Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi, Age, Date of Birth, Family, Childhood, Spiritual Life, Vrindavan, Kidney Fail, Real Name, Net Worth, Ashram, Guru Name.

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi :- हमारे भारत देश को पहले से ही देवताओं और संतों की भूमि माना गया है। और तभी से इस भूमि पर विदेशी शक्तियों द्वारा आक्रमण किया गया है। जिन्होंने हमारे सनातन धर्म समाप्त करने का प्रयास किया है। लेकिन भगवान ने हर बार ब्रह्मज्ञान का प्रकाश समाज तक पहुंचाने के लिए किसी न किसी संत, महात्मा, महापुरुष को इस धरती पर भेजा है।

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi
                                                            Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है हेमंत और पब्लिक गाइड टिप्स ब्लोग्स में आपका स्वागत है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से में आपको एक ऐसे महान व्यक्ति के बारे में जानने जा रहा हूँ। जिनका नाम आपने लगातार टीवी या सोशल मीडिया के जरिए जरूर सुना होगा। जी हां हम बात कर रहे है प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के बारे में, जो अपने सत्संग और भजन मार्ग यूट्यूब चॅनेल के माध्यम से लोगो को प्रेम, भक्ति, शांति, सेवा और ईमानदारी के अनमोल वचन सुनाते है इसलिए आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय Premanand Ji Maharaj Biography) देने का प्रयास किया है।

Table of Contents

Premanand Ji Maharaj Date of Birth in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज का जन्म

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) या प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का जन्म संन 1972 में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में, कानपुर शहर के पास सरसोल ब्लॉक के अखरी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। ब्राह्मण परिवार होने के कारन उनके परिवार का माहौल एक दम सात्विक और धार्मिक भक्ति विचार वाला था। इसलिए बचपन से ही उनका रुझान आध्यात्मिकता भक्ति की ओर काफी अधिक था।

वे धार्मिक वातावरण में पले-बढ़े और श्रीकृष्ण राधा भक्ति की ओर आकर्षित हुए। इसलिए अपनी कम उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर श्रीकृष्ण राधा के प्रति अपने संपूर्ण जीवन को ब्रह्मचारी जीवन जीने का फैसला किया। और 13 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना पैतृक घर छोड़ दिया, यानी की संन्यास ले लिया था। और अब उनकी उम्र लगभग 52 वर्ष की है। और आज प्रेमानंद जी महाराज ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी अपनी सनातन धर्म की भक्ति का प्रकाश कर दिया। प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय Premanand Ji Maharaj Biography) में ऐसी बहुत सी बाते है जिनको हम आपके साथ साजा करेंगे।

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Premanand Ji Maharaj Family in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज का परिवार

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शम्भूनाथ पांडे और माता का नाम श्रीमती रमा देवी था। उनके परिवार की आजीविका का साधन मात्र एक खेती था। जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण चलता था। प्रेमानंद जी महाराज का एक बड़ा भाई भी है। जिसने अपनी पूरी पढ़ाई संस्कृत में की थी और वे अपने परिवार के सदस्यों को संस्कृत में कई धर्मग्रंथ पढ़ कर सुनाते थे।

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के दादा श्री कृष्ण राधा के परम भक्त थे। और हमेशा उनकी भक्ति साधना किया करते थे। अपने परिवार की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद एक संन्यासी साधु बन गए थे। अर्थात उनका पूरा परिवार एक सात्विक और धार्मिक विचार वाला था। और हमेशा भक्ति मार्ग पर चलता था। और आज प्रेमानंद जी महाराज श्री राधा रानी या श्री जी को अपना इष्ट मानते है। और उनकी भक्ति साधना में खोये रहते है।

Premanand Ji Maharaj Childhood in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज का बचपन

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj Biography) के जीवन परिचय के अनुसार उनका बचपन शुरू से ही आध्यात्म की ओर रहा एक तो वह ब्राह्मण परिवार से थे। दूसरा उनके माता पिता भी भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी के परम भक्त थे। और सुबह शाम उनकी पूजा आराधना किया करते थे। जिस उम्र में अधिकांश बच्चे खेलने में लगे रहते हैं। उस उम्र में प्रेमानंद जी महाराज, भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की भक्ति में लीन हुए रहते थे।

अपने घर के आध्यात्मिक वातावरण को देख प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने अपनी छोटी उम्र से ही ईश्वर के प्रति भक्ति श्रद्धा की भावना विकसित कर ली थी। वह बचपन में रोज सुबह जल्दी उठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे। प्रेमानंद जी महाराज के एक बड़े भाई भी थे जिन्होंने संस्कृत की पढ़ाई की थी। वह भी रोज सुबह जल्दी उठकर अपने घर में श्रीमद्भागवत का पाठ किया करते थे। अपने परिवार के ऐसे आध्यात्मिक विचारो को देख कर, प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के बचपन में ही भगवान के प्रति साधना भक्ति की भावना जग गयी थी।

ऐसा कहते हैं कि बच्चे के बचपन का मन एक तरह से उपजाऊ मिट्टी की तरह होता है। जो उस पर बोया गया हो वही उगता है। ऐसा ही कुछ प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के साथ हुआ। स्कूल में पढ़ते हुए भी उनमें भक्ति का एक लगाव विकसित हो गया। फिर उनका विशवास इस मोह-माया की दुनिया से उठ गया। और उन्होंने अपनी बालक अवस्था में ही यानी की अपनी 13 वर्ष की उम्र में ही घर-गृहस्थी छोड़कर एक ब्रह्मचारी बनकर सन्यासी धर्म अपनाने का निश्चय कर लिया।

Premanand Ji Maharaj Spiritual Life In Hindi | प्रेमानंद जी महाराज का आध्यात्मिक जीवन

जब 13 वर्ष की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने अपना घर बार छोड़ा था। तो वह कुछ समय तक नंदेश्वर धाम में रहे थे। लेकिन कुछ समय रहने के बाद महाराज जी वहा से वाराणसी की तरफ चले गए। उस दौरान उन्होंने वहा एक तपस्वी साधु का जीवन व्यतीत किया वह एक दिन में तीन बार गंगा में स्नान करते थे। और वही तुलसी घाट के पास एक पीपल के पेड़ के निचे बैठकर भगवान की आराधना करते थे।

प्रेमानंद जी महाराज अपनी आजीविका चलाने के लिए वहां एक भिक्षु के रूप में रहते थे। अगर कोई आते जाते उनको कुछ खाने को दे देता तो वो खा लेते थे। नहीं तो कभी-कभी गंगा जल पीकर वो भूखे ही सो जाते थे। उनका ये नियम बिलकुल पक्का था। की चाहे भीषण ठंड हो या भारी बारिश, या फिर आंधी तूफ़ान, उन दिनों में भी वह रोज गंगा में 3 बार स्नान करते थे। उस समय प्रेमानंद जी महाराज के पास पहनने के लिए कपडा भी नहीं होता था। तो अपने शरीर पर एक बोरी रखकर उसे वस्त्र के रूप धारण किया करते थे।

प्रेमानंद जी महाराज अपने ब्राह्मण धर्म की दीक्षा लेने के लिए इधर-उधर घूमते रहे। दीक्षा लेते लेते उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे से आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया। उस दौरान श्री गौरांगी शरण जी प्रेमानंद जी महाराज के गुरु थे। ऐसा कहते है की प्रेमानंद जी महाराज ने लगभग दस वर्षों तक अपने गुरु की सेवा करि है।

Premanand Ji Maharaj Arrival in Vrindavan | प्रेमानंद जी महाराज का वृंदावन मे आगमन

जब प्रतिदिन सुबह शाम प्रेमानंद जी महाराज गंगा में स्नान करके तुलसी घाट पर पिपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शंकर का ध्यान कर रहे थे। तब अचानक उनके मन में एक विचार आया कि भगवान श्रीकृष्ण का वृन्दावन कैसा दीखता होगा। उसके बाद महाराज जी ने उसको नजर अंदाज कर दिया और अपना ध्यान साधना में लगा दिया। अगले ही दिन प्रेमानंद जी महाराज से मिलने के लिए एक अज्ञात महात्मा आये और कहने लगे की हे महाराज जी पास में ही हनुमान विश्वविद्यालय काशी में एक धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी हो रही हैं। जिसको स्वयं आचार्य राम शर्मा जी प्रस्तुत करा रहे है। इस कार्यक्रम में उन्होंने दिन में चैतन्य लीला और रात में रासलीला कार्यक्रम का आयोजन किया है।

आचार्य राम शर्मा जी ने सभी साधु संत से कार्यक्रम में आने के लिए आग्रह किया है। महाराज जी क्या आप उस कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए चलेंगे। लेकिन प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने वहा जाने से मना कर दिया। लेकिन अज्ञात महात्मा के बार-बार अनुरोध करने पर प्रेमानंद जी महाराज वहां जाने के लिए तैयार हो गए।वह धार्मिक कार्यक्रम लगभग एक माह तक चलता रहा और प्रेमानंद जी महारज को समय का पता भी नहीं चला। जैसे-जैसे कार्यक्रम समाप्ति की और जा रहा था वैसे वैसे प्रेमानंद जी महाराज को चिंता सता रही थी। फिर वह आचार्य राम शर्मा जी से मिले जिसने इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन कराया था। और पुछा पूछा वह इस रासलीला को हमेशा के लिए कैसे देख सकते है। प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय Premanand Ji Maharaj Biography)

Premanand Ji Maharaj Biography
                                                                       Premanand Ji Maharaj Biography

तब आचार्य राम शर्मा जी ने प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) से कहा की हे बाबा अगर आपको रोज ये रासलीला देखनी है तो इसके लिए आपको वृन्दावन आना होगा। फिर महाराज जी की इच्छा वृन्दावन जाने को हुई। एक दिन जब प्रेमानंद जी महाराज हमेशा की तरह पीपल के पेड़ के निचे ध्यान कर रहे थे। तभी एक युगल किशोर नाम का सात्विक जोड़ा उनके पास आया और प्रेमानंद जी महाराज को प्रसाद देने लगा। लेकिन महाराज जी ने प्रसाद लेने से मना कर दिया। उन्होंने उस किशोर से कहा की यहां आसपास इतने सारे लोग है इनको प्रसाद देदो मुझे ही क्यों दे रहे हो। तब किशोर बोला महाराज मुझे अंदर से आपको प्रसाद देने की इच्छा पैदा हुई है।

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने प्रसाद ले लिया। फिर उसने महाराज जी से अपनी कुटिया में आकर भोजन करने को कहा। प्रेमानंद जी महाराज तैयार हो गए और उसके साथ कुटिया में चले गए। वहां महाराज ने उस युगल किशोर से कहा कि मेरी वृन्दावन जाने की बहुत इच्छा है। परन्तु मेरे पास जाने के लिए पैसे नहीं है। महाराज जी ने अपने मन की इच्छा उसके सामने प्रकट की। तभी उस युगल ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा कि आप वृन्दावन जाने के लिए तैयार रहें। में आपका ट्रैन का टिकट करदूंगा । और फिर ऐसे प्रेमानंद जी महाराज ट्रैन में बैठकर वृन्दावन आ गए।

वृन्दावन आने के बाद प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की भक्ति में लीन हो गए।और तभी उन्होंने अपना तपस्वी जीवन त्याग दिया और खुद को श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित करना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद प्रेमानंद जी महाराज राधावल्लभ नामक संप्रदाय से जुड़ गए और वहीं संत बाबा बनकर दुनिया को भक्ति का ज्ञान देने लग गए।

Premanand Ji Maharaj Kidney Fail | प्रेमानंद जी महाराज किडनी का रोग

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj Biography) के जीवन परिचय के अनुसार जब उनकी उम्र 35 साल थी तब अचानक उनके पेट में बहुत दर्द की समस्या होने लगी। उसके बाद प्रेमानंद जी महाराज अपने पेट के दर्द का इलाज कराने के लिए रामकृष्ण मिशन अस्पताल में गए। वहा के डॉक्टरों द्वारा किए गए टेस्ट के द्वारा पता चला कि प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां पूरी तरीके से खराब हो चुकी हैं। डॉक्टरो ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा की अब आपकी किडनियों का कोई इलाज भी नहीं है। और आपकी जिंदगी के महज 4-5 साल ही बचे हैं। हां अगर आप चाहे तो अपनी किडनी चेंज करा सकते है। नहीं तो कुछ समय बाद आपकी दोनों किडनिया काम करना बंद कर देगी। और आपकी मृत्यु हो जाएगी।

Premanand Ji Maharaj Biography
                                                                        Premanand Ji Maharaj Biography

लेकिन प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने अपनी किडनीया चेंज कराने को साफ़ मना कर दिया और बोले श्री जी की जैसी इच्छा होगी वैसा ही होगा। मेरी एक किडनी श्री कृष्ण है और दूसरी किडनी श्री राधा रानी इनको में कदा भी नहीं बदलूंगा जब तक मेरा जीवन है वो इन्ही दोनों किडनियों से चलेगा। देखते ही देखते आज उस बात भी को पुरे 17 साल बीत चुके है। और प्रेमानंद जी महाराज आज भी जीवित है। महाराज जी को हफ्ते में एक बार डायलिसिस कराना पड़ता है। श्री हिट राधा कुंजी आश्रम में उनके लिए स्वास्थ्य की सारी व्यवस्थाएँ की गई हैं।

Premanand Ji Maharaj Age | प्रेमानंद जी महाराज की आयु

अक्सर हमने देखा है की काफी लोगों का यह सवाल होता है। कि प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की उम्र कितनी होगी। क्योंकि उनके चेहरे पर जो तेज है वो एक दम अलग ही है। आपको बतादे की उनकी जन्मतिथि के बारे में ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। है लेकिन सोशल मीडिया की जानकारी के अनुसार अभी उनकी उम्र लगभग 54 वर्ष की है लेकिन एक बार अपने सत्संग में प्रेमानंद जी महाराज स्वयं बताया था की मेरी उम्र अब 56 वर्ष से अधिक हो चुकी है।

How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम कैसे पहुंचे

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के आश्रम का नाम श्री हित राधा केली कुंज है जो की वृंदावन में स्थित एक प्रमुख आश्रम और मंदिर है। यह आश्रम भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधा रानी की भक्ति को समर्पित है। यह मंदिर वृंदावन के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। श्री हित राधा केली कुंज आश्रम पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको वृंदावन आना होगा। निचे हमने आपको अलग-अलग मार्ग से वृंदावन कैसे पहचे ये बताया हुआ है। जिसका आप निचे मार्गदर्शक का पालन कर सकते हैं।

1. How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Flight | फ्लाइट मार्ग से प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम कैसे पहुंचे

  • निकटतम हवाई अड्डा: वृंदावन के निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) है, जो वृंदावन से लगभग 150 किमी दूर है।
  • हवाई अड्डे से यात्रा: हवाई अड्डे से आप टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं, जो आपको सीधे वृंदावन या मथुरा तक ले जाएगी। वहाँ से श्री हित राधा केली कुंज तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Flight

2. How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Train | रेल मार्ग से प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम कैसे पहुंचे

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: वृंदावन का निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन (Mathura Junction) है, जो वृंदावन से 12 किमी की दूरी पर स्थित है।
  • मथुरा जंक्शन से यात्रा: मथुरा जंक्शन से वृंदावन के लिए आप ऑटो, टैक्सी, या स्थानीय बस ले सकते हैं। वृंदावन पहुँचने के बाद आप श्री हित राधा केली कुंज तक पहुँचने के लिए ई-रिक्शा या ऑटो का उपयोग कर सकते हैं।

How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Train

How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Road | सड़क मार्ग से प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम कैसे पहुंचे

  • दिल्ली से वृंदावन: अगर आप दिल्ली से यात्रा कर रहे हैं, तो यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से वृंदावन तक पहुँच सकते हैं। यह मार्ग लगभग 3 घंटे का है।
  • आगरा से वृंदावन: आगरा से वृंदावन की दूरी लगभग 75 किमी है। आप NH-2 के माध्यम से 1.5-2 घंटे में वृंदावन पहुँच सकते हैं।
  • सड़क से यात्रा: आप वृंदावन के बस स्टैंड या मथुरा से सीधी टैक्सी लेकर श्री हित राधा केली कुंज पहुँच सकते हैं। वृंदावन में ऑटो, रिक्शा, और तांगा भी सुविधाजनक विकल्प हैं।

How to reach Premanand Ji Maharaj Ashram by Road

Social Media Platform of Premanand Ji Maharaj | प्रेमानंद जी महाराज का सोशल मीडिया प्लेटफार्म

प्रेमानंद जी महाराज (Pramanand Ji Maharaj) रोज सुबह जल्दी उठकर परिक्रमा करने के लिए निकलते है। और बाद में अपने आश्रम में बैठकर सभी भक्तो की बात सुनते है। और उन्हें सही मार्ग दर्शन दिखाते है। इन सभी बातो को रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर डाला जाता है ताकि दूर बैठे भी भक्त प्रेमानंद जी महाराज के परवचनो को सुन सके। आपको बतादे की प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अकाउंट बने हुए है।

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Premanand Ji Maharaj Ashram Address | प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता वृंदावन

प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम (श्री हित राधा केली कुंज) वृन्दावन (Shri Hit Radha Keli Kunj Vrindavan Ashram) में स्थित है। जहाँ कोई भी जाकर उनके प्रवचन सुन सकता है। उनसे मिल सकता है और इस महाज्ञानी महापुरुष के दर्शन कर सकता है। अगर आप भी प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) से मिलना चाहते है तो एक बार वृंदावन जरूर आये। हमने निचे श्री हित राधा केली कुंज आश्रम का पूरा पता दिया हुआ है।

Premanand Ji Maharaj Ashram Address

श्री हित राधा केली कुंज
वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट,
भक्तिवेदांत धर्मशाला के सामने,
वृन्दावन-281121
उत्तर प्रदेश, भारत

Premanand Ji Maharaj Ashram Map in Hindi | प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम का मेप

दोस्तों हमने आपको “श्री हित राधा केली कुंज वृंदावन आश्रम” (Shri Hit Radha Keli Kunj Vrindavan Ashram) तक जाने के लिए गूगल मैप साजा किया हुआ है। जिसके सहारे आप अपनी यात्रा तक बहुत आसानी से पहुंच सकते है। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के आश्रम तक पहुंचने के लिए यह गूगल मैप Google Map आपका पूरा साथ देगा।

सारांश

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के जन्म से लेकर अब तक की जीवन यात्रा को जानने का प्रयास कराया है। आप हमारे इस आर्टिकल के बारे में क्या सोचते हैं। प्लीज हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपके पास इस आर्टिकल के बारे में कोई और जानकारी है, तो आप हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं। अगर आपकी दी गयी जानकारी हमे सही लगती है। तो हम आपकी उस दी गयी जानकारी को अपने इस आर्टिकल में जोड़ने का प्रयास करेंगे।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय (Premanand Ji Maharaj Biography) की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।

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