Banke Bihari Mandir Vrindavan History in Hindi | बाँके बिहारी मंदिर का इतिहास?

Banke Bihari Mandir Vrindavan :- उत्तर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक बाँके बिहारी जी का मंदिर है। जो मथुरा वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिरो में से एक है। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है। और वृंदावन में भगवान कृष्ण का बचपन बिता है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बाँके बिहारी रूप को समर्पित है। जिन्हें यहाँ विशेष रूप से पूजा जाता है। यह मंदिर वृंदावन के धार्मिक स्थल के रूप में अत्यधिक प्रतिष्ठित है। यही वजह है की दुनिया भर से हजारों लाखो भक्त यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको मथुरा के वृन्दावन में स्थित भगवान श्रीकृष्ण के रूप बाँके बिहारी जी मंदिर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। दोस्तों अगर आप भी अपनी फैमिली या फिर अपने दोस्तों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा वृन्दावन में घूमने के लिए आना चाहते हैं तो यहां पर आपको कई सारे दार्शनिक स्थल मिल जाएंगे। जिनमे से एक बाँके बिहारी जी का मंदिर भी काफी प्रमुख और प्रचलित है। दोस्तों अगर आप भी (Banke Bihari Mandir Vrindavan) बाँके बिहारी जी के मंदिर के दर्शन करने के लिए वृंदावन आना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

Banke Bihari Mandir History in Hindi | बाँके बिहारी मंदिर का इतिहास?

बाँके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Mandir Vrindavan) का इतिहास अत्यंत रोचक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश में स्थित है और भगवान श्री कृष्ण के बाँके बिहारी रूप को समर्पित है। “बाँके बिहारी” का अर्थ होता है “झुकी हुई लटों वाला बिहारी”, जो भगवान श्री कृष्ण के उस रूप को दर्शाता है, जब वह अपनी आकर्षक मुद्रा में खड़े होते हैं। यह मंदिर विशेष रूप से कृष्ण भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। जहा पर हर साल लाखो भक्त भगवान श्री कृष्ण के बाँके बिहारी रूप के दर्शन करने के लिए आते है।Banke Bihari Mandir History in Hindi | बाँके बिहारी मंदिर का इतिहास?

  • स्वामी हरिदास और मंदिर की स्थापना:
    • बाँके बिहारी मंदिर की स्थापना 16वीं सदी में हुई थी। इसे स्वामी हरिदास जी ने स्थापित किया था, जो भगवान श्री कृष्ण के महान भक्त और संत थे। स्वामी हरिदास जी का जन्म मथुरा जिले के पास हुआ था और वे एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ और भक्त थे।
    • स्वामी हरिदास जी को भगवान श्री कृष्ण के दर्शन बहुत ही प्रिय थे और उन्होंने भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों की पूजा की। उनके द्वारा भगवान श्री कृष्ण के बाँके बिहारी रूप की पूजा शुरू की गई, जिसे श्रद्धालुओं ने जल्दी ही अपना लिया।
  • मंदिर का प्रारंभिक इतिहास:
    • पहले यह मंदिर एक छोटे से कक्ष में स्थापित था, लेकिन समय के साथ इसके महत्व और प्रसिद्धि को देखकर इसे और विस्तारित किया गया। स्वामी हरिदास जी ने इस मंदिर में कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की, जो एक विशेष मुद्रा में थी। यहाँ कृष्ण की मूर्ति का रूप ऐसा है, जिसमें भगवान कृष्ण एक ओर से झुके हुए हैं और उनका चेहरा सामने की ओर है। इस मुद्रा को “बाँके बिहारी” के रूप में जाना जाता है, जो भगवान के दिव्य रूप का प्रतीक है।
    • स्वामी हरिदास जी के बाद, उनके शिष्य गोपीनाथ जी और उनके अनुयायी मंदिर की देखरेख करते रहे।
  • मंदिर की मूर्ति:
    • बाँके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति का रूप अद्वितीय है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक विशेष रूप में दर्शाया गया है, जिसमें उनकी लटें झुकी हुई और चेहरे पर एक आकर्षक मुस्कान होती है। इस रूप में भगवान कृष्ण का दर्शन भक्तों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक और दिव्य अनुभव होता है।
    • इस मूर्ति के बारे में मान्यता है कि इसे एक विशेष देवता द्वारा स्वयंपूजित किया गया था। यह मूर्ति अपने आकर्षक रूप और दिव्य लीलाओं के कारण भक्तों के बीच अत्यधिक श्रद्धा का पात्र है।
  • मंदिर का महत्व:
    • बाँके बिहारी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि विशेष रूप से भव्य होती है और हर दिन तीन बार आरती होती है – सुबह, दोपहर और शाम
    • मंदिर में दिन के एक खास समय में पर्दा डाला जाता है, जिससे भक्त भगवान की मूर्ति का दर्शन केवल एक खास तरीके से कर सकते हैं। यह दर्शन विशेष रूप से भक्तों को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
  • मंदिर का विस्तार:
    • बाँके बिहारी मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ने के साथ इसे समय-समय पर विस्तार भी मिला। इसका मुख्य कारण यह था कि भगवान श्री कृष्ण के प्रति लोगों की श्रद्धा और आस्था का यह केंद्र बन गया था।
    • वर्तमान में, मंदिर एक विशाल और भव्य धार्मिक स्थल बन चुका है, जहाँ सालभर हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं।
  • कृष्ण भक्ति और संगीत:
    • स्वामी हरिदास जी के योगदान के कारण इस मंदिर में भक्ति संगीत का विशेष स्थान है। स्वामी हरिदास एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ भी थे, और वे भगवान कृष्ण के भजन और कीर्तन गाने में माहिर थे। उनके योगदान से मंदिर में राग, संगीत और भक्ति गीतों की परंपरा भी जीवित रही।

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Conclusion | निष्कर्ष

दोस्तों, बांके बिहारी मंदिर अपनी अनूठी भक्ति परंपराओं, दिव्य वातावरण और भगवान श्रीकृष्ण के मोहक स्वरूप के कारण श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह स्थान प्रेम, भक्ति, और आनंद का अद्भुत संगम है। यहाँ दर्शन करना एक ऐसा अनुभव है जो भक्त के हृदय में भगवान के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम को जागृत करता है। जो हर व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह मंदिर न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि भगवान से आत्मिक रूप से जुड़ने का एक माध्यम भी है। दोस्तों हम आशा करते हैं कि (Banke Bihari Mandir Vrindavan) बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के बारे में पढ़कर आपको आनंद आया होगा।

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