी महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान है। यहाँ पर अलग-अलग सेक्शन बनाए गए हैं ताकि महिलाएं और पुरुष अलग-अलग स्नान कर सकें। यह घाट भी हर की पौड़ी के नजदीक है और यहाँ स्नान के दौरान सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  3. सुभाष घाट:
    • सुभाष घाट महिलाओं के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण घाट है। यहाँ पर स्नान के लिए पर्याप्त जगह और साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था होती है।
  4. विपिन बिहारी घाट:
    • इस घाट पर भी महिलाओं के लिए अलग स्नान क्षेत्र होता है, जिससे वे बिना किसी भीड़भाड़ के स्नान कर सकें।

इन घाटों पर महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। हरिद्वार प्रशासन और स्थानीय प्रबंधन द्वारा समय-समय पर इन घाटों की साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाता है ताकि श्रद्धालु महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

हरिद्वार (Haridwar History In Hindi) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इतना अधिक है कि यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु के लिए सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है, और महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक स्नान घाटों की व्यवस्था इसी का हिस्सा है।

Accommodation in Haridwar (हरिद्वार में रहने की व्यवस्था)

हरिद्वार में रहने के लिए कई प्रकार की व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं, जो विभिन्न बजट और सुविधाओं के अनुसार विभाजित हैं। यहाँ के होटलों, गेस्ट हाउसों, धर्मशालाओं और आश्रमों में ठहरने की अच्छी व्यवस्थाएँ हैं। यहाँ कुछ प्रमुख ठहरने के विकल्पों का विवरण दिया गया है। हरिद्वार में विभिन्न श्रेणियों के होटल उपलब्ध हैं, जो आपकी सुविधाओं और बजट के अनुसार विकल्प प्रदान करते हैं।

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  1. लग्जरी होटल्स:
    • होटल गंगा लाहड़ी: हर की पौड़ी के पास स्थित, यह होटल आरामदायक और सुविधाजनक है।
    • होटल हवेली हरिगंगा: एक हेरिटेज प्रॉपर्टी जो आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक वातावरण प्रदान करती है।
    • गंगोत्री होटल: प्रीमियम सेवाओं और सुविधाओं के साथ एक प्रसिद्ध होटल।
  2. मिड-रेंज होटल्स:
    • होटल अलकनंदा: अच्छे कमरे और सुविधाओं के साथ किफायती दाम पर।
    • होटल सुहाना पैलेस: यह होटल आरामदायक रहने की सुविधा प्रदान करता है।
    • होटल सूर्य लोकर: किफायती और आरामदायक होटल, परिवारों के लिए उपयुक्त।
  3. बजट होटल्स:
    • होटल भावना क्लार्क्स इन: बजट में रहते हुए अच्छी सुविधाएँ प्रदान करता है।
    • होटल कश्यप: किफायती दाम में रहने की सुविधा।
    • होटल नीलम: बजट यात्रियों के लिए उपयुक्त।
धर्मशालाएं और आश्रम

धार्मिक यात्रियों के लिए धर्मशालाएं और आश्रम अच्छे विकल्प हो सकते हैं।

  1. भरत सेवाश्रम संघ: हर की पौड़ी के पास स्थित, यह धर्मशाला आरामदायक और किफायती है।
  2. श्री राधा कृष्ण धाम: यहाँ अच्छी सुविधा और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है।
  3. गीता भवन: धार्मिक यात्रियों के लिए विशेष रूप से बनाया गया, यह एक प्रमुख आश्रम है।
  4. पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर धर्मशाला: यह धर्मशाला जैन समुदाय के लिए खासतौर पर बनाई गई है।
गेस्ट हाउस और लॉज

हरिद्वार में गेस्ट हाउस और लॉज भी उपलब्ध हैं, जो कि सस्ती और आरामदायक रहने की व्यवस्था प्रदान करते हैं।

  1. शांति गेस्ट हाउस: किफायती दाम पर अच्छे कमरे और सुविधाएं।
  2. गंगा गेस्ट हाउस: यहाँ गंगा नदी के नजदीक रहते हुए प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है।
  3. शिवाय लॉज: परिवारों के लिए एक अच्छा विकल्प।
सर्विस अपार्टमेंट्स

अगर आप हरिद्वार में लंबे समय तक ठहरने की योजना बना रहे हैं, तो सर्विस अपार्टमेंट्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

  1. ओयो अपार्टमेंट्स: अच्छी सुविधाओं के साथ सर्विस अपार्टमेंट्स।
  2. स्टेवल सर्विस अपार्टमेंट्स: यहाँ आपको घर जैसी सुविधाएं और आराम मिलेगा।
अन्य सुविधाएँ
  1. कैम्पिंग साइट्स: हरिद्वार के आसपास कई कैम्पिंग साइट्स भी हैं जो साहसिक यात्रियों के लिए उपयुक्त हैं।
  2. होमस्टे: स्थानीय लोगों के घरों में ठहरने का अनुभव प्राप्त करने के लिए होमस्टे भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

हरिद्वार में रहने के लिए आपको कई विकल्प मिलेंगे, चाहे आपका बजट जो भी हो। धार्मिक स्थलों के पास ठहरने की योजना बनाना सुविधाजनक रहेगा, खासकर अगर आप गंगा स्नान और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेना चाहते हैं।

How to reach Haridwar (हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

हरिद्वार तक पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें हवाई, रेल और सड़क मार्ग शामिल हैं। आपकी यात्रा की शुरुआत स्थान और सुविधा के आधार पर इनमें से किसी एक या संयोजन का उपयोग किया जा सकता है। यहाँ हरिद्वार तक पहुँचने के प्रमुख मार्गों का विवरण दिया गया है।

How to reach Haridwar by Air (हवाई मार्ग से हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

हरिद्वार का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है।

  1. जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (Dehradun Airport):
    • हरिद्वार से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
    • देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, और हैदराबाद से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
    • हवाई अड्डे से हरिद्वार तक टैक्सी, कैब, या बस के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

How to reach Haridwar by Train (रेल मार्ग से हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

हरिद्वार रेलवे स्टेशन (Haridwar Junction) भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

  1. हरिद्वार जंक्शन:
    • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और बेंगलुरु सहित देश के विभिन्न हिस्सों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
    • प्रमुख ट्रेनें जैसे शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस, और मसूरी एक्सप्रेस हरिद्वार तक जाती हैं।
    • रेलवे स्टेशन से शहर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी, और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।

How to reach Haridwar by Road (सड़क मार्ग से हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

हरिद्वार सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

  1. दिल्ली से हरिद्वार:
    • दिल्ली से हरिद्वार की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है।
    • दिल्ली से हरिद्वार तक जाने के लिए NH 334 (राष्ट्रीय राजमार्ग 334) का उपयोग किया जा सकता है।
    • दिल्ली से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 5-6 घंटे होता है।
  2. देहरादून से हरिद्वार:
    • देहरादून से हरिद्वार की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।
    • NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
    • देहरादून से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 1.5-2 घंटे होता है।
  3. ऋषिकेश से हरिद्वार:
    • ऋषिकेश से हरिद्वार की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
    • NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
    • ऋषिकेश से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या ऑटो रिक्शा से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 30-45 मिनट होता है।

How to reach Haridwar by Bus (बस सेवाओं से हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)

हरिद्वार तक पहुँचने के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) और अन्य निजी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

  1. दिल्ली से हरिद्वार:
    • दिल्ली के कश्मीरी गेट और आनंद विहार बस अड्डे से हरिद्वार के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    • वॉल्वो, डीलक्स, और साधारण बसें विभिन्न सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं।
  2. देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार:
    • देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार के लिए नियमित स्थानीय बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    • इन बसों में यात्रा करने का समय और किराया काफी सस्ता होता है।

हरिद्वार तक पहुँचने के ये प्रमुख मार्ग आपकी सुविधा और बजट के अनुसार चुने जा सकते हैं। यात्रा की योजना बनाते समय मौसम और स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी यात्रा आरामदायक और सुखद हो।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको (Haridwar History In Hindi) हरिद्वार के इतिहास और कुछ रोचक तत्थ के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।

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दोस्तों अगर आप हरिद्वार, ऋषिकेश और उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के धार्मिक और पर्यटक स्थलो के बारे में पूरी जानकारी जानना चाहते है। तो नीचे दिए गए Link पर Click करे।

1. मनसा देवी मंदिर हरिद्वार – Mansa Devi Temple Haridwar

2. चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Temple Haridwar

3. माया देवी मंदिर हरिद्वार – Maya Devi Temple Haridwar

4. दक्ष मंदिर हरिद्वार – Daksha Temple Haridwar

4. हरिद्वार के टॉप टूरिस्ट स्पॉट्स – Top tourist spots of Haridwar

5. नीलकंठ महादेव मंदिर – Neelkanth Mahadev Temple Rishikesh

6. त्रिवेणी घात ऋषिकेश – Triveni Ghaat Rishikesh

7. लक्ष्मण झूला ऋषिकेश – Lakshman Jhula Rishikesh

8. राम झूला ऋषिकेश – Ram Jhula Rishikesh

9. वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश – Veerbhadra Temple Rishikesh

10. झिलमिल गुफा ऋषिकेश – Jhilmil Gufa Rishikesh

11. शिवपुरी ऋषिकेश – Shivpuri Rishikesh

12. यमनोत्री धाम मंदिर – Yamnotri Dham Temple

13. गंगोत्री धाम मंदिर – Gangotri Dham Temple

14. केदारनाथ धाम मंदिर – Kedarnath Dham Temple

15. बद्रीनाथ धाम मंदिर – Badrinath Dham Temple

15. गोमुख यात्रा – Gomukh Yatra

16. भरत मंदिर ऋषिकेश – Bharat Mandir Rishikesh

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