Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi | इस जगह रुकी थी माता वैष्णो देवी

Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi (चरण पादुका स्थान पर रुकी थी माता वैष्णो देवी)

जय माता दी, माता वैष्णो देवी की तीर्थ यात्रा में दूसरे पड़ाव पर आता है चरण पादुका मंदिर, यात्रा पर जाने वाले अधितकर सभी श्रद्धालु चरण पादुका मंदिर में अपना शीष झुकाते है। और माता रानी से अपनी सफल यात्रा की कामना करते है कहते है की माता वैष्णवी ने इसी स्थान पर रुक कर पीछे मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। और फिर यही से माँ वैष्णवी गर्भ जून गुफा की तरफ गयी थी।
दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको चरण पादुका मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है की आखिर में कब क्यों और कैसे इस जगह का नाम चरण पादुका पड़ा क्या रहस्य है इसके पीछे की कहानी का, जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर देखे।

Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi
Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi

Charan Paduka Mandir Vaishno Devi (चरण पादुका मंदिर वैष्णो देवी)

माता वैष्णो देवी के भवानी द्वार से लगभग 2 km चलने के बाद पहले पड़ाव में बाणगंगा आती है। जिसे बालगंगा के नाम से भी जाना जाता है। और बाणगंगा से लगभग 1.5 km दूर चलने के बाद दूसरे पड़ाव में आता है। चरण पादुका मंदिर यही वो स्थान है जहा पर माता वैष्णो देवी ने अपने चरणों को रोक कर पीछे मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। कहते है की आज भी एक पत्थर के ऊपर माता के पेरो के चिन्ह बने हुए है। जिस वजह से इस स्थान को चरण पादुका के नाम से जाना गया। यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालु इस मंदिर में अपना सर झुकाते है। और अपनी सफल यात्रा की मन्नत मांगते है।

चरण पादुका मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में माता की एक प्रतिमा विराजमान है और उसी के निचे उस पत्थर को भी रखा हुआ है जिसमे माता के पेरो के चिन्ह बने हुए है। बाकि बाद में मंदिर के अंदर और बहुत सारे भगवान की प्रतिमा स्थापित की गयी है जिनको राजस्थान से बनवाकर मंगवाया गया था। चरण पादुका के पुरे रास्ते में काफी सारी दुकाने देखने को मिलेगी जहा पर खाने पिने से लेकर सभी तरह का सामान मिल जाता है।

Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi | इस जगह रुकी थी माता वैष्णो देवी

Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi (चरण पादुका वैष्णो देवी की पौराणिक कथा)

हिन्दू धर्म के पुराणों में वैसे तो माता वैष्णो देवी की काफी कथाये लिखी हुई है। उन्ही में से एक कथा बहुत प्रचलित है आज हम इसी कथा के बारे में बात करेंगे। कटरा से कुछ ही दूर हंसाली गांव में स्थित श्रीधर नाम का एक पंडित रहता था, जो की माता वैष्णो देवी का परम भक्त था। एक बार की बात है जब नवरात्रो के समय पंडित श्रीधर ने 9 कन्याओं को अपने घर जीमने के लिए बुलाया। उनमे से एक कन्या माता वैष्णवी थी। जीमने के बाद सभी कन्या अपने घर वापस चली गयी। लेकिन वैष्णवी वही पर रुक गयी। और पंडित श्रीधर से बोली की सभी गांव वासियो को अपने घर भंडारे के लिए निमंत्रण दे आयो।

पंडित श्रीधर उस कन्या की बात को मानते हुए सभी गांव वालो को अपने घर भंडारे का निमंत्रण दे आता है, वापस लोटते वक्त श्रीधर ने भैरव नाथ और उसके शिष्यों को भी भंडारे के निमंत्रण दे दिया, कुछ ही दिन बाद भंडारे का समय नजदीक आ गया लेकिन गरीब होने के कारन पंडित श्रीधर भंडारे के सामान नहीं जुटा सका, सभी गांव वाले और भैरवनाथ पंडित श्रीधर के घर पहुंच गए। पंडित श्रीधर माँ वैष्णवी की पूजा अर्चना में नील था और अपनी लाज की प्राथना कर रहा था। तभी माँ वैष्णवी एक कन्या के रूप में वहा आती है, और सभी गांव वालो को भोजन कराती है।

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जब वह भोजन लेकर भैरवनाथ के पास पहुंच थी है, तो भैरवनाथ उससे खीर पूड़ी की जगह मॉस मदिरा खाने को कहता है। कन्या भैरव से कहती है भैरव ये एक भ्रह्माण का घर है यहां पर शुद भोजन ही मिलेगा। भैरवनाथ अपनी जींद पर अटल रहता है और उस कन्या को पकड़ने की कोशिश करता है तभी वैष्णवी उसके कपट को जान लेती है। और वहा से वायु रूप में बदलकर त्रिकुटा पर्वत की और चल उड़ती है। भैरवनाथ भी कन्या का पीछा करते हुए चला जाता है।

तभी वहा पर हनुमान जी माता की रक्षा करने के लिए आते है पहाड़ियों पर चढ़कर हनुमान जी को प्यास लगी है फिर वह माता से जल पिने की आग्रह करते है। माँ वैष्णवी ने हनुमान जी से कहती है तुम आस पास कही जल पीकर आ जायो में तुम्हारी यही पर प्रतीक्षा करुँगी। लेकिन हनुमान जी काफी हट करने लगे तब जाकर माँ वैष्णो ने अपने धनुस से एक बाण चलाकर गंगा जी की पवित्र धारा को निकाला था। तब जाकर हनुमान जी ने जल ग्रहण किया। उसके बाद माँ गंगा ने वैष्णो देवी को दर्शन दिए और कहा की आपने मुझे यहां पर अवतरित करके बहुत आभार किया है अब मुझे स्पर्श करके धन्य भी कीजिये।

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उसके बाद माता वैष्णो देवी ने गंगा इस पवित्र धारा में अपने केश धोये थे। जिसे बाणगंगा के नाम से जाना जाता है। थोड़ा आगे चलकर माँ वैष्णवी कुछ देर के लिए रूकती है और पीछे मुड़कर भैरवनाथ को देखती है जिस स्थान पर माता ने रुक कर पीछे मुड़कर भैरनाथ को देखा था उसे चरण पादुका के नाम से जाना जाता है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते है की आपको Charan Paduka Vaishno Devi Story in Hindi की सम्पूर्ण जानकारी जानकर अच्छा लगा होगा।

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आप Charan Paduka Vaishno Devi की वीडियो भी देख सकते है जिसमे हमने पूरी यात्रा को विस्तार से समझाया है।

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