Har ki pauri Haridwar in hindi : भारत में उत्तराखंड रज्य की धार्मिक नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में स्थित “हर की पौड़ी” एक सबसे पवित्र और प्रसिद्ध घाट है। जिसे हरी की पौड़ी भी कहा जाता है। माँ गंगा नदी के तट पर स्थित यह घाट हिन्दुओं की आस्था और पवित्रता का एक आकर्सन केंद्र बना हुआ है।“हर” या “हरि की पौड़ी” का अर्थ हरी शब्द से है अर्थात भगवान विष्णु के चरण से है। पुराणों के अनुसार इस स्थान की ऐसी मान्यता है की यहां गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने से मनुष्य के सरे पाप धूल जाते है। और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
हर की पौड़ी के घाट पर ही एक “ब्रह्म कुंड” बना हुआ है इसीलिए इसे ब्रह्म कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
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हर की पौड़ी का इतिहास (Har ki Pauri History in Hindi)
प्राचीन काल में हर की पौड़ी घाट का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई “ब्रिथारी” (भर्तृहरि) की याद में करवाया था। भर्तृहरि यहां गंगा नदी के तट पर बैठकर दीर्घकाल तक ध्यान किया करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी के इस स्थान पर भगवान् ब्रह्मा की तपस्या की थी। राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उनके समक्ष प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने यह वरदान माँगा कि हे प्रभु इस स्थान को भगवान् के नाम से ही जाना जाए। तभी से हर की पौड़ी को ‘ब्रह्म कुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। हर की पौड़ी पर एक पत्थर में भगवान श्री हरी विष्णु के पदचिन्ह भी बने हए है। जो भक्तो के लिए आस्था का केंद्र है।
हर की पौड़ी की पौराणिक कथा (Har ki Pauri Story in Hindi)
हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार “समुन्द्र मंथन” के बाद जब देवगणो और असुर दानवों में अमृत पान के लिए संघर्ष चल रहा था। तभी यह देख भगवान विश्वकर्मा उस अमृत कलश को बचाने के लिए आकाश मार्ग से जा रहे थे। उस दौरान अमृत की कुछ बुँदे पृथ्वी पर गिर गई थी। पृथ्वी के जिस-जिस स्थान पर अमृत की बुँदे गिरी थी वह स्थान पवित्र और धार्मिक कहलाये। जिनमे उज्जैन, हरिद्वार, प्रयाग और नासिक स्थान माने जाते है। कहते है की हरिद्वार के जिस स्थान पर अमृत की बुँदे गिरी थी। वो “हर की पौड़ी” थी। जिस वजह से “हर की पौड़ी” घाट हरिद्वार का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
हर की पौड़ी की पौराणिक मान्यता (Mythological of Har ki Pauri in Hindi)
ऐसी मान्यता है की हर की पौड़ी पर स्नान करने से मनुष्य अपने सारे पापो से मुक्त हो जाता है। तभी तो हरिद्वार, ऋषिकेश और चार धाम यात्रा पर जाने वाले यात्री यहां स्नान जरूर करते है। और कावड़ यात्रा दौरान कावड़िये हर की पौड़ी से जल भरकर अपने कर्तव्य स्थान तक पहुंचते है। यात्री हर की पौड़ी से जल भरकर अपने घर भी लेजाते है। जिसे हम गंगा जल कहते है। जिसकी मान्यता हिन्दू धर्म में परम्पर है।
गंगा मैया की आरती (Aarti of Ganga maiya)
हर की पौड़ी पर प्रतिदिन सुबह और शाम के समय माँ गंगा की आरती का भव्य नजारा देखने को मिलता है। जिसमे स्थानीय मंदिरो के पुजारी गंगा तट पर प्रचंड जोत जलाकर माँ गंगा की आरती करते है। इस दौरान हर की पौड़ी का घाट रोशनी से पूरा जगमगा उठता है। आरती के समय भक्तो की काफी भीड़ उमड़ जाती है। प्रत्येक 12 साल के बाद हरिद्वार में “कुम्भ मेले” का आयोजन किया जाता है। जिसमे देश विदेश से लाखो भक्तो की भीड़ उमड़ती है।
गंगा आरती का समय – गंगा आरती प्रतिदिन शाम 06:00 बजे – 07:00 बजे
हरिद्वार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते – Some important things about Haridwar in Hindi
कब आते है ज्यादातर भक्त – When do most of the devotees come
सावन महीने , कुम्भ और गर्मियों की छुट्टियों में यहा भक्तो का आगमन ज्यादा होता है
नजदीकी हवाई अड्डा – Nearest airport
सबसे नज़दीक हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है।
रहने की व्यवस्था – Living arrangements
हरिद्वार में रहने के उचित प्रबंध है। यहा खिफायती और आरामदायक धर्मसालाये और होटल और लाज आसानी से मिल जाते है |
महिलाओ के लिए अलग घाट – Separate ghat for women
हर की पैडी पर महिलाओ और पुरषों के लिए अलग घाटो की व्यव्यस्था की गयी है |
हर की पौड़ी तक कैसे पहुँचे – How to reach Har Ki Pauri Haridwar in Hindi
हर की पौड़ी शहर के केंद्र में स्थित है। यहां पर पहुंचने के लिए आपको हरिद्वार आना होगा जो की रेल और बस दोनों मार्ग से जुड़ा है। सबसे अछि बात यह है की हरिद्वार का रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों आमने सामने है। यहां से हर की पौड़ी 3 km की दुरी पर है। यहां से आप ऑटो या रिक्शा से आराम से जा सकते है। और जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से हर की पौड़ी 37 km दूर है जहा से आप टैक्सी या बस पकड़कर आ सकते है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Har ki pauri Haridwar in hindi के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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