Forest Research Institute Dehradun History in Hindi :- भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में स्थित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Forest Research Institute Dehradun) एक वैश्विक ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ-साथ उत्तरखंड का एक मशहूर पर्यटन स्थल भी है। इसकी इमारत न सिर्फ आम जनता को अपनी आकर्षित करती हैं, बल्कि फिल्म की शूटिंग करने के लिए फिल्ममेकर्स को भी यहां खींच लाती है। एफआरआई FRI के इस परिसर में कई सुपरहिट बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। यहां दुनियाभर के पेड़-पौधों पर रिसर्च की जाती हैं, इसलिए यह पर्यावरण और अनुसंधान के संदर्भ में भी (Forest Research Institute Dehradun) बहुत महत्वपूर्ण इमारत है।
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Establishment and History of Forest Research Institute Dehradun फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून की स्थापना और इतिहास
Forest Research Institute Dehradun एफआरआइ FRI का इतिहास देश की स्वतंत्रता से भी पुराना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1878 में इंपीरियल फारेस्ट स्कूल के नाम से की गई थी। उस समय ब्रिटिश शाषन के दौरान भारत के पहले इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट डॉक्टर डाइट्रीच ब्रैंडिस थे। उसके बाद वर्ष 1906 में इसे फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Forest Research Institute Dehradun) के रूप में पुनर्स्थापित किया गया था। अगर हम वानिकी अनुसंधान की दिशा में बात करे तो Forest Research Institute Dehradun एफआरआइ FRI का नाम अंतरराष्ट्रीय जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली है। यह संस्थान भारतीय वन अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है। आइए इसकी स्थापना और इतिहास पर एक नजर डालते हैं।
स्थापना और प्रारंभिक इतिहास
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) की स्थापना 1906 में की गई थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य वन अनुसंधान और वन प्रबंधन के क्षेत्र में ज्ञान और तकनीकी क्षमता को बढ़ाना था। यह संस्थान ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित किया गया था, जब भारत में वन संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण की आवश्यकता को महसूस किया गया।
ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने भारत के वनों के आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व को समझते हुए, वनों के बेहतर प्रबंधन और अनुसंधान की आवश्यकता को महसूस किया। इसी के तहत, वन अनुसंधान के लिए एक समर्पित संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया गया।
प्रारंभिक वर्ष
- स्थान: एफआरआई को देहरादून में स्थापित किया गया, जो कि हिमालय की तलहटी में स्थित है और जैव विविधता से समृद्ध है।
- आरंभिक कार्य: प्रारंभ में, एफआरआई ने वनों की पैदावार बढ़ाने, पेड़ों की वृद्धि, वनों की देखभाल और संरक्षण, और वन उत्पादों के उपयोग के बारे में अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया।
आरंभिक कार्य
- प्रारंभिक अनुसंधान: संस्थान की स्थापना के समय से ही इसका मुख्य ध्यान वनों की उत्पादकता बढ़ाने, वनस्पति विज्ञान, सिल्विकल्चर (वन प्रबंधन), और वन उत्पादों के उपयोग पर रहा है।
- प्रारंभिक प्रशिक्षण: वन अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए, जिससे वन प्रबंधन में सुधार हो सके।
Structure and Architecture of Forest Research Institute Dehradun फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की संरचना और आर्किटेक्चर
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) का संरचना और आर्किटेक्चर बहुत ही विशिष्ट और प्रभावशाली है। इसका मुख्य भवन और परिसर भारतीय वन अनुसंधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यहां एफआरआई की संरचना और आर्किटेक्चर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत है।
मुख्य भवन
- वास्तुकला शैली: एफआरआई का मुख्य भवन ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट सी.जी. ब्लूमफील्ड द्वारा की गई थी।
- निर्माण: यह भवन 1929 में बनकर तैयार हुआ था और इसका निर्माण भारतीय मजदूरों और कारीगरों द्वारा किया गया था।
- क्षेत्र: मुख्य भवन 450 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जो इसे भारत के सबसे बड़े संरचनाओं में से एक बनाता है।
- सामग्री: भवन की दीवारें लाल ईंटों से बनी हैं और इसमें सुंदर संगमरमर के स्तंभ हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं।
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प्रमुख सुविधाएं और विभाग
- प्रवेश द्वार: मुख्य भवन के प्रवेश द्वार पर बड़े स्तंभों के साथ एक भव्य पोर्टिको है, जो आगंतुकों का स्वागत करता है।
- कक्ष और गलियारे: भवन के अंदरूनी हिस्से में विशाल कक्ष और लंबे गलियारे हैं, जो शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए अनुसंधान और अध्ययन की सुविधाएं प्रदान करते हैं।
- लैबोरेटरी और शोध केंद्र: भवन में कई उन्नत प्रयोगशालाएं और शोध केंद्र हैं, जो विभिन्न वन विज्ञान के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
संग्रहालय
एफआरआई परिसर में कई संग्रहालय स्थित हैं, जो वन विज्ञान और अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं:
- टिंबर संग्रहालय: इसमें विभिन्न प्रकार की लकड़ियों और उनकी पहचान, गुण, और उपयोग के बारे में जानकारी दी जाती है।
- वन उत्पाद संग्रहालय: यह संग्रहालय वन उत्पादों, जैसे कि रेजिन, टैनिन, और प्राकृतिक रेजिन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
- एन्टोमोलॉजी संग्रहालय: यहां पर विभिन्न प्रकार के कीट और उनके वनस्पति पर प्रभाव को दर्शाया गया है।
- पैथोलॉजी संग्रहालय: इस संग्रहालय में वनस्पति रोगों और उनके प्रबंधन के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है।
पुस्तकालय
- संग्रह: एफआरआई का पुस्तकालय वन विज्ञान से संबंधित पुस्तकों, शोध पत्रों और दुर्लभ प्रकाशनों का एक समृद्ध संग्रह है। यह वन अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
- सुविधाएं: पुस्तकालय में पढ़ाई और अनुसंधान के लिए शांत और सुविधाजनक माहौल प्रदान किया गया है।
परिसर
- हरियाली: एफआरआई का परिसर हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां कई प्रकार के वृक्ष और वनस्पति देखे जा सकते हैं।
- जल निकाय: परिसर में सुंदर जल निकाय और तालाब हैं, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
- पार्क और उद्यान: यहां कई पार्क और उद्यान भी हैं, जो आगंतुकों और छात्रों के लिए एक आरामदायक और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करते हैं।
एफआरआई की संरचना और आर्किटेक्चर इसकी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। इसकी भव्य इमारतें और सुंदर परिसर इसे भारत के प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में से एक बनाते हैं।
How many museums are there in Forest Research Institute Dehradun फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में कितने संग्रहालय है
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून में कुल सात संग्रहालय हैं। ये संग्रहालय विभिन्न वन विज्ञान और संबंधित विषयों पर केंद्रित हैं, और वन अनुसंधान, संरक्षण, और वन उत्पादों के उपयोग के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करते हैं। यहाँ एफआरआई के सात संग्रहालयों का विवरण दिया गया है:
1. वानिकी संग्रहालय (Silviculture Museum)
यह संग्रहालय वनों के प्रबंधन, वृक्षारोपण तकनीक, और सिल्विकल्चर के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान करता है। इसमें विभिन्न प्रकार के पेड़ों और उनकी देखभाल के तरीकों का प्रदर्शन किया जाता है।
2. वन उत्पाद संग्रहालय (Forest Products Museum)
इस संग्रहालय में विभिन्न वन उत्पादों का प्रदर्शन किया जाता है, जिनमें लकड़ी, रेजिन, टैनिन, औषधीय पौधे आदि शामिल हैं। यह संग्रहालय वन उत्पादों के उपयोग, प्रसंस्करण, और उनके आर्थिक महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
3. एन्टोमोलॉजी संग्रहालय (Entomology Museum)
यह संग्रहालय वनों में पाए जाने वाले कीटों और उनके प्रभाव पर केंद्रित है। इसमें विभिन्न कीट प्रजातियों, उनके जीवन चक्र, और वनस्पति पर उनके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है।
4. वन पैथोलॉजी संग्रहालय (Pathology Museum)
इस संग्रहालय में वनस्पति रोगों और उनके प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार के फंगस और अन्य रोगजनकों का प्रदर्शन किया जाता है, जो पेड़ों और पौधों को प्रभावित करते हैं।
5. सामाजिक वानिकी संग्रहालय (Social Forestry Museum)
यह संग्रहालय सामाजिक वानिकी, सामुदायिक वन प्रबंधन, और वनों के सामाजिक-आर्थिक लाभों पर केंद्रित है। इसमें सामाजिक वानिकी की योजनाओं और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाती है।
6. वन इंजीनियरिंग संग्रहालय (Forest Engineering Museum)
इस संग्रहालय में वन प्रबंधन और संरक्षण में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों और मशीनों का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें वनों की कटाई, लकड़ी के प्रसंस्करण, और अन्य वन अभियंत्रण गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण शामिल हैं।
7. वन रसायन विज्ञान संग्रहालय (Non-Wood Forest Products Museum)
यह संग्रहालय विभिन्न गैर-लकड़ी वन उत्पादों, जैसे कि रेजिन, तेल, औषधीय पौधे आदि के रसायन विज्ञान और उनके प्रसंस्करण पर केंद्रित है। इसमें इन उत्पादों के उपयोग और उनके आर्थिक मूल्य के बारे में जानकारी दी जाती है।
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून के सात संग्रहालय वन विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक और गहन जानकारी प्रदान करते हैं। ये संग्रहालय न केवल शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी वन अनुसंधान और संरक्षण के महत्व को समझने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इन संग्रहालयों का दौरा करके वन विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानना एक समृद्ध और शिक्षाप्रद अनुभव हो सकता है।
Forest Research Institute’s research and education फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का अनुसंधान एवं शिक्षा
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून, वन अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है। इसका उद्देश्य वन संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण के लिए अनुसंधान करना और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है। एफआरआई विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित करता है, जो वन विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अनुसंधान
एफआरआई में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं।
1. सिल्विकल्चर (Silviculture)
- वृक्षारोपण तकनीक: वनों की उत्पादकता बढ़ाने और विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त वृक्षारोपण तकनीकों का विकास।
- वानिकी प्रणाली: विभिन्न प्रकार के वनों और वृक्षारोपण प्रणाली जैसे अग्रोफोरेस्ट्री, सोशल फोरेस्ट्री आदि पर अनुसंधान।
2. वन पैथोलॉजी (Forest Pathology)
- रोग प्रबंधन: वृक्षों और वनों में होने वाले रोगों की पहचान, उनके कारणों का अध्ययन और प्रबंधन की रणनीतियों का विकास।
- फंगस और अन्य रोगजनक: वनस्पति रोगों के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए फंगस और अन्य रोगजनकों पर अनुसंधान।
3. एन्टोमोलॉजी (Entomology)
- कीट प्रबंधन: वनों में कीटों के प्रभाव का अध्ययन और उनका प्रबंधन।
- जैविक नियंत्रण: हानिकारक कीटों के जैविक नियंत्रण के तरीकों का विकास।
4. वन उत्पाद (Forest Products)
- लकड़ी के उत्पाद: विभिन्न प्रकार की लकड़ियों के गुण, उनका उपयोग और प्रसंस्करण तकनीकों का विकास।
- गैर-लकड़ी वन उत्पाद: रेजिन, टैनिन, औषधीय पौधे आदि जैसे गैर-लकड़ी वन उत्पादों पर अनुसंधान।
5. पारिस्थितिकी (Ecology)
- जैव विविधता संरक्षण: वन पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता के संरक्षण के लिए रणनीतियों का विकास।
- पारिस्थितिक अध्ययन: विभिन्न वन पारिस्थितिक तंत्रों का अध्ययन और उनके संरक्षण के उपाय।
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शिक्षा
एफआरआई शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके प्रमुख शैक्षणिक कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।
1. पीजी और डॉक्टरेट कार्यक्रम
- मास्टर प्रोग्राम: एम.एससी. वानिकी (Forestry), पर्यावरण प्रबंधन (Environmental Management), और वन उत्पादों की तकनीक (Wood Science and Technology) में मास्टर डिग्री प्रदान की जाती है।
- डॉक्टरेट प्रोग्राम: वानिकी और संबंधित क्षेत्रों में पीएचडी कार्यक्रम।
2. प्रशिक्षण और कार्यशालाएं
- पेशेवर प्रशिक्षण: वन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वानिकी प्रबंधन, वन संरक्षण और अन्य संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- कार्यशालाएं: विभिन्न वन विज्ञान विषयों पर नियमित कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करना।
3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- वैश्विक परियोजनाएं: विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थानों के साथ मिलकर अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन।
- विदेशी छात्रों के लिए कार्यक्रम: अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विशेष शैक्षणिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम।
4. शोध प्रकाशन
- शोध पत्र: एफआरआई के वैज्ञानिक और शोधकर्ता विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में अपने शोध पत्र प्रकाशित करते हैं।
- पुस्तकें और मोनोग्राफ: वानिकी और वन उत्पादों पर विशेष पुस्तकें और मोनोग्राफ प्रकाशित करना।
एफआरआई का अनुसंधान और शिक्षा का ढांचा न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वन विज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने वन संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
Forest Research Institute is Built in which Style फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट किस शैली में बना है
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) का मुख्य भवन ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान किया गया था और यह वास्तुकला की भव्यता और सौंदर्य का प्रतीक है।
वास्तुकला शैली की विशेषताएं
ग्रीको-रोमन शैली
- संगमरमर के स्तंभ: मुख्य भवन में ग्रीको-रोमन शैली के विशाल संगमरमर के स्तंभ हैं, जो इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं।
- पोर्टिको: प्रवेश द्वार पर एक भव्य पोर्टिको है, जिसमें स्तंभ और विस्तृत आर्चिटेक्चर हैं।
- संपूर्णता और सादगी: ग्रीको-रोमन शैली की विशेषता संपूर्णता और सादगी है, जो एफआरआई के भवन में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
औपनिवेशिक शैली
- लाल ईंट की दीवारें: भवन की दीवारें लाल ईंटों से बनी हैं, जो औपनिवेशिक शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- समरूपता: भवन की डिजाइन में समरूपता और संतुलन है, जो औपनिवेशिक वास्तुकला की विशेषता है।
- वेंटिलेशन और प्रकाश: भवन में बड़े खिड़कियों और वेंटिलेशन की सुविधा है, जिससे प्राकृतिक प्रकाश और हवा का प्रवाह सुनिश्चित होता है।
निर्माण और डिजाइन
एफआरआई का निर्माण 1929 में पूरा हुआ था और इसका डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट सी.जी. ब्लूमफील्ड ने किया था। भवन के निर्माण में भारतीय मजदूरों और कारीगरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। एफआरआई का मुख्य भवन अपनी ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक वास्तुकला शैली के कारण अद्वितीय और भव्य है। यह न केवल एक शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान है, बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण धरोहर है।
Many Films have been shot in the Forest Research Institute फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में हो चुकी है कई फिल्मों की शूटिंग
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून, अपनी भव्य और ऐतिहासिक वास्तुकला के कारण फिल्म निर्माताओं के लिए एक लोकप्रिय शूटिंग स्थान रहा है। इसके ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक शैली में बने मुख्य भवन और सुंदर परिसर ने कई फिल्मों और टीवी शो के लिए एक आकर्षक बैकड्रॉप प्रदान किया है। यहाँ कुछ प्रमुख फिल्मों और टीवी शो का उल्लेख है जिनकी शूटिंग एफआरआई में हो चुकी है।
प्रमुख फिल्में
1. स्टूडेंट ऑफ द ईयर (2012)
करण जौहर द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कई महत्वपूर्ण दृश्यों की शूटिंग एफआरआई के परिसर में की गई थी। एफआरआई के भव्य भवन ने फिल्म में सेंट टेरेसा हाई स्कूल का रूप लिया।
2. रेस 3 (2018)
इस एक्शन फिल्म के कुछ दृश्यों की शूटिंग भी एफआरआई में की गई थी। फिल्म में एफआरआई के सुंदर परिसर और भव्य इमारतों का उपयोग विभिन्न दृश्यों के लिए किया गया।
3. स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 (2019)
स्टूडेंट ऑफ द ईयर की सफलता के बाद, इसके सीक्वल की भी कुछ महत्वपूर्ण शूटिंग एफआरआई में की गई। इस फिल्म में भी एफआरआई का परिसर एक स्कूल के रूप में प्रस्तुत किया गया।
अन्य फिल्में और शो
4. पान सिंह तोमर (2012)
इस बायोग्राफिकल फिल्म में, एफआरआई परिसर को एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
5. रहना है तेरे दिल में (2001)
इस रोमांटिक ड्रामा के कुछ हिस्सों की शूटिंग एफआरआई में की गई थी, जहाँ इसकी खूबसूरत वास्तुकला को फिल्म में दर्शाया गया।
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून, अपनी भव्यता, सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण फिल्मों और टीवी शो के लिए एक प्रमुख शूटिंग स्थल बन गया है। इसकी शानदार वास्तुकला और प्राकृतिक परिदृश्य ने इसे कई बड़े प्रोडक्शन हाउस और निर्देशकों के लिए एक आकर्षक स्थान बना दिया है।
How to reach फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून में कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से
निकटतम हवाई अड्डा
- जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (Dehradun Airport): यह देहरादून का मुख्य हवाई अड्डा है और एफआरआई से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से एफआरआई तक पहुँचने के लिए टैक्सी या कैब का उपयोग किया जा सकता है, जो लगभग 45 मिनट का समय लेता है।
रेल मार्ग से
निकटतम रेलवे स्टेशन
- देहरादून रेलवे स्टेशन: यह रेलवे स्टेशन एफआरआई से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से एफआरआई तक पहुँचने के लिए ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या लोकल बस का उपयोग किया जा सकता है। यात्रा में लगभग 15-20 मिनट का समय लगता है।
सड़क मार्ग से
बस और टैक्सी सेवा
- बस: देहरादून के विभिन्न हिस्सों से एफआरआई के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आईएसबीटी देहरादून से एफआरआई तक सीधी बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
- टैक्सी और ऑटो-रिक्शा: देहरादून के किसी भी हिस्से से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लेकर एफआरआई आसानी से पहुँचा जा सकता है। टैक्सी सेवाएं जैसे ओला और उबर भी उपलब्ध हैं।
निजी वाहन से
मार्ग निर्देश
- दिल्ली से देहरादून: दिल्ली से देहरादून की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है। दिल्ली से देहरादून तक पहुँचने के लिए NH 334 और NH 7 का उपयोग किया जा सकता है। इस मार्ग पर यात्रा में लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है।
- चंडीगढ़ से देहरादून: चंडीगढ़ से देहरादून की दूरी लगभग 170 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से NH 7 और NH 72 के माध्यम से देहरादून पहुँचा जा सकता है, जो लगभग 4-5 घंटे की यात्रा है।
एफआरआई परिसर में पहुँचने पर
- प्रवेश द्वार: एफआरआई का मुख्य प्रवेश द्वार बहुत ही प्रमुख और आसानी से पहचाना जा सकता है। यहाँ से परिसर में प्रवेश करके विभिन्न विभागों, संग्रहालयों और पुस्तकालय तक पहुँचा जा सकता है।
- नक्शे और साइनबोर्ड: परिसर में विभिन्न स्थानों तक पहुँचने के लिए नक्शे और साइनबोर्ड उपलब्ध हैं, जो आगंतुकों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको FRI फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Forest Research Institute Dehradun) की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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