Har ki Pauri Haridwar History In Hindi:- हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र घाट है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह घाट हिन्दुओं की आस्था और पवित्रता का एक आकर्सन केंद्र बना हुआ है। “हर की पौड़ी” या “हरि की पौड़ी” का शाब्दिक अर्थ हरी शब्द से है। अर्थात भगवान विष्णु के चरण से है। पुराणों के अनुसार इस स्थान की ऐसी मान्यता है, की यहां गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धूल जाते है। और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यह स्थान हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
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History of Har ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार का इतिहास)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित है और हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। हर की पौड़ी का इतिहास और धार्मिक महत्व इस प्रकार है।
प्राचीन काल में हर की पौड़ी घाट का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की याद में करवाया था। भर्तृहरि यहां गंगा नदी के तट पर बैठकर दीर्घकाल तक ध्यान किया करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी के इस स्थान पर भगवान् ब्रह्मा की तपस्या की थी। राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उनके समक्ष प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने यह वरदान माँगा कि हे प्रभु इस स्थान को भगवान् के नाम से ही जाना जाए। तभी से हर की पौड़ी को ‘ब्रह्म कुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) पर एक पत्थर में भगवान श्री हरी विष्णु के पदचिन्ह भी बने हए है। जो भक्तो के लिए आस्था का केंद्र है।
- प्राचीन काल:
- हर की पौड़ी का उल्लेख प्राचीन हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां अपने चरण रखे थे, इसलिए इसे “हर की पौड़ी” कहा जाता है। “हर” का अर्थ है भगवान शिव या विष्णु, और “पौड़ी” का अर्थ है कदम या सीढ़ी।
- राजा विक्रमादित्य:
- हर की पौड़ी के वर्तमान घाट का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने पहली शताब्दी में करवाया था। उन्होंने यह घाट अपने भाई भृतहरि की याद में बनवाया था, जो यहां पर ध्यान और साधना करते थे।
- मध्यकालीन काल:
- मध्यकालीन काल में भी हर की पौड़ी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना रहा। इस दौरान विभिन्न राजाओं और शासकों ने इस स्थान का पुनर्निर्माण और विस्तार किया।
- आधुनिक काल:
- हर की पौड़ी का वर्तमान स्वरूप 19वीं सदी में ग्वालियर राज्य के राजा महाराजा पटियाला ने तैयार करवाया था। उन्होंने यहां पर पक्के घाट का निर्माण करवाया, जिससे श्रद्धालु गंगा में स्नान कर सकें।
Har ki Pauri Haridwar Story in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार की पौराणिक कथा)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) की पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व इस प्रकार है। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार “समुन्द्र मंथन” के बाद जब देवगणो और असुर दानवों में अमृत पान के लिए संघर्ष चल रहा था। तभी यह देख भगवान विश्वकर्मा उस अमृत कलश को बचाने के लिए आकाश मार्ग से जा रहे थे। उस दौरान अमृत की कुछ बुँदे पृथ्वी पर गिर गई थी। पृथ्वी के जिस-जिस स्थान पर अमृत की बुँदे गिरी थी वह स्थान पवित्र और धार्मिक कहलाये। जिनमे उज्जैन, हरिद्वार, प्रयाग और नासिक स्थान माने जाते है। कहते है की हरिद्वार के जिस स्थान पर अमृत की बुँदे गिरी थी। वो “हर की पौड़ी” थी। जिस वजह से “हर की पौड़ी” घाट हरिद्वार का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
- अमृत मंथन और अमृत कुंभ:
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों ने अमृत (अमरता का अमृत) प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। जब अमृत कलश निकला, तो उसे लेकर देवता और असुरों के बीच संघर्ष शुरू हो गया।
- भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिर गईं: हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, और नासिक। यह स्थान कुंभ मेले के आयोजन के कारण प्रसिद्ध हैं।
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद:
- ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर अपने चरण रखे थे। इसलिए इस स्थान को “हर की पौड़ी” (हर का अर्थ है भगवान शिव या विष्णु और पौड़ी का अर्थ है कदम) कहा जाता है।
- यहां गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- राजा विक्रमादित्य:
- कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भृतहरि की याद में पहली बार हर की पौड़ी घाट का निर्माण करवाया था। भृतहरि यहां पर ध्यान और साधना करते थे।
Har Ki Pauri Haridwar Aarti in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार की आरती)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) की गंगा आरती हरिद्वार का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो प्रतिदिन सुबह और शाम को गंगा नदी के तट पर आयोजित होती है। यह आरती बहुत ही भव्य और मनमोहक होती है, जिसमें हजारों-लाखो श्रद्धालु भाग लेकर माँ गंगा की आरती का भव्य नज़ारे का आनंद लेते है। इस आरती में स्थानीय मंदिरो के पुजारी गंगा तट पर प्रचंड जोत जलाकर माँ गंगा की आरती करते है। इस दौरान हर की पौड़ी का घाट रोशनी से पूरा जगमगा उठता है। प्रत्येक 12 साल के बाद हरिद्वार में “कुम्भ मेले” और प्रत्येक 06 साल के बाद “अर्ध कुम्भ मेले” का आयोजन किया जाता है। जिसमे देश विदेश से लाखो भक्तो की भीड़ उमड़ती है।
- गंगा आरती का समय: गंगा आरती प्रतिदिन सुबह 05 बजे और शाम को 06:00 बजे – 07:00 बजे होती है। शाम की आरती का समय सूर्यास्त के आसपास होता है, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है।
- गंगा आरती हर की पौड़ी घाट पर होती है, जो हरिद्वार का प्रमुख घाट है। यहां पर हजारों-लाखो की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
- गंगा आरती की शुरुआत मंत्रोच्चारण और भजन-कीर्तन से होती है।
- पुजारी दीपों से गंगा माता की आरती करते हैं। इस दौरान भक्त भी अपने हाथों में छोटे-छोटे दीये लेकर आरती में भाग लेते हैं।
- आरती के समय गंगा तट पर एक अद्वितीय दृश्य बनता है, जिसमें दीपों की रोशनी और गंगा की लहरें सम्मोहित करती हैं।
- आरती के दौरान भक्ति संगीत, भजन और मंत्रों का गायन होता है, जो भक्तों के मन को शांत और आध्यात्मिक बनाता है।
- आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाता है। यह प्रसाद गंगा जल, फूल, और अन्य सामग्री के रूप में होता है।
- गंगा आरती की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह आरती विशेष अवसरों और त्योहारों पर विशेष रूप से भव्य रूप में आयोजित की जाती है।
Festivals of Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार में मनाये जाने वाले उत्सव और त्यौहार)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) का प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहाँ कई महत्वपूर्ण उत्सव और त्यौहार मनाए जाते हैं। ये उत्सव और त्यौहार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं और हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आते हैं। निम्नलिखित मुख्य उत्सव और त्यौहार हर की पौड़ी में मनाए जाते हैं।
1. कुंभ मेला और अर्धकुंभ मेला:
- कुंभ मेला: हरिद्वार में हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं।
- अर्धकुंभ मेला: कुंभ मेले के बीच हर 6 साल में अर्धकुंभ मेला भी आयोजित किया जाता है।
2. गंगा दशहरा:
- गंगा दशहरा गंगा नदी के अवतरण का उत्सव है, जो ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
3. कार्तिक पूर्णिमा:
- कार्तिक माह की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है और श्रद्धालु दीपदान करते हैं।
4. मकर संक्रांति:
- मकर संक्रांति के अवसर पर हर की पौड़ी पर विशेष स्नान और पूजा का आयोजन होता है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
5. दीपावली:
- दीपावली के अवसर पर हर की पौड़ी पर विशेष दीपमालाओं से सजावट की जाती है। गंगा आरती के समय दीपों की रोशनी का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
6. हनुमान जयंती:
- हनुमान जयंती के अवसर पर हर की पौड़ी पर हनुमान जी की पूजा और गंगा स्नान का आयोजन होता है। इस दिन विशेष भजन-कीर्तन और आरती होती है।
7. श्रावण मास:
- श्रावण मास में हरिद्वार का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस पूरे महीने में कांवड़ यात्रा होती है, जिसमें लाखों कांवड़िये गंगा जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए हर की पौड़ी आते हैं।
8. नवरात्रि और दुर्गा पूजा:
- नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अवसर पर हर की पौड़ी पर विशेष पूजा, हवन और गंगा आरती का आयोजन होता है। श्रद्धालु यहां देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं।
9. राम नवमी:
- राम नवमी के अवसर पर हर की पौड़ी पर भगवान राम की पूजा और गंगा स्नान का आयोजन होता है। इस दिन विशेष भजन-कीर्तन और आरती होती है।
10. गंगा आरती:
- हर दिन शाम को गंगा आरती का आयोजन होता है, लेकिन विशेष अवसरों और त्योहारों पर यह और भी भव्य रूप से आयोजित की जाती है। गंगा आरती के समय दीपों की रोशनी, भजन और मंत्रोच्चारण का दृश्य अत्यंत मोहक होता है।
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) में मनाए जाने वाले ये उत्सव और त्यौहार हरिद्वार की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।
Best time to visit Har ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार घूमने जाने का सबसे अच्छा समय)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय इस पर निर्भर करता है कि आप किस उद्देश्य से यात्रा कर रहे हैं और किस प्रकार के मौसम का आनंद लेना चाहते हैं। निम्नलिखित सुझाव आपको हरिद्वार घूमने के लिए सबसे अच्छा समय चुनने में मदद करेंगे।
- शरद ऋतु (अक्टूबर – नवंबर):
- मौसम: यह मौसम सुखद और ठंडा होता है, तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
- विशेषताएँ: इस समय हरिद्वार का मौसम घूमने के लिए अनुकूल होता है। न तो बहुत ठंड होती है और न ही बहुत गर्मी, जिससे यात्रा आरामदायक हो जाती है।
- सर्दी (दिसंबर – फरवरी):
- मौसम: सर्दियों में तापमान 10-20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। रातें ठंडी होती हैं।
- विशेषताएँ: सर्दियों में भी हरिद्वार का मौसम घूमने के लिए अच्छा होता है। इस समय गंगा आरती का अनुभव करने के लिए यह एक आदर्श समय है।
- वसंत ऋतु (मार्च – अप्रैल):
- मौसम: यह मौसम भी घूमने के लिए अच्छा होता है, तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
- विशेषताएँ: इस समय मौसम न तो बहुत गर्म होता है और न ही बहुत ठंडा, जिससे यात्रा आरामदायक होती है।
Timing of Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार की टाइमिंग)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र घाटों में से एक है जो 24 घंटे खुला रहता है। हर की पौड़ी हरिद्वार पर सुबह और शाम को माँ गंगा की भव्य आरती का नजारा देखने को मिलता है। अधिकतर श्रद्धालुयो की भीड़ सुबह और शाम की आरती के समय होती हैै। माँ गंगा की आरती के समय गंगा में स्नान नहीं होता हैै। बाकि आप 24 घंटो में कभी भी हर की पौड़ी हरिद्वार आकर माँ गंगा में स्नान कर सकते है।
Entry fees of Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार की एंट्री फीस)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) एक सार्वजनिक स्थल है और यहाँ प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यह घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है और सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खुला रहता है। यहाँ आप नि:शुल्क गंगा आरती का आनंद ले सकते हैं और गंगा स्नान कर सकते हैं।
- प्रवेश शुल्क: हर की पौड़ी में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
- समय: हर की पौड़ी पर आप दिन और रात किसी भी समय जा सकते हैं, लेकिन गंगा आरती का समय विशेष होता है:
- सुबह: सूर्योदय के समय
- शाम: सूर्यास्त के समय
- विशेष आयोजन: त्योहारों और विशेष धार्मिक आयोजनों के समय यहाँ बहुत भीड़ हो सकती है, इसलिए पहले से योजना बनाना अच्छा होता है।
- सुविधाएँ: हर की पौड़ी पर स्नान घाट, बदलने के कमरे, और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ विभिन्न दुकानें भी हैं जहाँ से आप प्रसाद, फूल और अन्य धार्मिक सामग्री खरीद सकते हैं।
- सुरक्षा: गंगा में स्नान करते समय सावधानी बरतें, विशेषकर मानसून के मौसम में जब नदी का जलस्तर ऊँचा होता है। यहाँ सुरक्षा के इंतजाम भी होते हैं, लेकिन स्वंय सतर्क रहना महत्वपूर्ण है।
हर की पौड़ी का अनुभव धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और इसका कोई शुल्क नहीं होने के कारण यह सभी के लिए सुलभ है।
Tips For Visiting Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी की यात्रा के लिए टिप्स)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) की यात्रा के दौरान ध्यान में रखने योग्य कुछ उपयोगी टिप्स:
हर की पौड़ी हरिद्वार की यात्रा की योजना:
- समय का चयन: हर की पौड़ी की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। इस समय मौसम सुखद रहता है और भीड़ भी कम होती है।
- मौसम: हरिद्वार का मौसम गर्मियों में गर्म और सर्दियों में ठंडा होता है। गर्मियों में हल्के कपड़े और सर्दियों में गर्म कपड़े साथ रखें।
- त्योहारों के समय: अगर आप कुंभ मेला या अर्द्ध कुंभ मेला के समय जा रहे हैं, तो भीड़ बहुत अधिक होगी। इन समयों में यात्रा करने से पहले होटल की बुकिंग और यात्रा योजना बना लें।
हर की पौड़ी हरिद्वार की यात्रा के दौरान:
- सुरक्षित स्नान: हर की पौड़ी पर स्नान करते समय सावधान रहें। गंगा नदी का प्रवाह तेज हो सकता है, इसलिए सुरक्षा नियमों का पालन करें।
- साफ-सफाई: गंगा नदी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कचरा नदी में न डालें। स्थान को साफ रखने में योगदान दें।
- धार्मिक स्थानों का सम्मान: हर की पौड़ी और आसपास के मंदिरों का दौरा करते समय धार्मिक स्थलों का सम्मान करें। उचित वस्त्र पहनें और धार्मिक मान्यताओं का पालन करें।
हर की पौड़ी हरिद्वार में घूमने की जगहें:
- आरती का समय: हर की पौड़ी पर गंगा आरती का समय शाम को होता है। आरती का दृश्य बहुत मनोहारी होता है, इसलिए इसे अवश्य देखें।
- स्थानीय बाजार: हर की पौड़ी के पास के बाजारों में धार्मिक वस्त्र, पूजा सामग्री और हस्तशिल्प खरीद सकते हैं।
- अन्य दर्शनीय स्थल: हर की पौड़ी के अलावा मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर, माया देवी मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों का भी दौरा करें।
हर की पौड़ी हरिद्वार में ठहरने की व्यवस्था:
- पहले से बुकिंग: यात्रा से पहले होटल की बुकिंग कर लें, खासकर त्योहारों और विशेष अवसरों के समय। इससे आपको ठहरने में कोई परेशानी नहीं होगी।
- स्थान का चयन: हर की पौड़ी के नजदीक ठहरने की व्यवस्था करें, ताकि प्रमुख धार्मिक स्थलों का दौरा आसानी से हो सके।
हर की पौड़ी हरिद्वार में खाने-पीने का ध्यान:
- शुद्ध शाकाहारी भोजन: हरिद्वार में शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है। स्थानीय भोजन का आनंद लें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- जल की व्यवस्था: पीने के लिए बोतलबंद पानी का उपयोग करें। यात्रा के दौरान हाइड्रेटेड रहें।
हर की पौड़ी हरिद्वार में स्वास्थ्य और सुरक्षा:
- चिकित्सा किट: अपनी यात्रा के दौरान एक छोटी सी प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखें।
- सुरक्षा: अपने सामान का ध्यान रखें और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सतर्क रहें।
इन टिप्स को ध्यान में रखते हुए हर की पौड़ी की यात्रा को सुखद और स्मरणीय बनाएं।
Hotels in Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) के निकट हरिद्वार में ठहरने के लिए कई विकल्प हैं, जिनमें बजट होटल्स से लेकर लग्जरी रिसॉर्ट्स तक शामिल हैं। यहाँ कुछ प्रमुख होटल्स की सूची दी गई है:
बजट होटल्स:
- होटल अलकनंदा:
- सुविधाएँ: बेसिक सुविधाएँ, साफ-सफाई, नजदीक हर की पौड़ी
- स्थान: हर की पौड़ी से पैदल दूरी
- होटल सुहानुशु:
- सुविधाएँ: वातानुकूलित कमरे, रूम सर्विस, नजदीक मार्केट
- स्थान: हर की पौड़ी के पास
- होटल अर्चना इन:
- सुविधाएँ: आरामदायक कमरे, भोजन की सुविधा, पार्किंग
- स्थान: हर की पौड़ी से थोड़ी दूरी
Places to visit around Har Ki Pauri in Hindi (हर की पौड़ी के आसपास घूमने की जगहें)
हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) उत्तराखंड में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसके आसपास घूमने के लिए कई आकर्षक स्थान हैं। यहाँ कुछ प्रमुख स्थानों की सूची दी गई है:
- मनसा देवी मंदिर: यह मंदिर हरिद्वार की प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर शांति कुंज के निकट स्थित है और यहाँ से हरिद्वार का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
- चंडी देवी मंदिर: यह मंदिर नील पर्वत पर स्थित है और इसे मनसा देवी मंदिर के साथ एक पवित्र स्थल माना जाता है। यहाँ पहुँचने के लिए रोपवे का उपयोग किया जा सकता है।
- माया देवी मंदिर: यह मंदिर हरिद्वार के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और इसे शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
- भारत माता मंदिर: यह मंदिर भारत माता को समर्पित है और इसमें भारत के विभिन्न भागों और धार्मिक विविधताओं का वर्णन किया गया है।
- शांतिकुंज: यह हरिद्वार का एक प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल है। यहाँ ध्यान, योग और विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
- पतंजलि योगपीठ: यह बाबा रामदेव द्वारा स्थापित एक प्रमुख योग और आयुर्वेद केंद्र है। यहाँ योग, आयुर्वेद और स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- राजाजी नेशनल पार्क: यह हरिद्वार के निकट स्थित एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। यहाँ बाघ, हाथी, हिरण और कई अन्य वन्यजीव देखे जा सकते हैं।
- डाक काली मंदिर: यह हरिद्वार से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो देवी काली को समर्पित है।
- पवन धाम: यह हरिद्वार में स्थित एक भव्य मंदिर है, जो अपनी कांच की कला और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- भीमगौड़ा कुंड: यह हर की पौड़ी के पास स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे महाभारत के भीम द्वारा बनाया गया माना जाता है।
यह सभी स्थान हरिद्वार में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के हैं और यहां घूमने पर आपको आध्यात्मिक शांति और संस्कृति का अनुभव मिलेगा।
How to reach Har Ki Pauri Haridwar in Hindi (हर की पौड़ी हरिद्वार तक कैसे पहुँचे)
दोस्तों अगर आप हर की पौड़ी हरिद्वार (Har Ki Pauri Haridwar) में घूमने के लिए आना चाहते है तो “हर की पौड़ी” हरिद्वार तक पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें हवाई, रेल और सड़क मार्ग शामिल हैं। आपकी यात्रा की शुरुआत स्थान और सुविधा के आधार पर इनमें से किसी एक या संयोजन का उपयोग किया जा सकता है। यहाँ “हर की पौड़ी” हरिद्वार तक पहुँचने के प्रमुख मार्गों का विवरण दिया गया है।
How To Reach Har Ki Pauri Haridwar by Flight in Hindi (फ्लाइट से हर की पौड़ी हरिद्वार केसे पहुचें)
“हर की पौड़ी” हरिद्वार का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है।
- जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (Dehradun Jolly Grant Airport):
- हरिद्वार से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, और हैदराबाद से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
- हवाई अड्डे से हरिद्वार तक टैक्सी, कैब, या बस के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
How To Reach Har Ki Pauri Haridwar by Train in Hindi (ट्रेन से हर की पौड़ी हरिद्वार केसे पहुचें)
हरिद्वार रेलवे स्टेशन (Haridwar Junction) भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- Haridwar Junction Railway Station (हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन):
- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और बेंगलुरु सहित देश के विभिन्न हिस्सों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- प्रमुख ट्रेनें जैसे शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस, और मसूरी एक्सप्रेस हरिद्वार तक जाती हैं।
- रेलवे स्टेशन से शहर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी, और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।
How To Reach Har Ki Pauri Haridwar by Road in Hindi (सड़क मार्ग से हर की पौड़ी हरिद्वार केसे जायें)
हरिद्वार सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- Delhi to Haridwar (दिल्ली से हरिद्वार):
- दिल्ली से हरिद्वार की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है।
- दिल्ली से हरिद्वार तक जाने के लिए NH 334 (राष्ट्रीय राजमार्ग 334) का उपयोग किया जा सकता है।
- दिल्ली से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 5-6 घंटे होता है।
- Dehradun to Haridwar (देहरादून से हरिद्वार):
- देहरादून से हरिद्वार की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।
- NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
- देहरादून से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या निजी वाहन से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 1.5-2 घंटे होता है।
- Rishikesh to Haridwar (ऋषिकेश से हरिद्वार):
- ऋषिकेश से हरिद्वार की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
- NH 7 (राष्ट्रीय राजमार्ग 7) के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
- ऋषिकेश से हरिद्वार तक की यात्रा बस, टैक्सी, या ऑटो रिक्शा से की जा सकती है। यात्रा का समय लगभग 30-45 मिनट होता है।
How to reach Har Ki Pauri Haridwar by Bus Services (बस सेवायो से हर की पौड़ी हरिद्वार कैसे पहुंचे)
हरिद्वार तक पहुँचने के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) और अन्य निजी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- Delhi to Haridwar (दिल्ली से हरिद्वार):
- दिल्ली के कश्मीरी गेट और आनंद विहार बस अड्डे से हरिद्वार के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- वॉल्वो, डीलक्स, और साधारण बसें विभिन्न सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं।
- Dehradun and Rishikesh to Haridwar (देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार):
- देहरादून और ऋषिकेश से हरिद्वार के लिए नियमित स्थानीय बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- इन बसों में यात्रा करने का समय और किराया काफी सस्ता होता है।
हरिद्वार तक पहुँचने के ये प्रमुख मार्ग आपकी सुविधा और बजट के अनुसार चुने जा सकते हैं। यात्रा की योजना बनाते समय मौसम और स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी यात्रा आरामदायक और सुखद हो।
Map of Har ki Pauri Haridwar (हर की पौड़ी हरिद्वार का मेप)
दिल्ली से हरिद्वार तक आने के लिए बिलकुल सीधा ही रास्ता है। लेकिन अगर आप पहली बार अपनी फैमिली बच्चो या फिर अपने दोस्तों के साथ हर की पौड़ी हरिद्वार के दर्शन करने के लिए आ रहे है तो आपकी सुविधा के लिए हमने आपको हर की पौड़ी हरिद्वार तक पहुंचने के लिए मैप साजा किया हुआ है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको हर की पौड़ी हरिद्वार (Har ki Pauri Haridwar) के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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दोस्तों अगर आप हरिद्वार, ऋषिकेश और उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के धार्मिक और पर्यटक स्थलो के बारे में पूरी जानकारी जानना चाहते है। तो नीचे दिए गए Link पर Click करे।
1. मनसा देवी मंदिर हरिद्वार – Mansa Devi Temple Haridwar
2. चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Temple Haridwar
3. माया देवी मंदिर हरिद्वार – Maya Devi Temple Haridwar
4. दक्ष मंदिर हरिद्वार – Daksha Temple Haridwar
4. हरिद्वार के टॉप टूरिस्ट स्पॉट्स – Top tourist spots of Haridwar
5. नीलकंठ महादेव मंदिर – Neelkanth Mahadev Temple Rishikesh
6. त्रिवेणी घात ऋषिकेश – Triveni Ghaat Rishikesh
7. लक्ष्मण झूला ऋषिकेश – Lakshman Jhula Rishikesh
8. राम झूला ऋषिकेश – Ram Jhula Rishikesh
9. वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश – Veerbhadra Temple Rishikesh
10. झिलमिल गुफा ऋषिकेश – Jhilmil Gufa Rishikesh
11. शिवपुरी ऋषिकेश – Shivpuri Rishikesh
12. यमनोत्री धाम मंदिर – Yamnotri Dham Temple
13. गंगोत्री धाम मंदिर – Gangotri Dham Temple
14. केदारनाथ धाम मंदिर – Kedarnath Dham Temple
15. बद्रीनाथ धाम मंदिर – Badrinath Dham Temple
15. गोमुख यात्रा – Gomukh Yatra
16. भरत मंदिर ऋषिकेश – Bharat Mandir Rishikesh