Nandini Devi Temple History : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में बोलपुर (शांति निकेतन) से लगभग 33 km दूर सैंथिया रेलवे स्टेशन पास स्थित है। देवी 51 शक्तिपीठो में शामिल यह प्राचीन मंदिर माता सती के शक्ति रूप को समर्पित है। इस स्थान पर देवी सती के गले का हार गिरा था। यह मंदिर चार दीवारी में एक बरगद के वृक्ष के निचे बना हुआ है। जिसके मुख्य गर्भ ग्रह में “नन्दिनी देवी” की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ की शक्ति को ‘नन्दिनी’ और भैरव को ‘नन्दिकेश्वर’ के रूप में पूजा जाता है।
नन्दिनी देवी की पौराणिक कथा (Nandini Devi Temple Mythology in Hindi)
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी। जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में एक भव्य यज्ञ का आयोजन कराया और इस भव्य यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। जब माता सती को पता चला की मेरे पिता ने इस भव्य यज्ञ मेरे पति को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में कूदकर अपने प्राणो की आहुति देदी थी।
यह सुचना सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेजा। वीरभद्र ने जाकर उस भव्य यज्ञ को नस्ट कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी सभी देवताओं के अनुरोध करने पर पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को दोबारा जीवन दान देकर उस पर बकरे का सिर लगा दिया। यह देख राजा दक्ष को अपनी गलतियों का पश्च्याताप हुआ और भगवान शिव से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। तभी भगवान शिव ने सभी देवी देवताओं के सामने यह घोषणा कि हर साल सावन माह, में कनखल में निवास करूँगा।
भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित होते हुए सती के मृत शरीर उठाकर पुरे ब्रह्माण के चक्कर लगाने लगे। तब पश्चात भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित करा था। जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए। जहा पर नंदिनी देवी का मंदिर है। इस स्थान पर माता सती के गले का हार यानि कंठ हार गिरा था। इसीलिए इस मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठो में की जाती है। भक्त यहां पर आकर नंदिनी देवी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है।
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1. दक्षेस्वर महादेव मंदिर – Dakseswar Mahadev Temple