Maniband Shaktipeeth Temple: यह मंदिर देवी सती के 51 शक्तिपीठो में शामिल राजस्थान के अजमेर पुष्कर में स्थित “मणिबंद शक्तिपीठ” या “गायत्री देवी मदिर” के नाम से जाना जाता है इस लेख में आज हम आपको इस मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। यदि आप गायत्री देवी मदिर की सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़े।
मणिबंद शक्तिपीठ मदिर का इतिहास (Maniband Shakti Peeth Temple History in Hindi)
मणिबंद गायत्री देवी का यह शक्तिपीठ मंदिर भारत में राजस्थान अजमेर के पास पुष्कर से लगभग 5 km की दुरी पर स्थित है। देवी सती के 51 शक्तिपीठो में से एक माता गायत्री देवी का यह प्राचीन मंदिर माता सती के शक्ति रूप को समर्पित है। इस स्थान पर देवी सती के हाथ की कलाई या दो पहुंचियां गिरी थी। इस मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में स्थित गायत्री देवी की प्रतिमा स्थापित है। जिसको मणिबंद देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की शक्ति रूप को गायत्री देवी तथा भैरव को सर्वानंद कहा गया हैं।
दोस्तों आपको बतादे की जगत पिता भगवान ब्रह्मा जी का स्थान पुष्कर है। जिनको इस सृष्टि का रचयिता माना जाता है। पुरे विश्व में ब्रह्मा जी यहां पर स्थित एक लोटा मंदिर है। हर साल यहां पर पुष्कर मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे बहुत बड़ी तादात में भक्तो की भीड़ उमड़ती है। पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी के इस मंदिर की हम आपसे किसी और आर्टिकल में चर्चा करेंगे।
अजमेर से मणिबंद देवी मंदिर 11 km की दुरी पर स्थित है। वैसे तो भारत में सभी जानते है की शक्तिपीठ मंदिरो की स्थापना कैसे हुई। जिनमे से कुछ शक्तिपीठ मंदिर नेपाल, पाकिस्थान, बंगलादेश और श्रीलंका में भी स्थित है। पुष्कार स्तिथ मणिबंद देवी के शक्तिपीठ मंदिर से अभी भी बहूत सारे भक्त अन्जान है।
मणिबंद गायत्री देवी की पौराणिक कथा (Maniband Shakti Peeth Temple Story in Hindi)
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में एक भव्य यज्ञ का आयोजन कराया और इस भव्य यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। जब माता सती को पता चला की मेरे पिता ने इस भव्य यज्ञ मेरे पति को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में कूदकर अपने प्राणो की आहुति देदी थी।
यह सुचना सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेजा। वीरभद्र ने जाकर उस भव्य यज्ञ को नस्ट कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी सभी देवताओं के अनुरोध करने पर पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को दोबारा जीवन दान देकर उस पर बकरे का सिर लगा दिया। यह देख राजा दक्ष को अपनी गलतियों का पश्च्याताप हुआ और भगवान शिव से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। तभी भगवान शिव ने सभी देवी देवताओं के सामने यह घोषणा कि हर साल सावन माह, में कनखल में निवास करूँगा।
भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित होते हुए सती के मृत शरीर उठाकर पुरे ब्रह्माण के चक्कर लगाने लगे। तब पश्चात भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित करा था। जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए। जहा पर मणिबंद गायत्री देवी का मंदिर है इस स्थान पर माता सती के हाथ की कलाई या दो पहुंचियां गिरी थी। इसीलिए इस मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठो में की जाती है। भक्त यहां पर आकर माँ मणिबंद देवी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है।
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Maniband Shakti Peeth Temple के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।
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