Char Dham Yatra Uttarakhand in Hindi: उत्तराखंड के प्रमुख चार धामों में सबसे पहली यात्रा जो आती है वह हैं यमुनोत्री ,दूसरी हैं गंगोत्री ,तीसरी हैं केदारनाथ और चौथी बद्रीनाथ। हिमालय की वादियों में बसे ये चारों धाम प्रत्यक्ष जीवन दायनी हैं। इस जीवन को अगर धन्य बनाना हो तो देव भूमि उत्तराखंड के इन चार धामों की यात्रा मानव को एक बार अवश्य करना चाहिए।
यहां के सौंदर्य की जितनी प्रसंशा कि जाय कम होगी। यात्रा का श्री गणेश हिमालय के चरणकमलों से यानी हरिद्वार से शुरू होती है। यहीं पर गंगा पहाड़ों से उत्तर कर पहली बार धरती पर आती है। यहीं से हिमालय पर्वत की श्रृंखलाएँ लोगों को दिखाई देने लगती है। इसे मायापुरी ,हर का द्वार ,स्वर्ग का द्वार आदि नामों से जाना जाता है। इस लेख में हम आपको Char dham Yatra Uttarakhand in Hindi की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है।
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चार धाम यात्रा की कहानी (Char Dham Yatra Story in Hindi)
देव भूमि उत्तराखंड की यात्रा के इस प्रथम द्वार की प्राचीनता और प्रमाणिकता के उद्धरण आपके आखों के सामने दिखाई देते हैं। यहां का ब्रह्म कुण्ड स्रद्धालुओं के लिए एक ऐसा स्थान है जहाँ जाकर उन्हें अपने मन में ऐसी आस्था होती है की इसके अगले जन्म में मुझे परम पद प्राप्त होगा । यानी मेरा जन्म जहाँ होगा वहां का वातावरण ब्रह्ममय यानी सुंदर होगा। कहते हैं ब्रह्म कुण्ड में स्नान करने वालों को भगवान अपने शरण में लगा लेते हैं। फिर हम जिस राम राज्य की कल्पना करते हैं उस राम के राज्य में आपका प्रवेश होता है। यानी जिस राम के चरण कमलों से गंगा निकलकर शंकर जी के मस्तक में जटाओं से खेलती हुई धरती पर आई।
प्राचीन मंदिरों के महत्व और पमुख देव नदियों की महत्ता अपने आप मन को मोहने लगती है। प्राचीन मंदिरों के महत्व और पमुख देव नदियों की महत्ता अपने आप मन को मोहने लगती है। यहाँ कनखल सबसे प्रचीन तीर्थ स्थल है, महाराजा दक्ष प्रजापति ने यहां पर यज्ञ किया था। यहीं पर शंकरजी की पत्त्नी सती ने अपना आत्म दाह हवन कुण्ड में कूद कर या स्वयं के योगाग्नि को प्रकट करके कर लिया था। ग्यारहवीं शताब्दी की बनी चंडी देवी और मनसा देवी की प्राकृतिक शोभा और आध्यात्मिक आस्था का जितना वर्णन किया जाय कम होगा। हरि की पौड़ीपर होने वाली गंगा आरती का दृश्य बड़ा ही दिव्य दर्शन देता है ।
हरिद्वार से आगे ऋषिकेश आता है, यहां पर रेम्य नामक ऋषि ने अपने इन्द्रियों को वस में करके तपश्या किया था। यहां मर्यादा पुरूषोत्तम राम के तीनों भाइयों – भरत ,लक्ष्मण और शत्रुघ्न ने तपश्या किया था। ऋषिकेश में राम झूला, लक्ष्मण झूला ,भरत मिलाप ,मुनि की रेती आदि का दर्शन करने के बाद यात्रियों का मन मंत्र मुग्ध हो जाता है। गीता मंदिर का ज्ञान और मुनि आश्रम के मनमोहक दृश्यों के जैसा ही मनोहारी दृश्य भरत मिलाप आश्रम में देखने को मिलता है।उत्तराखंड के छोटा चार धाम यात्रा के रूप में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ की यात्रा को मान्यता प्राप्त है, बाद इस यात्रा को ‘हिमालय की चार धाम’ यात्रा के नाम से जाना जाने लगा है |
पुराणों के अनुसार बद्रीनाथ, रामेश्वरम द्वारका और जगन्नाथ पुरी को चार धामों में गिना जाता है. उत्तराखंड की चार धाम यात्रा असल में वह छोटी चार धाम यात्रा है. इस यात्रा में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री है.
चारधाम यात्रा कैसे करे (How to do Char Dham Yatra in Hindi)
दिन 01: पवित्र
यमुनोत्री ट्रेक रूट चार धामों की यात्रा, हरिद्वार में आपकी चारधाम यात्रा शुरू करती है । यह प्राचीन पवित्र शहर भगवान की दुनिया का प्रवेश द्वार माना जाता है। हरिद्वार से हम हरिद्वार से लगभग 215 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी शहर बरकोट की ओर जाते हैं।
यमुनोत्री धाम ट्रेक (Yamunotri Dham Trek in Hindi)
दिन 02: यमुनोत्री वह स्थान है जहाँ से यमुना नदी का जन्म हुआ है. यहाँ माता यमुना का एक मंदिर बना हुआ है जिसका निर्माण जयपुर की रानी गुलेरिया ने करवाया था.
अगली सुबह आपको जानकी चट्टी की ओर जाने की आवश्यकता है जहाँ से आप यमुनोत्री तीर्थ तक पहुँचने के लिए 6 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। यह ट्रेक चारधाम मार्ग पर ट्रेक में से पहला है
दिन 03: उत्तरकाशी की ओर बढ़ें
उत्तरकाशीअगले दिन उत्तरकाशी की ओर बढ़ें , जिसे अक्सर ‘उत्तर की काशी’ कहा जाता है जो बरकोट से 82 किलोमीटर दूर है और आपको पहुँचने के लिए 4 घंटे लगते हैं। उत्तरकाशी के रास्ते में आप प्राकट्येश्वर चूना पत्थर की गुफाओं की यात्रा कर सकते हैं
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गंगोत्री धाम ट्रैक (Gangotri Dham Trek in Hindi)
दिन 04: गंगोत्री वह स्थान है जहाँ से गंगा नदी का जन्म होता है. गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित है. भक्त यहाँ गंगा जल से स्नान करने और गंगा मैया के मंदिर के दर्शन के लिए आते है जिसका निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा और पुनः निर्माण जयपुर नरेश माधो सिंह ने करवाया था.
दिन 05: गुप्तकाशी में हॉल्ट
अगले दिन गुप्तकाशी में लगभग 223 किमी दूर ड्राइव करते हैं और रात के लिए वहाँ रुकते हैं। गुप्तकाशी की ओर आपकी यात्रा आपके केदारनाथ धाम यात्रा की शुरुआत का संकेत देती है। गुप्तकाशी का विदेशी हिमालयी शहर मैगनोलिया की सुंदरता से सुशोभित है
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केदारनाथ धाम ट्रैक (Kedarnath Dham Trek in Hindi)
दिन 06: यह मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में बना हुआ है. यहाँ भगवान् शंकर की पूजा होती है. यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में शामिल है. केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था.
केदारनाथ ट्रेक रूटअगले दिन हम पूरी चारधाम यात्रा का दूसरा ट्रेक शुरू करते हैं; केदारनाथ धाम की यात्रा । यह चारधाम रूट में सबसे कठिन ट्रेक में से एक है और गौरीकुंड बेस कैंप से शुरू होता है। ट्रेक आपको कुछ वास्तविक यादगार जगहें प्रदान करता है, जो पूरे जीवन में घूमने लायक हैं।
दिन 07: रुद्रप्रयाग के लिए प्रस्थान
अगली सुबह आप भगवान शिव के शुभ केदारनाथ मंदिर जाएंगे; भगवान शिव के सबसे ऊंचे ज्योतिर्लिंगों में से एक। मंदिर में पूजा करने के बाद आप अपना रास्ता गौरीकुंड वापस ले जा सकते हैं, जहाँ से आप रुद्रप्रयाग की ओर अपनी आगे की यात्रा के लिए निकल सकते हैं। यह 80kms की दूरी पर है और पहुंचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं।
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बद्रीनाथ धाम ट्रैक (Badrinath Dham Trek in Hindi)
दिन 08: बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड में हिमालय की चोटियों पर अलकनंदा नदी के तट पर बना हुआ है. बद्रीनाथ स्थान पर ही नर-नारायण ने तपस्या की थी. बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.
बद्रीनाथ मंदिरअगले दिन सुबह-सुबह आप पवित्र बद्रीनाथ धाम की ओर बढ़ते हैं । बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का पवित्र निवास है। पहुँचने पर आप पवित्र ताप कुंड में पवित्र डुबकी लगाने के बाद बद्रीनाथ मंदिर में अपनी पूजा अर्पित करने के लिए आगे बढ़ते हैं।
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चार धाम यात्रा क्यों की जाती है (Why Char Dham Yatra is Done in Hindi)
मान्यताओ के अनुसार उत्तराखंड चार धाम की यात्रा करने से इंसान जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है. जो लोग इस यात्रा को श्रधापूर्वक करते है उनके सब पाप धुल जाते है और मन शांत हो जाता है.
चारधाम यात्रा करने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Char Dham Yatra in Hindi)
चारधाम यात्रा सीजन मई से शुरू होता है और नवंबर में समाप्त होता है। उस समय के दौरान यात्रा करना सबसे अच्छा है क्योंकि चारधामों में अन्य महीनों के मौसम के दौरान बहुत अनिश्चित हो सकता है से नवंबर तक की समय अवधि के दौरान, मौसम सबसे अधिक यात्रा के अनुकूल रहता है।
इस तरह आप चारधाम यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं।
चार धाम यात्रा में कैसे पहुंचे (How to reach Char Dham Yatra in Hindi)
हवाई मार्ग (By Air) – जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून
ट्रेन मार्ग (By Train) – हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है वहा से आप चार धाम के लिए सीधे शेयरिंग टैक्सी, परसनल टैक्सी, या बस ले सकते है.
सड़क मार्ग (By Road) – चार धाम जाने के लिए आप हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से आराम से जा सकते हैं जहा पर टैक्सी और बस की सारी सुविधाएं उपलब्ध है।
हम उम्मीद करते है की आपको हमारा ये आर्टिकल Char Dham Yatra Uttarakhand in Hindi के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा।
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