Dwarikadhish Temple History in Hindi | द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास और कहानी

Dwarikadhish Temple History in Hindi:गुजरात का द्वारिकाधीश मंदिर भगवान् कृष्ण को समर्पित है. आज इस लेख माध्यम से हम आपको भारत के चार धामों में शामिल द्वारिकाधीश मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

द्वारिकाधीश मंदिर का इतिहास (Dwarkadhish Temple History in Hindi)

भारत के चार धामों में से एक द्वारिकाधीश का यह मंदिर गुजरात के देवभूमि द्वारका शहर में स्थित है। हिन्दुओं के इस तीर्थस्थल को सात पुरियों में एक पुरी भी कहा जाता है। हिन्दू पुराण के अनुसार द्वारका को भगवान श्रीकॄष्ण ने इसे बसाया था। जिसको श्रीकृष्ण की कर्मभूमि अथवा निवास स्थान भी कहा जाता है। द्वारका को भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है।

2500 साल पुराणा द्वारिकाधीश का यह मंदिर गोमती नदी के तट पर बसा है जो की अरब महासागर से मिलती है उपमहाद्वीप पर बसा यह मंदिर भगवान् विष्णु का 108 वा भव्य मंदिर है।

द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण (Construction of Dwarkadhish Temple in Hindi)

पौराणिक मान्यतायो के अनुसार द्वारिकाधीश के मंदिर का निर्माण मूल रूप से 15 वीं -16 वीं शताब्दी में भगवान श्रीकृष्ण के पड पोते व्रजभनाथ द्वारा कराया गया था | हिन्दू धर्म के जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने भी इस मंदिर में आकर दौरा किया था। इस मंदिर में वल्लभाचार्य और विठ्लेसनाथ द्वारा बनाए गए अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।

लगभग 2500 साल पुराणा भगवान कृष्ण यह भव्य मंदिर 5 मंजिला और 72 स्तम्भों के साथ निर्मित है | मंदिर के शिखर की उचाई 78 मीटर की है जिसमे ऊपर एक ध्वज लगा हुआ है जो की सूर्य और चन्द्रमा को दर्शाकर यह संकेत देता है की जब तक सूर्य और चन्द्रमा का साया पृथ्वी पर रहेगा तब तक श्रीकृष्ण रहेगा | दिन में 5 बार बदले जाने वाले इस ध्वज का प्रतिक एक ही रहता है।

चुने और पत्थर से बना यह मंदिर आज भी जस का तस है इस मंदिर में दो मुख्य द्वार है पहला उत्तर द्वार और दूसरा मोक्ष द्वार जिसे स्वर्ग द्वार भी कहा जाता है | कियुँकि इस द्वार के बहार की और 56 सीढिया बनी हुई है जो गोमती नदी की और जाती है।

यह मंदिर भारत की चार धाम यात्राओं में शामिल है जिसमे तीन और भव्य मंदिर बद्रीनाथ धाम, रामेश्वरधाम, और जगन्नाथ पूरी धाम भी शामिल है | द्वारिकाधीश का यह मंदिर जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

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द्वारिकाधीश मंदिर की पुरानी कथाये एवं किवदंतिया (Dwarkadhish Temple Stoey in Hindi)

हिन्दू पुराण वेग के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका को समुद्र से प्राप्त हुए भूमि के एक छोटे से टुकड़े पर बसाया था। एक बार की बात है जब ऋषि दुर्वासा कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी से मिलने गए । ऋषि दुर्वासा की इच्छा पर कृष्ण और रुक्मिणी उन्हें अपने महल में ले जाने के लिए सहमत हो गए। परन्तु रुक्मिणी कुछ दूर पैदल चलने के बाद थक गईं और कृष्ण से पानी पिने की इच्छा की। तभी भगवान श्रीकृष्ण ने एक पौराणिक छेद खोद कर गंगा नदी से मिला दिया। इस बात से ऋषि दुर्वासा काफी क्रोधित हो गए और रुक्मिणी को श्राप दिया की अब तुम हमेशा इसी जगह रहोगी । ऐसी मान्यता है की मंदिर के उसी स्थान पर आज रुक्मिणी का मंदिर है। जहा पर वो रुकी थी।

द्वारिकाधीश मंदिर खुलने एवं बंद होने का समय (Opening and Closing Timing Dwarkadhish Temple in Hindi)

मंदिर खुलने का समय – सुबह 6 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक।
मंदिर बंद होने का समय – दोपहर 1.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक।
मंदिर खुलने का समय – शाम 5.00 बजे से रात 9.30 बजे तक।
हिन्दू धर्म के विशेष पर्व जैसे कृष्णजन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के त्योहार पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन बड़े धूम धाम से बनाया जाता है।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Dwarikadhish Temple History in Hindi के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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