Chudamani Devi Temple Roorkee in Hindi | चूड़ामणि मंदिर में पुत्र प्राप्त का रहस्य

Chudamani Devi Temple Roorkee: दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे अनोखे शक्ति पीठ मंदिर के बारे बताने जा रहे है जिसकी परम्परा और मान्यता दूसरे मंदिरो से बिलकुल हटकर है इस मंदिर में चोरी करने से भक्तो की मनोकामना पूरी होती है, चोरी करना पाप है यह आपको भी पता है और हमे भी, फिर आखिर में यहां आकर चोरी करना आईये इस रहस्य को जानने के लिए आर्टिकल पूरा जुरूर पढ़े।

चूड़ामणि मंदिर का इतिहास (History of Chudamani Devi Temple Roorkee in Hindi)

चूड़ामणि देवी का यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रूड़की शहर से 19 km दूर चुड़ियाला गांव में स्थित है. देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माँ चूड़ामणि देवी का यह प्राचीन मंदिर माता सती के शक्ति रूप को समर्पित है। देवी पुराण के अनुसार जहा पर आज चूड़ामणि मंदिर स्थित है यहां पर माता सती का चूड़ा गिरा था इसलिए इसे चूड़ामणि मंदिर के नाम से जाना जाता है।

चूड़ामणि मंदिर का निर्माण (Construction of Chudamani Temple in Hindi)

1805 में इस मंदिर निर्माण को लंढौरा के राजा ने करवाया था, गांव के बुजुर्गो का कहना है की एक बार लंढौरा के राजा इस जंगल में शिकार करने आये थे। और जंगल में घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए जिस पर माता के चूड़ा का आकर बना हुआ था। राजा को कोई पुत्र नहीं था इसीलिए राजा ने माता के सामने हाथ जोड़कर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगी जो जल्द ही पूरी हो गयी थी। तपश्चात राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।

चूड़ामणि मंदिर में शेर का रहस्य (Lion’s secret in Chudamani temple)

ऐसा बताया जाता है जिस स्थान पर आज मंदिर है पहले यहां पर बहुत घना जंगल हुआ करता था और उस समय शेर रोज माता की पिंडी पर आकर अपना मत्था टेक कर दहाड़ मारते थे | और गांव के लोगो को भये लगता था की ऐसा क्यों हो रहा है।

चूड़ामणि मंदिर में चोरी करने की परम्परा (The tradition of stealing in Chudamani temple in Hindi)

ऐसी मान्यता है इस मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के अंदर चूड़ामणि देवी की पिंडी के सामने एक लकड़ी का गुड्डा रखा रहता है और भक्त यानि पति-पत्नी एक साथ इस मंदिर में आकर इस लकड़ी के गुड्डे को चुराते है और पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगते है ऐसा करने से उनकी यह मनोकामना जल्द ही पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने के बाद पति-पत्नी अपने पुत्र के साथ मंदिर में आते है और माता को लकड़ी के दो गुड्डे चढाते है है और अपनी इच्छा अनुसार मंदिर परिसर में भंडारा वितरण करते है।

इस मंदिर की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है कियुँकि लंढौरा के राजा इस जंगल में शिकार करने आये थे। और जंगल में घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए जिस पर माता के चूड़ा का आकर बना हुआ था। राजा को कोई पुत्र नहीं था इसीलिए राजा ने माता के सामने हाथ जोड़कर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगी जो जल्द ही पूरी हो गयी थी। तपश्चात राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था | तभी से चोरी की यह परम्परा शुरू हुई थी।

चूड़ामणि मंदिर की पौराणिक कथा (Legend Story of Chudamani Temple in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था, एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में एक भव्य यज्ञ का आयोजन कराया और इस भव्य यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया, जब माता सती को पता चला की मेरे पिता ने इस भव्य यज्ञ मेरे पति को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में कूदकर अपने प्राणो की आहुति देदी थी।

यह सुचना सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेजा। वीरभद्र ने जाकर उस भव्य यज्ञ को नस्ट कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी सभी देवताओं के अनुरोध करने पर पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को दोबारा जीवन दान देकर उस पर बकरे का सिर लगा दिया। यह देख राजा दक्ष को अपनी गलतियों का पश्च्याताप हुआ और भगवान शिव से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। तभी भगवान शिव ने सभी देवी देवताओं के सामने यह घोषणा कि हर साल सावन माह, में कनखल में निवास करूँगा।

भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित होते हुए सती के मृत शरीर उठाकर पुरे ब्रह्माण के चक्कर लगाने लगे, तब पश्चात भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित करा था। जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए । जहा पर चूड़ामणि देवी का मंदिर है इस स्थान पर माता सती का चूड़ा गिरा था, इसीलिए इस मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठो में की जाती है। अधिकतर शादी शुदा जोड़े (पति-पत्नी) यहां पर लकड़ी का गुड्डा चोरी कर अपने पुत्र प्राप्ति के लिए माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

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चूड़ामणि मंदिर में कैसे पहुंचे (How to reach Chudamani Temple in Hindi)

चूड़ामणि मंदिर में पहुंचने के लिए आपको रूड़की आना होगा जो की बस या रेल दोनों मार्ग से जुड़ा है यहां से आप (अपनी गाड़ी या ऑटो) से 10 km दूर भगवानपुर जाना होगा और वहा से 9 km आगे चुड़ियाला गांव वही पर स्थित है ये चूड़ामणि मंदिर।

हम उम्मीद करते है की आपको Chudamani Devi Temple Roorkee के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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