Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur:- माँ शाकुंभरी देवी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर सहारनपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जसमौर गांव की शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है। भले ही इस मंदिर की वास्तुकला इतनी ज्यादा आकर्षक नहीं है लेकिन इसकी दिव्य आभा इसको बहुत खास बनाती है। यह मंदिर देवी शाकुंभरी को समर्पित है, जिन्हें माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है और विशेष रूप से कृषि एवं वनस्पति की देवी के रूप में पूजा जाता है।
भक्तो का ऐसा मानना है कि माँ शाकुंभरी देवी (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) के मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर माँ शाकुंभरी देवी ने राक्षस राजा महिषासुर का वद्ध की किया था। माँ शाकुंभरी देवी के मंदिर से एक किलोमीटर पहले पूर्व की तरफ एक ओर अन्य मंदिर स्थित है जो बाबा भूरा देव जी यानी भगवान भैरव को समर्पित है, जिन्हें माँ शाकुंभरी देवी का रक्षक माना जाता है।
इस मंदिर की ऐसी मान्यता है की माँ शाकुम्भरी देवी के दर्शन से पहले बाबा भूरा देवी जी के दर्शन करने होते है। उसके बाद ही (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) माँ शाकुंभरी देवी के दर्शन किये जाते हैं। दोस्तों अगर आप भी माँ शाकुंभरी देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं, या मंदिर के बारे में और ज्यादा जानना चाहते तो आप हमारे इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें जिसमे हम आपको माँ शाकुंभरी देवी मंदिर के बारे में पूरी जानकारी दे रहें हैं।
Table of Contents
Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur Story In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर की कहानी)
पौराणिक कथाओ में ऐसा वर्णन है की जब महिषासुर नाम के राक्षस ने भगवान ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की थी। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें ऐसा वरदान दिया। कि उसे युद्ध में कोई भी देवता कभी भी पराजित नहीं कर पायेगा। और साथ में चार वेद और पुराण भी दिए।
भगवान ब्रह्मा जी का ऐसा वरदान पाते ही राक्षस महिषासुर ने देवताओं पर अपनी यातनाएँ शुरू कर दीं। और इंद्र, वरुण जैसे देवताओं को बंदी बना लिया। जिसकी वजह से पृथ्वी पर कई सालों तक बारिश नहीं हुई और पूरी पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा गया। इस अकाल के कारण पूरी पृथ्वी पर चारों ओर सूखा था। और जीव-जंतु, मानव सभी भूख और प्यास से त्रस्त हो गए थे।
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जल स्रोत सूख गए थे और कृषि फसलों का नामोनिशान मिट गया था। इस स्थिति से जीवन संकट में पड़ गया था। लोग धरती पर धर्म और कर्म को भूल गए। ब्राह्मण भी यहां मॉस मदिरा का सेवन करने लगे। पृथ्वी पर ऐसी स्थति को देख कर माँ शाकुंभरी देवी के आंसू बहने लगे। जिनसे पृथ्वी पर नदियों में पानी बहने लगा। उसके बाद माता ने पृथ्वी को फिर से हरा भरा कर दिया। सभी प्रकार की साग और सब्जीया भी उग गयी। जिसके बाद धर्म और कर्म फिर से धरती पर आ गए।
फिर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) माँ शाकुंभरी देवी ने राक्षस महिषासुर का वाद कर डाला और चार वेद और पुराण ले गए। इस तरह से पृथ्वी पर शाकाहारी भोजन जैसे साग और सब्जियों के माध्यम से दुनिया कल्याण करने वाली मां का नाम शाकुंभरी देवी पड़ा था। उसके बाद माँ शाकुंभरी देवी ने इसी स्थान पर 100 वर्षों तक पूजा और ध्यान किया था।
Shakumbhari Devi Mandir History In Hindi (शाकुम्भरी देवी मंदिर का इतिहास)
शाकुंभरी देवी मंदिर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) का इतिहास और पौराणिकता भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। देवी शाकुंभरी को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है, जो अपने भक्तों की भूख और प्यास मिटाने के लिए सब्जियों और अनाज की बारिश करती हैं। मंदिर का इतिहास विभिन्न पौराणिक कथाओं और स्थानीय मान्यताओं के माध्यम से समृद्ध है।
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शाकुम्भरी देवी मंदिर की पौराणिक कथा:
देवी शाकुंभरी (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) का उल्लेख देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण में मिलता है। कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा और सभी जीव-जंतु भूख से तड़पने लगे। तब देवी ने शाकुंभरी के रूप में अवतार लिया और 100 वर्षों तक तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने सब्जियों, फलों और अनाज की बारिश करके पृथ्वी पर भोजन की कमी को दूर किया। उनके इसी कार्य के कारण उनका नाम शाकुंभरी पड़ा, जो “शाक” (सब्जी) और “अंभरी” (वर्षा करने वाली) से मिलकर बना है।
शाकुम्भरी देवी मंदिर का ऐतिहासिक पहलू:
- मंदिर की स्थापना: इस मंदिर की स्थापना के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर प्राचीन काल से ही पूजा स्थल के रूप में स्थापित है। स्थानीय किंवदंतियों और इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर सैकड़ों वर्षों पुराना है।
- राजाओं का योगदान: समय-समय पर विभिन्न राजाओं और स्थानीय शासकों ने इस मंदिर के विकास और संरक्षण में योगदान दिया है। उनके द्वारा किए गए योगदानों में मंदिर की संरचना का विस्तार, पूजन सामग्री की व्यवस्था और भक्तों की सुविधा के लिए विभिन्न उपाय शामिल हैं।
शाकुम्भरी देवी मंदिर का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व:
मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है और यह क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर सहारनपुर के अलावा अन्य निकटवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु देवी के दर्शन करने आते हैं, विशेषकर नवरात्रि के समय (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है।
Religious Significance Of Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर का धार्मिक महत्व)
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जिसे देवी शाकुंभरी के मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर देवी शाकुंभरी को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में माता दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व निम्नलिखित है।
- माता का अवतार: शाकुंभरी देवी को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि जब पृथ्वी पर सूखा पड़ा था, तब देवी ने साक्षात प्रकट होकर पृथ्वी पर शाक (सब्जियों) की वर्षा की थी। इसलिए, उन्हें ‘शाकुंभरी’ कहा जाता है।
- धार्मिक तीर्थ स्थल: सहारनपुर का शाकुंभरी देवी मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह स्थान नवरात्रि के समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जब यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
- प्राचीनता और इतिहास: इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। यह माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहाँ पूजा की थी।
- आध्यात्मिक ऊर्जा: मंदिर परिसर और इसके आसपास का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ माना जाता है। भक्तों का मानना है कि यहाँ आकर उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सांस्कृतिक धरोहर: यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जो स्थानीय संस्कृति और परंपरा को प्रकट करते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव: शाकुंभरी देवी मंदिर में साल भर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, और शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं जब यहाँ विशेष पूजा और हवन आयोजित किए जाते हैं।
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है, जो भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि उनकी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को भी मजबूत बनाता है।
Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur Mela In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर का प्रसिद्ध मेला)
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) का प्रसिद्ध मेला साल भर में दो बार आयोजित किया जाता है, जो नवरात्रि के पावन अवसर पर होता है। यह मेला विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व निम्नलिखित है।
- भक्तों की भारी भीड़: नवरात्रि के दौरान आयोजित होने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश के विभिन्न कोनों से आते हैं। भक्त यहाँ देवी शाकुंभरी के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए जुटते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: मेले के दौरान मंदिर में विशेष पूजा, हवन, और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। भक्त देवी को प्रसाद चढ़ाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: मेले के समय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें लोकगीत, नृत्य, और नाटक शामिल होते हैं। ये कार्यक्रम स्थानीय संस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाते हैं।
- व्यापार और मनोरंजन: मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानों और स्टॉल्स लगती हैं जहाँ खिलौने, कपड़े, धार्मिक वस्त्र, प्रसाद, और खाने-पीने की चीजें मिलती हैं। इसके साथ ही, झूले, सर्कस, और अन्य मनोरंजन के साधन भी होते हैं जो मेले को और भी आकर्षक बनाते हैं।
- सामाजिक और सामुदायिक जुड़ाव: इस मेले का आयोजन स्थानीय समाज और समुदाय को एकजुट करने का कार्य करता है। लोग यहाँ अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताते हैं और धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
- पारंपरिक मेलों का पुनरुद्धार: इस मेले के माध्यम से पारंपरिक भारतीय मेलों की प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित और संरक्षित किया जाता है। यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाता है।
शाकुंभरी देवी मंदिर का मेला सहारनपुर और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जहाँ वे धार्मिक आस्था के साथ-साथ मनोरंजन और सामाजिक जुड़ाव का भी अनुभव करते हैं।
Famous Festivals At Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार)
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) में कई प्रमुख त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इन त्यौहारों में विशेष पूजा-अर्चना, अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। यहाँ प्रमुख त्यौहारों का विवरण दिया गया है।
- नवरात्रि:
- चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल): यह त्यौहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है और नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मंदिर में विशेष हवन, पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
- शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर): यह त्यौहार शरद ऋतु में मनाया जाता है। यह भी नौ दिनों तक चलता है और इसे विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। भक्त व्रत रखते हैं और मंदिर में देवी की आराधना करते हैं।
- दुर्गा अष्टमी और महानवमी:
- नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन दुर्गा अष्टमी और महानवमी मनाई जाती है। इस दिन विशेष पूजा और हवन किए जाते हैं। देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कन्या पूजन का आयोजन होता है।
- वसंत पंचमी:
- यह त्यौहार माघ महीने (जनवरी-फरवरी) में मनाया जाता है और इसे देवी सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है। शाकुंभरी देवी को वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए पूजा जाता है।
- महाशिवरात्रि:
- महाशिवरात्रि का त्यौहार फाल्गुन महीने (फरवरी-मार्च) में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा होती है। शाकुंभरी देवी का संबंध भी शिव परिवार से है, इसलिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
- दीपावली:
- दीपावली का त्यौहार कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा, दीप जलाना, और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। देवी लक्ष्मी और शाकुंभरी देवी की पूजा की जाती है।
- गुप्त नवरात्रि:
- यह त्यौहार पौष और आषाढ़ महीनों में मनाया जाता है। यह नवरात्रि कम प्रसिद्ध है लेकिन इसका धार्मिक महत्व होता है। इस दौरान भी नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाती है।
इन त्यौहारों के दौरान, शाकुंभरी देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और पूरे मंदिर परिसर में धार्मिक उत्साह का माहौल होता है। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवी की पूजा करते हैं और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
Best Time To Visit Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए अच्छा समय)
दोस्तों माँ शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) पहुंचने के लिए हमने आपके साथ गूगल मैप्स का नक्शा सजा किया है। ताकि आपको यात्रा में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो और आप शाकुंभरी देवी मंदिर, सहारनपुर की स्थिति और मार्ग को आसानी से देख सकते हैं।
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) जो हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। मंदिर में दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय निम्नलिखित है।
नवरात्रि के दौरान
नवरात्रि के समय शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) में विशेष पूजा-अर्चना होती है और इस समय यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। नवरात्रि साल में दो बार आती है।
- चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल)
- शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर)
अक्टूबर से मार्च
सर्दियों के महीनों में मौसम सुहावना होता है, जो यात्रा को आरामदायक बनाता है। अक्टूबर से मार्च तक का समय दर्शन के लिए आदर्श माना जाता है।
विशेष त्योहार और उत्सव
मंदिर में आयोजित होने वाले विभिन्न त्योहारों और उत्सवों के दौरान भी मंदिर में विशेष कार्यक्रम होते हैं और भक्तों की बड़ी संख्या होती है। इस समय मंदिर की सजावट और विशेष पूजा-अर्चना का विशेष अनुभव किया जा सकता है।
सप्ताह के दिन
यदि आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो सप्ताह के मध्य (मंगलवार से गुरुवार) में दर्शन करने का प्रयास करें क्योंकि सप्ताहांत और छुट्टियों पर यहां ज्यादा भीड़ होती है।
सुबह का समय
सुबह के समय दर्शन करने पर आप भीड़ से बच सकते हैं और शांति से पूजा कर सकते हैं। शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) के खुलने का समय सुबह 4:00 बजे से शाम 10:00 बजे तक है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप शाकुंभरी देवी मंदिर के दर्शन का सबसे अच्छा समय चुन सकते हैं।
How To Reach Shakumbari Devi Mandir Saharanpur In Hindi (शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर कैसे पहुंचे)
शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए आप निम्नलिखित मार्गों का उपयोग कर सकते हैं।
1. सड़क मार्ग:
- बस: सहारनपुर बस स्टेशन से शाकुंभरी देवी मंदिर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप सहारनपुर से सीधे बस लेकर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- टैक्सी/कैब: आप सहारनपुर से टैक्सी या कैब भी बुक कर सकते हैं। यह यात्रा का अधिक सुविधाजनक और आरामदायक तरीका हो सकता है।
- स्वयं का वाहन: अगर आपके पास अपना वाहन है, तो आप सहारनपुर से शाकुंभरी देवी मंदिर तक सड़क मार्ग से सीधे पहुँच सकते हैं।
2. रेल मार्ग:
सहारनपुर रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहाँ से आप सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- ऑटो रिक्शा/टैक्सी: रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा या टैक्सी लेकर शाकुंभरी देवी मंदिर पहुँच सकते हैं।
3. वायु मार्ग:
नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो सहारनपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से सहारनपुर और फिर मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं:
- कैब/टैक्सी: हवाई अड्डे से सहारनपुर और फिर सहारनपुर से शाकुंभरी देवी मंदिर के लिए टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं।
सामान्य मार्गदर्शन:
- सहारनपुर शहर से शाकुंभरी देवी मंदिर के लिए बस, टैक्सी, या निजी वाहन का उपयोग करें।
- मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भोजन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- यात्रा से पहले मौसम और अन्य संबंधित जानकारी की जाँच कर लें।
इस प्रकार, आप सहारनपुर से शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) आसानी से पहुँच सकते हैं। आपकी यात्रा शुभ हो!
Shakumbari Devi Mandir Saharanpur Map (शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर का नक्शा)
माँ शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यहाँ की यात्रा आपके लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव हो सकती है। आशा है कि ये जानकारी आपकी यात्रा को सुखद और सरल बनाएगी।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको माँ शाकुंभरी देवी मंदिर सहारनपुर (Shakumbhari Devi Mandir Saharanpur) की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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