Garjiya Mata Mandir :- भारत एक ऐसा धार्मिक और आध्यात्मिक देश है, जिसमें अनेकों पवित्र धाम और प्राचीन मंदिर शामिल हैं। जो अपनी धार्मिकता, संस्कृति, और प्राचीन इतिहास के साथ जुड़ा हुआ हैं। ऐसा ही एक गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) है। जो उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर कोसी नदी के किनारे एक ऊँची चट्टान पर स्थित है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय है। यह मंदिर देवी दुर्गा के गर्जिया रूप को समर्पित है, और यहां खासकर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर का वातावरण प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, और कोसी नदी के प्रवाह से यह धार्मिक स्थल अत्यधिक शांत और आकर्षक बन जाता है। गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 90 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, और ऊपर से कोसी नदी और आसपास के प्राकृतिक नज़ारों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। हर रोज यहां 5 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। यहाँ पूजा-अर्चना के साथ-साथ कोसी नदी में स्नान करने भी आते हैं, क्योंकि इस नदी को पवित्र माना जाता है।
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Table of Contents
History of Garjiya Mata Mandir in Hindi (गर्जिया माता मंदिर का इतिहास)
गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जिले के रामनगर शहर से लगभग 14 km दूर एक सुंदरखाल गांव में स्थित है। जिसे गिरिजा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह प्राचीन मंदिर कोसी नदी के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी के टीले पर बना हुआ है. जो माता पार्वती के स्वरूप गर्जिया देवी को समर्पित है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें “गिरिजा” नाम से पुकारा जाता है। इस मंदिर को माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक कहा जाता है।
पुराने इतिहासकारों के अनुसार जहां पर वर्तमान में रामनगर बसा हुआ है। पहले कभी वहा कोसी नदी के “वैराट नगर” यहा “वैराट पत्तन” बसा हुआ था। पहले यहां पर कुरु राजवंश के राजा राज करते थे। तथा बाद में कत्यूरी राजा ने राज किया। जो इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली ) के साम्राज्य में रहते थे। कत्यूरी राजवंश के बाद गर्जिया की इस पवित्र भूमि पर चन्द्र राजवंश, गोरखा वंश और अंग्रेज़ शासकों ने राज किया है। 1940 से पहले गर्जिया नामक का यह क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था। ऐसा बताते है की 1940 से पहले इस मन्दिर की स्थिति आज जैसी नहीं थी। तब इस देवी को उपटा देवी के नाम से जाना जाता था।
Garjiya Mata Mandir Story in Hindi (गर्जिया माता मंदिर की पौराणिक कथा)
पौराणिक कथाओं के अनुसार कोसी नदी की भयंकर बाढ़ में एक छोटी सी पहाड़ी बहकर आ रही थी जिसके के टीले पर माँ गर्जिया देवी प्रतिमा भी स्थित थी। टीले के साथ माँ गर्जिया देवी प्रतिमा बहता देख भैरव देव ने रोकने का प्रयास किया और बोले की ‘ठहरो, बहन ठहरो’ अब तुम मेरे साथ यही पर निवास करना। तब उन्हें उपटा देवी के नाम से जाना जाता था।
गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) में माँ गिरिजा देवी सतोगुणी रूप में विद्यमान हैं। जो भक्तो की सच्ची श्रद्धा और आस्था से जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। माता के भक्त इस मंदिर में प्रसाद के रूप में नारियल, लाल चुनरी, सिन्दूर, और धुप दिप चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगते है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु माता को घण्टी, छत्र आदि चढ़ाते हैं।
गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) के मुख्य गर्भ ग्रह में माता की 4.5 फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। साथ में माता सरस्वती, गणेश और भैरव की संगमरमर की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मंदिर परिसर में एक अन्य मंदिर लक्ष्मी नारायण का भी स्थापित है। जिसमे स्थापित प्रतिमा यहीं पर हुई खुदाई के दौरान मिली थी।
टीले के नीचे बहती कोसी नदी की यह प्रबल धारा कभी कभी इसका बहाव ऊपर तक आ जाता है। आज भी इस मंदिर में जंगली जानवरों की भयंकर गर्जना की आवाज आ जाती है। उसके बावजूद भी यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
स्थानीय लोगो द्वारा बताया गया है की 1956 में आयी कोसी नदी की भयंकर बाढ़ में मंदिर की सभी मूर्तियां बह गयी या (खंडित हो गयी) थीं। तब पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे ने मंदिर में प्रतिमा की फिर से इसकी स्थापना की थी। 1970 में मंदिर का निर्माण पूर्ण और व्यवस्थित तरीके किया गया था।
Mystery of Garjiya Mata Mandir in Hindi (गर्जिया माता मन्दिर का चौकाने वाला रहस्य)
1940 में कोसी नदी की बाढ़ में बहकर आया था माँ गर्जिया देवी का यह मंदिर जो एक छोटी सी पहाड़ी के टीले पर स्थित था यह पूरी पहाड़ी ही बाढ़ में बहकर आयी थी। मंदिर को टीले के साथ बहता देख भैरव देव ने रोकने का प्रयास किया और बोले की ‘ठहरो, बहन ठहरो’ अब तुम मेरे साथ यहां पर निवास करना | तब उन्हें उपटा देवी कहा जाता था। दूसरी और ऐसा भी बताया जाता है पहले प्रतिदिन रात में इस टीले के पास मां दुर्गा का वाहन शेर अपने भयंकर रूप में दहाड़ा करता था यानि गर्जना किया करता था। उस दौरान स्थानीय लोगो ने भी शेर को कई बार इस टीले के चारो और परिक्रमा करते हुए देखा था, तभी से माँ गिरजा का यह शक्तिस्थल दूर-दूर तक प्रचलित हो गया था।
हिन्दुओं के विशेष पर्व जैसे कार्तिक पूर्णिमा,गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, और गंगा स्नान के समय यहां पर श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ उमड़ती है | ऐसा बताया जाता है की गिरिजा देवी की पूजा से पहले बाबा भैरव को चावल और उड़द की दाल का प्रशाद चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है भैरव की पूजा के बाद ही माँ गिरिजा की पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है। स्थानीय लोगो द्वारा बताया गया है की 1956 में आयी कोसी नदी की भयंकर बाढ़ में मंदिर की सभी मूर्तियां बह गयी या (खंडित हो गयी) थीं, तब पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे ने मंदिर में प्रतिमा की फिर से इसकी स्थापना की थी, 1970 में मंदिर का निर्माण पूर्ण और व्यवस्थित तरीके किया गया था।
Best time to visit Garjiya Mata Mandir (गर्जिया माता मंदिर आने का सबसे अच्छा समय)
गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) आने का सबसे अच्छा समय श्रद्धालुओं की धार्मिक मान्यताओं और मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हालांकि, मंदिर सालभर खुला रहता है, लेकिन कुछ विशेष समय और त्यौहार ऐसे होते हैं जब यहां आने का विशेष महत्व होता है।
1. कार्तिक पूर्णिमा
यह मंदिर दर्शन के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ अवसर माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां एक भव्य मेला लगता है, और दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस दिन का धार्मिक महत्त्व अधिक होता है, और इस अवसर पर पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति मानी जाती है।
2. नवरात्रि
नवरात्रि के दौरान गर्जिया माता मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। देवी दुर्गा के रूप की पूजा नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से की जाती है, और इस समय यहां आकर पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
3. अक्टूबर से जून (अच्छे मौसम में)
नैनीताल जिले का यह क्षेत्र पहाड़ी है, और मानसून के दौरान भारी बारिश हो सकती है जिससे मंदिर पहुंचने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए, अक्टूबर से जून का समय गर्जिया माता मंदिर आने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय मौसम सुहावना होता है, और आप मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद भी ले सकते हैं।
4. मौसम के अनुसार
- गर्मी (अप्रैल से जून): इस समय तापमान मध्यम रहता है और यात्रा के लिए मौसम अनुकूल होता है। पर्यटक इस मौसम में अधिक आते हैं क्योंकि कोसी नदी और आसपास के जंगलों का नजारा बेहद सुंदर होता है।
- सर्दी (नवंबर से फरवरी): सर्दियों में यहां ठंड होती है, लेकिन यह समय यात्रा के लिए उपयुक्त है क्योंकि भीड़ कम होती है और शांतिपूर्ण माहौल में आप मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
- मानसून (जुलाई से सितंबर): इस समय भारी बारिश होती है, जिससे यात्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। कोसी नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, इसलिए इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए।
इसलिए, गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir)आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के बीच होता है, खासकर कार्तिक पूर्णिमा और नवरात्रि के समय, जब यहां धार्मिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
How to reach Garjiya Mata Mandir in Hindi (गर्जिया माता मन्दिर में कैसे पहुंचे)
गर्जिया माता मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले “रामनगर” में आना होगा। रामनगर से लगभग 14 km दूर रानीखेत मार्ग पर स्थित है माँ गर्जिया देवी का मंदिर हैं।आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग के जरिये गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) तक पहुंच सकते हैं। रेल और बस इन दोनों माध्यम से रामनगर बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए प्रमुख मार्ग और विकल्प इस प्रकार हैं।
How to reach Garjiya Mata Mandir by Road (सड़क मार्ग से गर्जिया माता मन्दिर में कैसे पहुंचे)
- रामनगर: गर्जिया माता मंदिर रामनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रामनगर उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में से एक है और सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- दिल्ली से दूरी: दिल्ली से रामनगर की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है, और आप NH-9 मार्ग से 5-6 घंटे में रामनगर पहुंच सकते हैं।
- बस या टैक्सी: रामनगर से गर्जिया माता मंदिर तक बस, टैक्सी या ऑटो-रिक्शा के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। रामनगर से नियमित रूप से टैक्सियां और स्थानीय वाहन मंदिर के लिए उपलब्ध होते हैं।
- नैनीताल से दूरी: नैनीताल से गर्जिया माता मंदिर की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है, और यह सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
How to reach Garjiya Mata Mandir by Train (रेल मार्ग से गर्जिया माता मन्दिर में कैसे पहुंचे)
- निकटतम रेलवे स्टेशन: रामनगर रेलवे स्टेशन गर्जिया माता मंदिर के सबसे नजदीक है, जो मंदिर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- प्रमुख ट्रेनें: रामनगर रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुरादाबाद, और अन्य प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है। दिल्ली से रामनगर के लिए नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं, जैसे रानीखेत एक्सप्रेस और उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस।
- रेलवे स्टेशन से मंदिर तक: रामनगर रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी, बस या ऑटो द्वारा गर्जिया माता मंदिर पहुंच सकते हैं।
How to reach Garjiya Mata Mandir by Air (हवाई मार्ग से गर्जिया माता मन्दिर में कैसे पहुंचे)
- निकटतम हवाई अड्डा: गर्जिया माता मंदिर के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- दिल्ली से कनेक्टिविटी: पंतनगर एयरपोर्ट से दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
- हवाई अड्डे से मंदिर तक: पंतनगर हवाई अड्डे से रामनगर के लिए टैक्सी या कैब आसानी से उपलब्ध होती है, और वहां से आप गर्जिया माता मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं।
How to reach Garjiya Mata Mandir by Private Vehicle (निजी वहांन से गर्जिया माता मन्दिर में कैसे पहुंचे)
अगर आप अपने निजी वाहन से यात्रा कर रहे हैं, तो रामनगर तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। रामनगर से मंदिर तक पहुंचने के लिए सीधी सड़क है, और यहां पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। इस प्रकार, आप रामनगर से टैक्सी, ऑटो या बस के माध्यम से गर्जिया माता मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं। गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) से 7-8 km की दूरी पर ही “Jim Corbett National Park” है जहा पर आप जाकर घूम सकते है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Mata Mandir) की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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