Nageshwara Jyotirlinga History in Hindi : नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत में गुजरात राज्य के बाहरी क्षेत्र द्वारका पूरी से लगभग 20 km दूर स्थित है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहते है की इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सारे पापों से मुक्त होकर सुखों का भोग मिलता है। हिन्दुओं का यह प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जिसमे शिव की पूजा आराधना नागेश्वर के रूप में की जाती है | जिसे रुद्र संहिता में दारुकावने नागेशं के नाम से भी जाना जाता है।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (Nageshwara Jyotirlinga History in Hindi)
“नागेश्वर” का अर्थ होता है “नागो का ईश्वर” यानि नागो के देवता भगवान शिव के गले में कुंडली मारके बैठे है। कहते है की इस मंदिर में विष से संबंधित सभी रोग दूर हो जाते है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में स्थापित श्रीविश्वनाथ का यह दसवा ज्योतिर्लिंग माना गया है। इन मंदिरो को ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है कियुँकि भगवान शिव इन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुए थे। इसीलिए यह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाते है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्व (Importance of Nageshwara Jyotirlinga Temple in Hindi)
नागेश्वर मंदिर के मुख्य गर्भगृह के निचले स्तर पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। जिसके ऊपर एक चांदी का बड़ा नाग स्थापित है शिवलिंग के पीछे ही माता पार्वती की प्रतिमा भी विराजमान है। कहते है की जिन भक्तो को वहा के मुख्य पुजारी से ज्योतिर्लिंग पर अभिषेक करना होता है वो सिर्फ धोती पहनकर ही आते है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा (Nageshwara Jyotirlinga Temple Story in Hindi)
हिन्दू धर्म के अनुसार शिवपुराण में ऐसा वर्णन किया हुआ है की सुप्रिय नाम का धर्मात्मा भगवान शिव का परम भक्त था। और उनकी पूजा आराधना में ध्यानमग्न रहता था। सुप्रिय अपने जीवन के सारे कार्य भगवान शिव की पूजा आराधना के बाद में ही करता था। सुप्रिय की इस भक्ति को देख दारुक नाम का एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था।
कियुँकि उस राक्षश को भगवान शिव की पूजा आराधना बिलकुल पसंद नहीं थी। वह हमेशा उसकी पूजा आराधना को बंद कराने के बारे में सोचता था। एक बार की बात है जब सुप्रिय कई यात्रियों के साथ एक नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था। इस मोके को देख दारुक नाम के राक्षश ने उस नौका पर आक्रमण कर दिया। और सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में कैद कर दिया। लेकिन सुप्रिय उस बंद कारागार में भी भगवान् शिव की पूजा-आराधना करने लगा। और बाकि यात्रियों को भी भक्ति की प्रेरणा देने लगा।
राक्षश दारुक इस सुचना सुनकर बहुत क्रोधित होते हुए अपने कारागार में पंहुचा और वहा देखा की सुप्रिय अपनी दोनों आँखे बंद किये भगवान् शिव की आराधना में ध्यानमग्न है। तभी राक्षश चिलाकर बोला हे दुष्ट प्राणी ये किसकी भक्ति में लीन है तू ये मेरा राज्य है। लेकिन सुप्रिय पर उसकी बात का कोई असर नहीं हुआ वह अपनी भक्ति में लीन था। यह देख राक्षश अत्यधिक क्रोध में आ गया और अपनी सेना को सुप्रिय के साथ सभी यात्रियों को मारने के आदेश दे दिए।
परन्तु सुप्रिय फिर भी नहीं डरा और भगवान शिव से अपनी और यात्रियों की रक्षा के लिए प्राथना करने लगा। तभी अपने परम भक्त की प्राथना को सुनकर भगवान शिव एक चमकते सिहासन पर बैठे हुए ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। और अपने परमवीर अस्त्र से दारुक और उसके दैत्यों का वध कर दिया। और सुप्रिय को दर्शन देकर वरदान के रूप में अपना अस्त्र प्रदान किया। सुप्रिय की प्राथना करने पर भगवान शिव सदा के लिए उस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गये। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा। कहते है की बाद में सुप्रिय भी खुद शिवलोक चला गया था।
दूसरी ओर ये भी कहते है की राक्षश दारुक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी दारुका ने अपने वंश की रक्षा के लिए माता पार्वती की पूजा आराधना शुरू कर दी। दारुका की सच्ची भक्ति देख माता पार्वती ने भगवान शिव उसके वंश को जीवन दान देने की विनती की। तब भगवान शिव ने कहा इस युग में अब किसी भी राक्षश का वास नहीं होगा। और वहा जाकर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए साथ में माता पार्वती भी जिन्हे नागेश्वरी के नाम से जाना जाने लगा।
यह भी पढ़े – शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो के नाम और स्थान
नागेश्वर मंदिर में दर्शन का समय (Best timing to visit Nageshwara Jyotirlinga Temple in Hindi)
सुबह आरती का समय – सुबह 5 बजे से 6 बजे तक
भक्तो के लिए दर्शन का समय – सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक (शाम 4 बजे भक्तो को श्रृंगार दर्शन कराये जाते है)
मंदिर बंद होने का समय – शाम 4 बजे से शाम के 6 बजे तक
शाम आरती समय – शाम 6 बजे से रात्रि 7 बजे तक
भक्तो के लिए दर्शन का समय – रात्रि 7 बजे से 9 बजे तक
नागेश्वर मंदिर में दर्शन का समय (How to reach Nageshwara Jyotirlinga Temple in Hindi)
दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Nageshwara Jyotirlinga History in Hindi के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।
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