Gomukh History in Hindi : गोमुख उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री ग्लेश्यिर के अंत में चिन्ह्ति है। गोमुख एक ऐसा पवित्र स्थल है जहाँ से जीवन दायिनी माँ गंगा देवी का उद्गम होता है। यह स्थान गंगोत्री धाम से 18 km दूर शिवलिंग पीक के नजदीक और समुद्र तल से 13200 फिट की उचाई पर स्थित है। गोमुख से माँ गंगा का जल का स्रोत निकलता है। गंगोत्री से लगभग 14 km की दुरी पर भोजबासा पड़ता है जहा पर यात्रियों के ठहरने के लिए पर्यटक बंगला और भोजन की व्यवस्था होती है। गंगोत्री धाम आने वाले अधिकतर यात्री यहां पर जाना जरूर पसंद करते है और प्रकृति के इस सुंदर नज़ारे को निहारते हैं।
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गोमुख की पौराणिक कथा (Legend of Gomukh in Hindi)
पौराणिक कथाओ में अनुसार श्री रामचंद्र के पूर्वज राजा भगीरथ ने अपने पूवर्जो के पापो से मुक्ति पाने और उनकी अस्थिया बहाने के लिए गंगोत्री ग्लेशियर के अंत में जाकर माँ गंगा की कठोर तपस्या की थी। राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन होकर माँ गंगा दायनी ने जीवन की इस धारा को पृथ्वी पर पहली बार स्पर्श किया था। और गंगोत्री धाम के स्थान पर भगवान शंकर ने माँ गंगा के इस प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें अपनी घुंघराली जटाओ में लपेट लिया था। ताकि पृत्वी पर मनुस्य जीवन जीवित रहे। पौराणिक कथा के आधार पर माँ गंगा को भागीरथी नदी भी कहते है।
गंगोत्री से गोमुख की यात्रा कैसे करे (How to travel from Gangotri to Gomukh in Hindi)
गंगोत्री धाम तक का सफर बस या कार में करने के बाद यात्रियों को गंगोत्री से गोमुख तक 18 km की यह कठिन यात्रा पैदल ही तय करनी होती है।
वहा पर सुविधा कम होने की वजे से एक दिन में केवल 150 यात्रियों को ही अनुमति दी जाती है यात्रियों को गोमुख जाने के लिए गंगोत्री के टूरिस्म डिपार्टमेंट ऑफिस से परमिसन लेनी पड़ती है जो की सुबह 5 बजे से शाम के 7 तक खुलता है आप चाहे तो चार धाम यात्रा की वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है वो आपके लिए ज्यादा आसान होगा कियोंकि आपको यहां पर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा।
गोमुख कैसे पहुंचे (How to reach Gomukh in Hindi)
गंगोत्री (Gangotri) – गंगोत्री से आधे घंटे की पैदल यात्रा करने के बाद आपको कनखू देखने को मिलेगा जो गंगोत्री से 2 km की दुरी पर स्थित है आपको वहा पर एक फारेस्ट डिपार्टमेंट के ऑफिस में 150 रूपये फीस देकर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाना होगा।
कनखू (Kankhu) – कनखू से लगभग 3 घंटे पैदल यात्रा करने के बाद आपको चीड़वासा देखने को मिलेगा, जो कनखू से 7 km की दुरी पर स्थित है | इस दौरान आपको यहां पर काफी सारी प्राकृतिक चीज़े देखने को मिलेगी जैसे – चीड़ के पेड़, झरने. आदि।
चीड़वासा (Chidwasa) – चीड़वासा से 3 km आगे आपको एक काफी खतरनाक पहाड़ दिखेगा जिसका नाम है गिला पहाड़ इस पहाड़ के आसपास हमेशा खतरा रहता है कियुँकि यह लैंडस्लाइन एरिया है तो आपको यहां पर बिलकुल भी नहीं रुकना है।
चीड़वासा से जैसे ही आप 5 km आगे जायेगे तो आपको भोजवासा देखने को मिलेगा, वहा पर आपको रात में ठहरने और भोजन के लिए गढ़वाल मंडल के गेस्ट हाउस मिल जायँगे जिसका शुल्क 300 रूपये प्रति व्यक्ति का रहता है और कुछ आश्रम भी मिल जायेंगे जैसे राम बाबा आश्रम और लाल बाबा आश्रम।
भोजवासा (Bhojwasa) – भोजवासा से 4 km की दुरी पर आपको गोमुख देखने को मिलेगा जहा पर एक ग्लेशियर में गाये के मुख का आकर बना हुआ है वही से भागीरथी नदी या माँ गंगा का उद्गम होता है भोजवासा से गोमुख तक की यात्रा काफी ज्यादा कठिन है कियुँकि काफी जगह पर पानी के स्त्रोत और छोटी-छोटी नदिया है जिनके ऊपर लकड़ी के टेम्पररी पूल बने हुए है यात्रियों को इन्ही पूल के ऊपर से ही होकर जाना होता है।
गोमुख में आपदा (Disaster in Gomukh Tapovan in Hindi)
26 जुलाई 2013 को उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने के कारन से गोमुख में ग्लेशियर का एक एक बहुत बड़ा हिस्सा बह गया था जिसे गोमुख का छोर बिलकुल अलग हो गया था और वह के ग्लेशियर पर बहुत बड़ी बड़ी दरारे उभर आयी थी तभी से उस ग्लेशियर को पार करना और वहा से तपोवन और नंदनवन के लिए जाना काफी कठिन हो गया है तपोवन और नंदनवन की यात्रा यही से शुरू होती है।
गोमुख की यात्रा में आपको कुछ चीज़ो का विशेष ध्यान रखना होगा जैसे – दवाईया, छाता, रेन कोट, स्पोर्ट शुस, गर्म कपडे, और खाने पिने का सामान आदि।
चारो धाम के बारे में पढ़े-
- यमुनोत्री धाम का इतिहास और प्रचलित कथा
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