Omkareshwar Jyotirlinga Temple History in Hindi | ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

Omkareshwar Jyotirlinga Temple: ओंकारेश्वर मंदिर भारत में मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच शिवपुरी द्वीप पर स्थित है | हिन्दुओं का यह प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | जिसमे शिव की पूजा आराधना ओंकारेश्वर के रूप में की जाती है।

ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास (History of Omkareshwar Jyotirlinga Temple in Hindi)

ओंकारेश्वर मंदिर भारत में मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच शिवपुरी द्वीप पर स्थित है | हिन्दुओं का यह प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | जिसमे शिव की पूजा आराधना ओंकारेश्वर के रूप में की जाती है।

“ओंकारेश्वर” का अर्थ  होता है “ॐ का आकर” अर्थात भगवान शिव का ॐ | जिस शिवपुरी द्वीप मंदिर स्थित है वह द्वीप एक हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना हुआ है। इसीलिए यह मंदिर ॐकारेश्वर कहलाता है इसी द्वीप एक और मंदिर स्थित है जिसे ममलेश्वर के नाम से जाना जाता है |

जिस ॐ शब्द का उच्चारण सबसे पहले सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ जिसके बिना कोई भी पूजा पाठ का उच्चारण संभव नहीं होता है। इस ॐ का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है। यह नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है

ॐकारेश्वर के इस मंदिर में 68 तीर्थ हैं। जिसमे 33 करोड़ देवी देवता परिवार सहित निवास करते हैं और 2 ज्योतिलिंगों सहित 108 शिवलिंग स्थापित हैं। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकालेश्वर के रूप में और दूसरा खंडवा में ओम्कारेश्वर- ममलेश्वर के रूप में विराजमान हैं।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में स्थापित ओंकारेश्वर का यह चौथा ज्योतिर्लिंग माना गया है | इन मंदिरो को ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है कियुँकि भगवान शिव इन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुए थे | इसीलिए यह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाते है |

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा (Omkareshwar Jyotirlinga Temple Story in Hindi)

हिन्दू धर्म के लगभग सभी पुराणों में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख किया हुआ है | पौराणिक कथा अनुसार राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा नदी के किनारे इस पर्वत पर कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था | और भगवान शिव के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँगा था । तभी से यह तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी।

ओंकारेश्वर मंदिर एक सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भक्तगण देश के भले ही सारे तीर्थ की यात्रा कर ले लेकिन जब तक वह ओंकारेश्वर तीर्थ में आकर शिलिंग पर जल नहीं चढ़ाता तो उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं। यहां पर नर्मदा नदी का भी विशेष महत्व बताया गया है जमुना में 15 दिन और गंगा में 7 दिन का स्नान करने से जो फल मिलता है उतना ही फल नर्मदा के दर्शन से प्राप्त हो जाता है।

दूसरी और ऐसा वर्णन भी है की इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे भगवान शिव ने देवताओ का धनपति बनाया था। भगवान शिव ने कुबेर के स्नान के लिए अपनी जटा के बाल से यहां कावेरी नदी उत्पन्न की थी। जो  कुबेर मंदिर के पास से बहकर नर्मदा नदी में मिलती है कहते है की यही कावेरी नदी ओमकार पर्वत का चक्कर वापस नर्मदाजी से मिलती हैं |

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन कैसे करे (How to visit Omkareshwar Jyotirlinga Temple in Hindi)

नर्मदा नदी के किनारे विष्णुपुरी बस्ती में पक्का घाट बना हुआ है | यहाँ नर्मदाजी पर पक्का घाट है। यात्री नौका के द्वारा नदी पार करके इस मान्धाता द्वीप में पहुंचते है। दूसरी तरफ भी पक्का घाट है। यहां पर यात्रियों के स्नान करने के लिए एक कोटितीर्थ घाट बना हुआ है | यहां स्नान के बाद यात्री सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर-मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं |

मन्दिर में एक पंचमुखी गणेश की मूर्ति है। पहली मंजिल पर ओंकारेश्वर ज्योत्रिलिंग विराजमान हैं। इस लिंग के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का मुख्य द्वार काफी छोटा होने के कारन ऐसा लगता है जैसे की किसी गुफा में जा रहे है | पास में ही माता पार्वती की मूर्ति है। फिर दूसरी मंजिल पर महाकालेश्वर लिंग के दर्शन होते हैं। और तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिंग है।  चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिंग है। पांचवीं मंजिल पर ध्वजेश्वर लिंग है।

ओंकारेश्वर मंदिर में दिवाली की पूजा का विशेष महत्व

इस मंदिर में हर साल दिवाली की रात्रि को जागरण होता है और यहां पर इस दिन ज्वार चढाने का विशेष महत्त्व है अगले दिन धनतेरस पर सुबह 4 बजे से पूजा होने के बाद कुबेर महालक्ष्मी का महायज्ञ और भंडारा भी होता है जिसमे कई भक्तो सहित नए शादी शुदा जोड़े भी शामिल होते हैं फिर माँ लक्ष्मी वृद्धि के सिद्ध करे हुए यंत्र वितरण होते है, माँ लक्ष्मी के इस यंत्र को अपने घर पर ले जाकर दीपावली अमावस को धुप द्वीप देकर धन रखने की जगह पर रखना होता हैं कहते है की इससे अपार धन की प्राप्ति होती है |

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Omkareshwar Jyotirlinga Temple के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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