Vaishno Devi Temple History in hindi: वैष्णो देवी एक पवित्रतम हिन्दू मंदिर है, जो देवी शक्ति को समर्पित है। यह मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी पर स्थित है। इस लेख में आज हम आपको माँ वैष्णो देवी, चरण पादुका, अर्धकुंवारी गुफा और भैरोनाथ मंदिर की पूरी कहानी और महिमा विस्तार से बताने वाले है आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
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वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास (Vaishno Devi Temple History in Hindi)
वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है। जिसकी उचाई लगभग 5,200 फीट की है मातारानी का मंदिर। यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक मंदिर हैं।
प्राचीन गुफा : माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रहती है। समय के साथ यहां माता के चरणों में आने वाले भक्तों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। भक्तों की सुरक्षा को देखते हुए माता की प्राचीन गुफा को आमतौर पर बंद रखा जाता है।
करीबन 700 साल पहले मां वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण पंडित श्रीधर द्वारा हुआ था, जो एक ब्राह्मण पुजारी थे, आगे हम मां वैष्णो देवी मंदिर की कहानी और महिमा के बारे में जानेंगे।
वैष्णो देवी मंदिर की पौराणिक कहानी (Vaishno Devi Temple Story in Hindi)
पंडित श्रीधर की मां के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति थी जबकि वह गरीब थे। उनका सपना था कि वह एक दिन भंडारा (व्यक्तियों के समूह के लिए भोजन की आपूर्ति) करें, मां वैष्णोदेवी को समर्पित भंडारे के लिए एक शुभ दिन तय किया गया और श्रीधर ने आस-पास के सभी गांव वालों को प्रसाद ग्रहण करने का न्योता दिया। पंडित जी अपने आसपास सभी के घर गए ताकि कुछ भंडारे के लिए मदद मिल सके क्यूंकि उन्होंने भंडारे में काफी मेहमानो को नोटा दिया हुआ था और जितनी मदद उन्हें मिली थी वह थोड़ी थी। धीरे-धीरे भंडारे का दिन नजदीकआ रहा था और पंडित जी बड़ी सोच में दुबे हुए थे की भंडारा कैसे होगा।
भंडारे के एक दिन पहले श्रीधर एक पल के लिए भी सो नहीं पा रहे थे यह सोचकर की वह मेहमानों को भोजन कैसे करा सकेंगे, इतनी कम सामग्री और इतनी कम जगह…, दोनों ही समस्या थी।और देवी माँ से आस करने के लिए पूजा करने लगे, और दोपहर समय पर मेहमान भी आने लगे।
श्रीधर कुटिया में मेहमानो को जहा पर जगहे मिली वो वही पर आसानी से बैठ गए, श्रीधर ने पूजा करने के बाद जैसे ही अपनी आंखें खोली तो वो सोच में दुब गए के मेहमान आ चुके है अब भोजन कैसे करूँगा, तभी श्रीधर ने एक छोटी लड़की को अपनी झोपडी से बाहर निकलते हुए देखा जिसका नाम वैष्णवी था। उसने सभी मेहमानो को अच्छे सेभोजन परोसा और भंडारे को सम्पन किया। भंडारे के बाद, श्रीधर पंडित उस लड़की के बारे में जानने के लिए बड़े उत्साहिक थे, लेकिन वैष्णवी अद्र्श्य होकर वहा से गायब हो गयी।
बहुत दिनों के बाद श्रीधर को उस छोटी लड़की का सपना आया उसमें स्पष्ट हुआ कि वह मां वैष्णोदेवी थी। माता रानी के रूप में आई लड़की ने उसे सनसनी गुफा के बारे में बताया और चार बेटों के वरदान के साथ उसे आशीर्वाद दिया। श्रीधर एक बार फिर खुश हो गए और माता की गुफा की तलाश में निकल पड़े, जब वह गुफा मिली तो उसने तय किया की वे अपना सारा जीवन मां की सेवा करेंगे। जल्द ही पवित्र गुफा प्रसिद्ध हो गई और भक्त झुंड में मां के प्रति आस्था प्रकट करने आने लगे। आज यही वैष्णोदेवी के रूप में माता रानी का असीम ऊर्जावान केंद्र है। वैष्णोदेवी के इस मंदिर में पूरे दुनिया भर के भक्त आकर उनके दर्शन का लाभ लेते हैं।
भैरोनाथ मंदिर (Bhairavnath Temple in Hindi)
भक्तों को भैरों मंदिर(गुफा) के दर्शन करने की ललक रहती है। कहते हैं इस गुफा में आज भी भैरों का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरों का संहार किया था। तब उसका शरीर यहीं रह गय था। और सिर घाटी में जाकर गिरा था। माता वैष्णो देवी भैरों को वरदान दिया था कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे, जब तक कोई भक्त, मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा। जिस जगह पर भैरव का धड़ गिरा था, व्ही आज भेरैंथ नाथ मंदिर है।
चरण पादुका (Charan Padukha Temple in Hindi)
चरण पादुका मंदिर, जिसके बारे में माना जाता है कि माता वैष्णो देवी भैरव को देखने के लिए यहां पर रुकी थी,कि क्या वह राक्षश अभी भी पीछा कर रहा है, त्रिकुटा पव्रत की और भागते हुए माता वैष्णो देवी इसी स्थान पर रुकी थी जहां पर आज भी एक चट्टान के के ऊपर उनके चरण के निशान देख देखे जाते है।
यह मंदिर बाणगंगा नदी और पुल से थोड़ी दूरी पर है। पहले तो यह एक छोटा सा मंदिर था लेकिन अब इस मंदिर को काफी बड़ा बना दिया है। मा वैष्णो देवी यात्रा में सबसे पहले आपको चरण पादुका का मंदिर ही देखने को मिलेगा।
अर्धकुंवारी गुफा मंदिर (Ardhkuwari Gufa Temple in Hindi)
मंदिर के बारे में वैसे तो कई कथाये प्रचलित है उनमे से एक कथा यह भी है की जब एक सुंदर कन्या त्रिकूट की पहाड़ियों पर भागकर जा रही थी तो भैरव ने उन्हें देख लिया और उस कन्या का पीछा करने लगा। परन्तु तभी उस कन्या की रक्षा करने के लिए वहां पर हनुमान पहुंच गए। जब हनुमान जी को प्यास लगी तो माता ने धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और उसी जल में अपने केश धोए। बाद में माता ने एक गुफा में रहकर नौ माह तक तपस्या की। और बहार हनुमान जी ने पहरा दिया लेकिन बाद में भैरव नाथ भी वहां पहुंचे।
तभी भैरव को एक साधु मिले और उन्होंने भैरव से कहा की जिसे तू एक सुंदर कन्या समझ रहा है वो वैष्णो देवी है मत क्र उसका पीछा, लेकिन भैरव साधु की बात को न मानते हुए कन्या के पीछे गया तभी वैष्णो देवी एक गुफा में जाकर छुप गयी और दूसरी और से मार्ग बनाकर बाहर निकल गईं।जो की आज अर्द्धकुमारी,आदिकुमारी या गर्भजून के नाम से विश्व में काफी प्रसिद्ध है। अर्द्धकुमारी के पहले माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहां पर वैष्णो देवी ने भागते-भागते मुड़कर भैरव को देखा था।
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वैष्णो देवी जाने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Vaishno Devi Temple in Hindi)
वैसे तो माँ वैष्णो देवी का मंदिर पूरेसाल ही खुला रहता है, लेकिन इस मंदिर में जो यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है वो मार्च और अक्टूबर के बीच का है। नवरात्रो के दिन तो यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी।
वैष्णो देवी कैसे पहुँचे (How to reach Vaishno Devi Temple in Hindi)
वायु मार्ग (By Air) – यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जम्मू है, जो मंदिर से 46 कि.मी. दूर है दिल्ली से जम्मू के लिए काफी सारी फ्लाइट्स उपलब्ध हैं, थोड़ा पहले से बुकिंग कराने पर आपको काफी कम रेट में फ्लाइट की टिकट मिल जाएगी।
रेल मार्ग (By Train) – जम्मू राज्य के लिए सम्पूर्ण भारत से कई सारी ट्रैन उपलब्ध हैं, अभी कुछ दिन पहले कटरा तक का रेलमार्ग चालू हो गया है तो आप अब ट्रैन से सीधे कटरा तक भी जा सकते हैं। दिल्ली से कटरा सबसे कम समय लेने वाली ट्रेनों में प्रमुख हैं: दिल्ली – कटरा राजधानी एक्सप्रेस (प्रीमियम श्रेणी), दिल्ली – कटरा उत्तरप्रदेश संपर्कक्रांति (सामान्य श्रेणी) आदि। ये ट्रैन क्रमशः 11 से 12 घण्टे में आपको दिल्ली से कटरा पहुँच देती हैं श्री माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन
सड़क मार्ग ( By Road) – दिल्ली से जम्मू के लिए हरयाणा, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू आदि राज्यों की सरकारी बस सेवाएं उपलब्ध हैं जिसके अंतर्गत सामान्य और वॉल्वो बसें लगाकर इस रूट पर चलती रहती हैं। इसके अलावा प्राइवेट स्लीपर बसें भी दिल्ली से जम्मू के लिए रात्रि में चलती हैं।
दरबार के बहार से पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से माँ वैष्णो की चढ़ाई शुरु कर सकते हैं
हम उम्मीद करते है की आपको Vaishno Devi Temple History in Hindi के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा।
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आप वैष्णो देवी मंदिर की Vaishno Devi Temple History in Hindi की वीडियो भी देख सकते है जिसमे हमने पूरी यात्रा को विस्तार से समझाया है देखना कहते है।